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Ranchi Cyber Crime: साइबर अपराधियों को पकड़ पाना अब और मुश्किल हो गया है. साइबर अपराधियों के नए पैंतरे से साइबर सेल की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. वहीं, साइबर अपराधियों के नए हथकंडे के कारण अब आम लोग भी इस सिंडिकेट …और पढ़ें
प्रतीकात्मक तस्वीर.
हाइलाइट्स
- टेलीग्राम पर म्यूल अकाउंट की खरीद-बिक्री, लोग कमीशन के लालच में फंस रहे.
- विदेशी धरती पर बैठे साइबर अपराधी ठगी के पैसे को क्रिप्टो में बदलकर ले जा रहे.
- गृह मंत्रालय AI तकनीक से म्यूल अकाउंट सिंडिकेट पर लगाम की कवायद कर रहा.
कैसे चल रहा पूरा साइबर अपराध का पूरा नेक्सस साइबर अपराधी म्यूल बैंक अकाउंट की खरीदारी कर रहे.ऐसे में म्यूल बैंक अकाउंट के कारण साइबर सेल डिजिटल फुटप्रिंट के जरिए ज्यादातर मामलों में सिर्फ म्यूल बैंक खाताधारक तक ही पहुंच पा रही.बताया जा रहा है कि राजधानी रांची में भी ऐसे कई म्यूल अकाउंट को कमीशन पर देने वाले लोग हैं. बताया जाता है कि डेढ़ से दो प्रतिशत कमीशन पर लोग अपना बैंक अकाउंट साइबर अपराधियों को दे देते हैं. पिछले दिनों रांची में बंगाल पुलिस और दिल्ली पुलिस के द्वारा म्यूल बैंक अकाउंट धारको के खिलाफ कार्रवाई भी की गई है.
कमीशन के लिए बन रहे साइबर अपराधियों के हथियार
लालच में बैंक अकाउंट साइबर अपराधियों के हैंडओवर
बता दें कि साइबर अपराधी विदेशों में बैठ ठगी की पूरी साजिश रचते तो जरूर हैं, लेकिन उन साइबर अपराधियों के नापाक मंसूबों को अंजाम तक पहुंचाने के लिए उन्हें हमारे देश के लोगों की जरूरत है. ऐसे लोग जो थोड़े से पैसों की लालच में अपना बैंक अकाउंट उन साइबर अपराधियों के हैंडओवर कर देते हैं. अब म्यूल अकाउंट को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय भी गंभीर है और AI बेस्ड तकनीक की प्लानिंग इसे लेकर की जा रही है.
क्या होता है म्यूल अकाउंट, कैसे बन रहा यह हथियार?
म्यूल अकाउंट साइबर अपराध में इस्तेमाल होने वाला एक बैंक खाता होता है, जो अवैध तरीके से प्राप्त धन को स्थानांतरित करने के लिए प्रयोग किया जाता है. यह खाता आमतौर पर किसी ऐसे व्यक्ति के नाम पर खोला जाता है जो साइबर अपराधियों के लिए पैसा ट्रांसफर करने का काम करता है, जिसे “मनी म्यूल” कहा जाता है. कई बार ये लोग जानबूझकर इसमें शामिल होते हैं, तो कई बार वे ठगी के शिकार होकर अनजाने में हिस्सा बन जाते हैं. अपराधी सोशल मीडिया, नौकरी के विज्ञापनों या ऑनलाइन रिश्तों के जरिए इन म्यूलों को लुभाते हैं. अक्सर कमीशन या आसान पैसा देने का लालच देकर इन खातों में चोरी का पैसा जमा होता है. इसे फिर कई खातों के जरिए ट्रांसफर करके ट्रेस करना मुश्किल बनाया जाता है. कई बार यह पैसा क्रिप्टोकरेंसी में बदला जाता है और विदेश भेज दिया जाता है. म्यूल अकाउंट धारक को कानूनी कार्रवाई का खतरा रहता है, भले ही वे अनजान हों. साइबर सेल इन खातों को ट्रैक करने में डिजिटल फुटप्रिंट्स का सहारा लेती है, लेकिन अपराधियों की शातिरगीरी चुनौतीपूर्ण बनाती है.

पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट…और पढ़ें
पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट… और पढ़ें