नई दिल्ली. आमिर खान की गिनती बॉलीवुड के शानदार सितारों में होती है. उन्होंने प्रोड्यूसर के रूप में भी अपनी अलग पहचान बनाई है. आमिर खान ने लगान, डेली बेली, जाने तू या जाने ना, लापता लेडीज और धोबी घाट जैसी कई फिल्में बनाई हैं, जिन्हें क्रिटिक्स ने भी सराहा है. हाल ही में आमिर ने खुलासा किया कि शुरुआत में प्रोड्यूसर नहीं बनना चाहता थे. उन्होंने फिल्ममेकिंग की दुनिया में कदम सिर्फ इसलिए रखा, क्योंकि उनके पिता ताहिर हुसैन ने उन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित किया.
कोमल नाहटा के पॉडकास्ट गेम चेंजर्स पर
आमिर खान ने बताया कि कैसे अपने पिता को एक प्रोड्यूसर के रूप में संघर्ष करते हुए देखकर उन्होंने तय कर लिया था कि उन्हें इस लाइन में नहीं आना है. उन्होंने कहा, ‘जब मैंने अपने पिता का करियर देखा, तो मुझे एहसास हुआ कि मुझे प्रोड्यूसर कभी नहीं बनना है. प्रोड्यूसर को सबसे ज्यदा मेहनत करनी पड़ती है, सारा रिस्क उसी का होता है और इसके बावजूद लोग उसी को गालियां देते हैं. कई बार टीम भी साथ नहीं देती और यही वजह थी कि मेरे पापा की फिल्म लॉकेट बनने में 8 साल लग गए थे. ये सब देखकर मैंने सोचा कि अब मैं एक्टर बन गया हूं, थोड़ी सफलता भी मिली है और कयामत से कयामत तक चल गई है तो फिर मुझे प्रोड्यूसर बनने की क्या जरूरत है.’
कभी प्रोड्यूसर नहीं बनना चाहते थे आमिर खान
आमिर खान ने बताया, ‘अपने शुरुआती करियर में मैंने कई इंटरव्यू दिए, जिनमें लोग मुझसे पूछते थे कि आप फिल्म कब प्रोड्यूस करेंगे? और मैं हमेशा कहता था कि कभी नहीं. मैं डायरेक्टर बन सकता हूं, मैं एक्टिंग कर रहा हूं, लेकिन प्रोड्यूसर कभी नहीं बनूंगा. लेकिन इस तरह के ठोस बयान कभी नहीं देने चाहिए. जब मैंने लगान की स्क्रिप्ट पढ़ी, तो मुझे बहुत पसंद आई, लेकिन मैं सोचने लगा कि इसे प्रोड्यूस कौन करेगा. मैं रोज इस बारे में सोचता था. मुझे डर लगता था. फिर मैंने उन लोगों के बारे में सोचा जिनका मैं फैन हूं जैसे-गुरु दत्त, बिमल रॉय, के आसिफ और चेतन आनंद. उन्होंने जो चाहा, वही बनाया और उसमें हिम्मत दिखाई. मैं इन महान लोगों से प्रेरित हुआ और खुद से कहा कि मुझे अपने डर को पीछे छोड़कर यह फिल्म बनानी चाहिए.’
आमिर खान को सता रहा था डर
आमिर खान ने बताया कि उन्हें लगान की स्क्रिप्ट बहुत पसंद आई थी. उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें डर था कि कोई इस फिल्म को सपोर्ट नहीं करेगा और अगर कोई करेगा भी, तो शायद वह इसमें उतना इन्वेस्ट नहीं करेगा जितना यह फिल्म वाकई में डिजर्व करती है आमिर ने बताया कि आखिर में अपने पिता की सलाह मानी, जिसके बाद उन्होने लगान को खुद प्रोड्यूस करने का फैसला किया.
पिता ताहिर हुसैन ने दी हिम्मत
आमिर ने कहा, ‘मैंने लगान की नैरेशन के लिए अपनी पत्नी और मां-पिता को बुलाया. आशुतोष ने नैरेशन किया और मुझे याद है कि मैं बस उनके चेहरों को देखता रहा, जैसे पूरी फिल्म वहीं चल रही हो. जैसे ही नैरेशन खत्म हुआ, तो मैंने रीना से पूछा, तो उन्होंने कहा कि बहुत शानदार कहानी है, मुझे वाकई बहुत पसंद आई. फिर मैंने अपने माता-पिता से पूछा और उन्होंने भी स्क्रिप्ट की तारीफ की. फिर मैंने अपने पिता से पूछा कि क्या यह कहानी कुछ ज्यादा ही अलग है और क्या हम इतने बड़े स्तर पर इसे कर भी पाएंगे? तब उन्होंने कहा कि अच्छी कहानी बहुत मुश्किल से मिलती है. एक दफा अच्छी कहानी मिल जाए ना, तो ज्यादा सोचो मत.’