दिल्ली ब्लास्ट केस में जांच एजेंसियों का केंद्र फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी बन गई है। यूनिवर्सिटी के डॉ. मुजम्मिल शकील और डॉ. शाहीन सईद ने पूछताछ में बताया कि आतंकी मॉड्यूल ने यूनिवर्सिटी को रेडिकलाइजेशन और लॉजिस्टिक कवर के तौर पर इस्तेमाल किया,
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पुलिस सोर्सेज के मुताबिक, यह मॉड्यूल युवाओं को कट्टर बना रहा था और उनसे हथियार और विस्फोटक खरीदने, छिपाने और हमले की योजना बनाने जैसे काम करवाता था। कल जांच एजेंसी आमिर को यूनिवर्सिटी परिसर में लेकर पहुंची थी। दिल्ली में ब्लास्ट हुई i-20 कार आमिर के नाम पर ही रजिस्टर्ड थी। आमिर और उमर ने मिलकर ब्लास्ट की साजिश रची थी।
अब जांच एजेंसियां डॉ. शाहीन और डॉ. मुजम्मिल को साथ में बिठाकर सवाल पूछेंगी। इससे पहले उनसे अलग-अलग जो बातें पता चली हैं, उन्हें मिलाया जाएगा ताकि पता चल सके कि कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ। जांच एजेंसियों को कुल 22 डॉक्टरों और स्टूडेंट्स पर इस मॉड्यूल में शामिल होने का शक है। चार गिरफ्तार डॉक्टरों के मेडिकल रजिस्ट्रेशन रद्द किए जा चुके हैं। इनमें डॉ. आदिल, डॉ. शाहीन सईद, डॉ. मुजम्मिल और डॉ. उमर शामिल हैं। बताया गया है कि 15 डॉक्टर अभी भी अंडर ग्राउंड हैं।
अब जानिए रेडिकलाइजेशन और लॉजिस्टिक कवर कैसे किया…
- रेडिकलाइजेशन की नींव: पुलिस सूत्रों के मुताबिक, अल-फलाह यूनिवर्सिटी को गलत रास्ते पर ले जाने का अड्डा बनाने का पहला कदम था युवाओं को धर्म के नाम पर भड़काना। मुख्य आरोपी डॉ. उमर नबी (पुलवामा), डॉ. मुजम्मिल शकील (पुलवामा) और डॉ. शाहीन सईद (लखनऊ) ने यूनिवर्सिटी को युवाओं तक पहुंचने का जरिया बनाया। उन्होंने कश्मीरी छात्रों को हिजाब और जिहाद के बारे में बताकर उकसाया। पकड़े गए एक मेडिकल छात्र ने बताया कि शाहीन ने उसे और दूसरे कश्मीरी छात्रों को धर्म के बारे में गलत जानकारी दी।
- डॉ. मुजम्मिल लॉजिस्टिक हेड: सूत्रों के मुताबिक, मुजम्मिल डॉक्टर मॉड्यूल का लॉजिस्टिक हेड था। उसके किराए के 2 कमरों से 2900 किलोग्राम विस्फोटक बरामद हुआ। उसके किराए के दो कमरों से 2900 किलो विस्फोटक मिला है। उसने नूंह के खाद बेचने वालों से अमोनियम नाइट्रेट खरीदा था, जिसका इस्तेमाल धमाके में हुआ। वह उमर का खास दोस्त था और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के हैंडलर्स से भी बात करता था।

आतंकी उमर ने ब्लास्ट से पहले नूंह में जो घर किराए पर लिया था, उसके बार सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
- उमर ने कुछ हथियार ठिकाने लगाए: जांच में पता चला कि आतंकी उमर नबी ने नूंह में अपने किराए के मकान के आसपास प्रतिबंधित पिस्टल छिपाई थी, लेकिन अमोनियम नाइट्रेट और अन्य हथियार ठिकाने नहीं लगा पाया। अब जांच एजेंसियां इन हथियारों को तलाश रही हैं। दिल्ली ब्लास्ट साइट पर तीन 9mm कारतूस बरामद हुए थे, जो IED से जुड़े हैं।
- हवाला फंड का इस्तेमाल: दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी के मुताबिक, हवाला के जरिए जो रुपए आतंकियों को मिले थे, वे रेडिकलाइजेशन कैंप और लॉजिस्टिक नेटवर्क के लिए इस्तेमाल किए गए थे। इससे साफ है कि यूनिवर्सिटी को जानबूझकर टेरर एक्टिविटीज का कवर बनाया गया था।
- एक ईमेल के ड्राफ्ट का इस्तेमाल: जांच में यह भी पता चला है कि आरोपी एक ही ईमेल अकाउंट का इस्तेमाल करते थे, जहां वे मैसेज को ड्राफ्ट में सेव कर आपस में बात करते थे। हालांकि, वे एन्क्रिप्टेड एप्स के माध्यम से जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के पाकिस्तानी हैंडलर्स के साथ संपर्क में थे।

जांच एजेंसी 15 नवंबर को अल-फलाह यूनिवर्सिटी में i-20 कार के मालिक आमिर अली को लेकर पहुंची थी।
एजेंसियों ने यूनिवर्सिटी को बनाया कमांड सेंटर इस मामले में NIA, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल, फरीदाबाद क्राइम ब्रांच, जम्मू-कश्मीर पुलिस और यूपी ATS मिलकर काम कर रही हैं। इन एजेंसियों ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी को जांच पूरी होने तक अपना अस्थाई कमांड कंट्रोल सेंटर बना लिया है। गेट पर सभी अधिकारियों का रिकॉर्ड मेंटेन किया जा रहा है। उनसे यह भी पूछा जा रहा है कि वह किस काम ये यहां आए हैं। वाहनों की तलाशी भी ली जा रही है।
वहीं, इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) यह पता लगा रही है कि यूनिवर्सिटी को पैसा कहां से मिल रहा था। रविवार को उनकी टीम आई थी, लेकिन अभी जांच शुरू नहीं हुई है। वे यहां जमीन के कागजात, पैसे से जुड़े रिकॉर्ड, हॉस्टल के रिकॉर्ड और प्रोफेसरों की भर्ती से जुड़ी जानकारी भी देखेंगे।
फरीदाबाद पुलिस ने J&K पुलिस को सतर्क किया था फरीदाबाद पुलिस ने जम्मू-कश्मीर पुलिस को पहले ही विस्फोटक सामग्री के बारे में सतर्क किया था, जब डॉ. मुजम्मिल अहमद के किराए के कमरों से विस्फोटक बरामद हुआ था। फरीदाबाद पुलिस ने जम्मू-कश्मीर पुलिस को सावधानी बरतने की सलाह दी थी, क्योंकि विस्फोट का खतरा था।
हालांकि, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जब्त सामग्री को नौगाम थाने में ही रख दिया, जिससे विस्फोट हो गया। पुलिस सूत्रों का कहना है कि इस तरह की सामग्री को अलग रखना चाहिए और सावधानी बरतनी चाहिए, लेकिन ऐसा लगता है कि इस मामले में पूरी सावधानी नहीं बरती गई।
थानों से सिलेंडर और पटाखे हटाने का आदेश नौगाम थाने में हुए हादसे से सीख लेते हुए फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नर सत्येंद्र कुमार ने सभी थाना इंचार्ज को आदेश दिया है कि वे अपने थानों में आग पकड़ने वाली चीजों को अलग रखें। उन्होंने खासकर दीवाली पर जब्त किए गए पटाखों को लेकर सावधानी बरतने को कहा है। साथ ही, थानों में रखे गैस सिलेंडरों को भी हटाने के लिए कहा गया है, क्योंकि उनसे गैस लीक होने से धमाका हो सकता है।
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दिल्ली ब्लास्ट केस में डॉक्टर-इमाम ही नहीं, अब पेशेंट मॉड्यूल भी सामने आ रहा है। जिसमें डॉ. मुजम्मिल, लेडी डॉ. शाहीन और डॉ. उमर नबी मरीजों की मदद के बहाने ऐसे शिकार ढूंढते थे, जिनका वो जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल कर सकें। ये डॉक्टर मरीजों के घर तक पहुंच जाते थे। वहां परिवार को बारीकी से जायजा लेते। फिर अहसान में दबाते। ऐसे 3 केस सामने आ चुके हैं। ऐसे पेशेंट भी अब जांच एजेंसियों को रडार पर हैं। पूरी खबर पढ़ें…

