Dollar vs Rupees: दुनिया के छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने और दुनियाभर में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते गुरुवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 10 पैसे गिरकर 85.48 पर बंद हुआ. हालांकि, सकारात्मक घरेलू इक्विटी बाजार और विदेशी फंड के इनफ्लो ने रुपये में आई गिरावट को सीमित कर दिया.
85.62 के इंट्रा-डे लो लेवल पर आया रुपया
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 85.56 प्रति डॉलर पर खुला. उसके बाद डॉलर के मुकाबले कमजोर होकर 85.62 के इंट्रा-डे लो को छू लिया. कारोबार के अंत में रुपया 85.40 के दिन के उच्चतम स्तर को छू गया, लेकिन अंत तक डॉलर के मुकाबले रुपया 85.48 पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव से 10 पैसे कम है. बुधवार के सत्र में रुपया डॉलर के मुकाबले दो पैसे बढ़कर 85.38 पर बंद हुआ हुआ था. मिराए एसेट शेयरखान के रिसर्च एनालिस्ट अनुज चौधरी का इस पर कहना है कि अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में उछाल और कच्चे तेल की कीमतों ने रुपये पर दबाव डाला है.
उन्होंने कहा, ”महीने के अंत में डॉलर की मांग और विदेशी निवेशकों की निकासी भी रुपये पर दबाव डाल सकती है. डॉलर-रुपये की हाजिर कीमत 85.15 रुपये से 85.80 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है.” इस बीच, छह मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को मापने वाला डॉलर सूचकांक 0.11 परसेंट बढ़कर 99.89 पर कारोबार कर रहा था.
इस वजह से आई डॉलर इंडेक्स में तेजी
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिकी संघीय अदालत द्वारा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के रेसिप्रोकल टैरिफ पर रोक लगाने के बाद अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में तेजी आई है, जिससे वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं को कम करने की उम्मीदें बढ़ गई हैं.
इतनी बढ़ गईं तेल की कीमतें
वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 1.25 परसेंट बढ़कर 65.71 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया. घरेलू शेयर बाजार में 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 320.70 अंक यानी 0.39 परसेंट की उछाल के साथ 81,633.02 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 81.15 अंक यानी 0.33 परसेंट बढ़कर 24,833.60 पर बंद हुआ.
एक्सचेंज डेटा के मुताबिक, बुधवार को विदेशी निवेशकों (एफआईआई) ने 4,662.92 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे. रिजर्व बैंक ने गुरुवार को अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2026 में भी भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा.
बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मैन्युफैक्चरिंग, माइनिंग और पावर सेक्टर के खराब प्रदर्शन के कारण अप्रैल 2025 में भारत का इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन ग्रोथ धीमी होकर 2.7 परसेंट रह गई है.
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