नई दिल्ली: भारतीय थल सेना ने इस साल ‘टेक एब्जॉर्प्शन ईयर’ को एक निर्णायक मोड़ में बदल दिया है. दशकों तक हथियारों, स्पेयर पार्ट्स और हाई-टेक सिस्टम के लिए विदेशी देशों पर निर्भर रहने वाली भारतीय सेना अब तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही है. जिस गति से स्वदेशीकरण हुआ है, उसने युद्ध के समय विदेशों की ओर देखने की मजबूरी लगभग खत्म कर दी है.
सेना ने बताया कि 1,050 से ज्यादा महत्वपूर्ण स्पेयर पार्ट्स और 60 से अधिक बड़ी असेंबलिंग अब पूरी तरह भारत में बनने लगी हैं. कुल मिलाकर 5,600 से अधिक पार्ट्स ऐसे हैं जिन्हें अब विदेश से मंगाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. इससे न सिर्फ सप्लाई चेन सुरक्षित हुई है, बल्कि भारत अब किसी भी संघर्ष या आपात स्थिति में अपने दम पर खड़ा रह सकेगा. यही वजह है कि सेना का मानना है—हथियारों की गुलामी की जंजीर अब टूट चुकी है.
सेना ने कैसे बदली तस्वीर?
भारतीय कंपनियों ने मौजूदा हथियारों और सिस्टम के लिए 1,035 असेंबलिंग–सब असेंबलिंग और 3,517 स्पेयर पार्ट्स विकसित कर लिए हैं. इसके साथ विदेशी पार्ट्स पर निर्भरता घटकर न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है. यह उपलब्धि इसलिए भी अहम है क्योंकि:
- स्वदेशी पार्ट्स से हथियारों का रखरखाव और अपग्रेड आसान हो गया है.
- युद्धकाल में सप्लाई चेन रुकने की आशंका लगभग खत्म.
- तकनीकी क्षमता और औद्योगिक आत्मनिर्भरता में तेज बढ़ोतरी.
- अत्याधुनिक तकनीक भारत में- क्रायो-कूलर से UAV कंट्रोलर तक.
थल सेना सिर्फ स्पेयर पार्ट्स ही नहीं, बल्कि हाई-टेक टेक्नोलॉजी को भी भारत में विकसित कर रही है. अब देश में ही तैयार हो रहे हैं:
- थर्मल इमेजर के लिए क्रायो-कूलर.
- ड्रोन और UAV के लिए फ्लाइट कंट्रोलर.
- इलेक्ट्रिकल स्पीड कंट्रोलर.
- ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) कंपोनेंट.
- ये तकनीक पहले सिर्फ कुछ विदेशी देशों से आयात होती थी.
युद्धकाल में सप्लाई चेन रुकने की आशंका लगभग खत्म. (फोटो AI)
कौन कर रहा है यह सब?
सेना ने अपनी सप्लायर लिस्ट में सैकड़ों भारतीय कंपनियों- छोटी, मध्यम, बड़े उद्योगों और स्टार्टअप्स को शामिल किया है.
यह बदलाव 3 स्तरों पर असर दिखा रहा है:
- तकनीकी क्षमता में उछाल
- देश में रक्षा उद्योग के लिए नए अवसर
- रोजगार में बढ़ोतरी
इस मॉडल को रक्षा मंत्रालय भारत के स्वदेशी रक्षा इकोसिस्टम का भविष्य बता रहा है.
कितनी बड़ी उपलब्धि है?
| श्रेणी | भारत में विकसित/स्वदेशी बने पार्ट्स |
| महत्वपूर्ण स्पेयर पार्ट्स | 1050+ |
| बड़ी असेंबलिंग | 60+ |
| असेंबलिंग–सब-असेंबलिंग | 1035 |
| स्पेयर पार्ट्स | 3,517 |
| कुल स्वदेशी पार्ट्स | 5600+ |
युद्ध के समय इसका क्या फायदा?
- सप्लाई चेन पर विदेशी दबाव खत्म- किसी भी देश पर निर्भरता न होने से खतरा कम हुआ.
- रखरखाव में तेजी- हथियारों की सर्विसिंग और अपग्रेड में अब समय नहीं लगेगा.
- सैन्य तैयारी मजबूत- युद्ध या बड़ी आपात स्थिति में सेना तुरंत कार्रवाई कर सकती है.
- विदेशी मुद्रा की बचत- हजारों करोड़ रुपए अब देश में ही बचेंगे.
- रक्षा उद्योग का विकास- भारत ग्लोबल डिफेंस सप्लायर बनने की तरफ बढ़ रहा है.
भविष्य का लक्ष्य: हजारों और पार्ट्स होंगे स्वदेशी
रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि आने वाले वर्षों में हजारों और पार्ट्स को स्वदेशी बनाया जाएगा. यह न सिर्फ खर्च में बचत करेगा, बल्कि भारत को वैश्विक रक्षा बाज़ार में अग्रणी बनाने की क्षमता पैदा करेगा.
सेना के अनुसार, यह पूरी पहल प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत अभियान और विकसित भारत 2047 के विज़न को जमीन पर उतार रही है. सीधे शब्दों में कहें तो भारत अब अपनी सुरक्षा की कमान खुद संभालने की स्थिति में पहुंच रहा है.

