हैदराबाद के सांसद ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “आप भारतीय गणराज्य के मंत्री हैं, राजा नहीं. किरेन रिजिजू आप संवैधानिक पद पर हैं, सिंहासन पर नहीं. अल्पसंख्यकों के अधिकार उनके मौलिक अधिकार हैं, कोई खैरात नहीं.” ओवैसी ने आरोप लगाते हुए कहा, “भारत के अल्पसंख्यक अब दूसरे दर्जे के नागरिक भी नहीं हैं. हम बंधक हैं.”
उन्होंने आगे कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने मौलाना आज़ाद नेशनल फ़ेलोशिप को ‘बंद’ कर दिया, 10वीं पूर्व की छात्रवृत्ति का वित्तपोषण ‘बंद’ कर दिया और 10वीं बाद की छात्रवृत्ति तथा प्रतिभा सह आर्थिक आधार से जुड़ी छात्रवृत्ति को सीमित कर दिया. उन्होंने कहा, “यह सब इसलिए क्योंकि इससे मुस्लिम छात्रों को फायदा हुआ.”
ओवैसी ने कहा, “हम दूसरे देशों के अल्पसंख्यकों से अपनी तुलना नहीं चाहते. हम बहुसंख्यक समुदाय को मिलने वाली सुविधाओं से ज्यादा की मांग नहीं कर रहे हैं. हम संविधान में दिए गए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय की मांग कर रहे हैं.”
ओवैसी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में पलटवार करते हुए कहा, “अगर हम पलायन नहीं करते हैं तो इसका मतलब है कि हम खुश हैं. दरअसल, हमें भागने की आदत नहीं है: हम अंग्रेजों से नहीं भागे, हम विभाजन के दौरान नहीं भागे और हम जम्मू, नेल्ली, गुजरात, मुरादाबाद, दिल्ली आदि नरसंहारों के कारण नहीं भागे. हमारा इतिहास इस बात का सबूत है कि हम न तो अपने उत्पीड़कों का साथ देते हैं और न ही उनसे छिपते हैं.”
ओवैसी ने कहा, “हम जानते हैं कि अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए कैसे लड़ना है और हम इंशाअल्लाह ऐसा करेंगे. हमारे महान राष्ट्र की तुलना पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल और श्रीलंका जैसे असफल राज्यों से करना बंद करें. जय हिंद, जय संविधान! इस मामले पर ध्यान देने के लिए आपको धन्यवाद!”