काेराेना के बाद सरसों में सबसे बड़ी तेजी आई है। देश में सरसों की सबसे बड़ी मंडी भरतपुर में शनिवार काे सरसों के भाव 7121 रुपए क्विंटल बोले गए। यह काेराेना के बाद सबसे बड़ी तेजी है। पांच साल पहले सरसों रिकार्ड 8200 रुपए क्विंटल बिकी थी। जानकारों का कहन
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मोपा के सदस्य भूपेंद्र गोयल का मानना है कि किसानों के पास करीब 35 लाख टन सरसों हैं। एमएससी 5950 रुपए हैं। ऐसे में किसानों काे करीब 1170 रुपए प्रति क्विंटल का फायदा है। भाव बढ़ने के साथ ही मंडी में सरसों की आवक तेजी से बढ़ी है। मसलन, शनिवार काे मंडी में रिकार्ड करीब 25 हजार कट्टे की आवक हुई। सरसों भावों में आई तेजी से किसान खुश हैं, लेकिन बाजार वेट एंड वॉच में है। मोपा के राष्ट्रीय महासचिव कृष्ण कुमार अग्रवाल का कहना है कि एक बार बाजार ठहरेगा और थोडे़ भाव गिर सकते हैं, लेकिन भविष्य में मंदी की संभावना नहीं है। क्योंकि सरसों ने अपनी पकड़ बना ली है। लाेग स्वास्थ्य के प्रति लगातार जागरुक हाे रहे हैं। पाम और सोया की जगह सरसों काे तवज्जो दे रहे हैं।
सरसों तेल का भाव शनिवार काे थोक में 176 रुपए किलो पहुंच गया। ब्रोकर सुमित सरियावाला का कहना है कि त्योहारी सीजन प्रारंभ हाे गया है। सरसों तेल की डिमांड है। ऐसे में सरसों के भाव कुछ और बढ़ सकते हैं। सरसों तेल खैरिज में 200 रुपए किलो तक पहुंच सकता है। फिलहाल पॉम/सोया के थोक भाव 125 से 130 रुपए किलो हैं। यानी सरसों तेल में 40 रुपए महंगा है। ग्राहक इस गेप काे कितना अफोर्ड कर पाएगा यह समय बताएगा।
रेट बढ़ने के दाे कारण…
1. राजस्थान और एमपी में अतिवृष्टि… ब्रोकर अंकित मिश्रा का कहना है कि सरसों की मुख्य पैदावार क्षेत्रों में इस साल अतिवृष्टि है। ऐसे में किसान रबी की फसल में गेंहूू और चना काे प्राथमिकता देगा। ऐसे में सरसों की पैदावार घट सकती है। पिछले साल हुई जोरदार बारिश के कारण भी सरसों बिजाई घटी थी। मोपा के अनुसार इस साल 111 लाख टन सरसों हुई, जाे गत साल से 11 लाख टन कम रही। 2. नेफेड के पास माल नहीं… जानकारों का मानना है कि नेफेड के पास करीब 11 लाख टन सरसों का स्टाक है, क्योंकि फसल के सीजन में ही सरसों के भाव एमएसपी से ज्यादा करीब 6 हजार रुपए क्विंटल थे। इसलिए नेफेड काे माल नहीं मिल पाया। नई फसल फरवरी में आएगी।

