मुंबई13 मिनट पहले
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संजय राउत ने स्टालिन के बयान पर कहा कि दक्षिण राज्यों की हिंदी विरोध की लड़ाई अलग है
महाराष्ट्र सरकार ने फैसला लिया था कि कक्षा 1 से 5 तक हिंदी तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाई जाएगी, लेकिन विरोध के बाद सरकार ने यह फैसला वापस ले लिया। इस जीत का जश्न मनाने के लिए शनिवार को उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे सालों बाद एक मंच पर आए।
हालांकि, अगले ही दिन रविवार को उद्धव की शिवसेना ने साफ किया कि उनकी पार्टी हिंदी भाषा के खिलाफ नहीं है। पार्टी के नेता संजय राउत ने कहा;-

तमिलनाडु में जो हिंदी विरोध है, उसमें वे न हिंदी बोलते हैं और न दूसरों को बोलने देते हैं। लेकिन महाराष्ट्र में हमारा ऐसा कोई रुख नहीं है। हम हिंदी बोलते हैं, यहां हिंदी फिल्में, थिएटर और संगीत भी है। हमारी लड़ाई सिर्फ प्राथमिक शिक्षा में हिंदी थोपने के खिलाफ है।
राउत ने कहा कि DMK नेता एम.के. स्टालिन को उनके संघर्ष के लिए शुभकामनाएं, लेकिन हमारी सीमाएं स्पष्ट हैं।
स्टालिन बोले- हमारी हिंदी विरोधी लड़ाई महाराष्ट्र पहुंची

उद्धव-राज ठाकरे बोले- मराठी के लिए लड़ना गुंडागर्दी, तो हम गुंडे महाराष्ट्र में हिंदी को लेकर जारी विवाद के बीच उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने ‘मराठी एकता’ पर शनिवार को मुंबई के वर्ली सभागार में ‘मराठी विजय रैली’ की। दोनों ने 48 मिनट तक हिंदी-मराठी भाषा विवाद, मुंबई-महाराष्ट्र, भाजपा और केंद्र सरकार पर निशाना साधा।
दोनों नेताओं ने कहा- तीन भाषा का फॉर्मूला केंद्र से आया। हिंदी से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इसे थोपा नहीं जाना चाहिए। अगर मराठी के लिए लड़ना गुंडागर्दी है तो हम गुंडे हैं।
उद्धव और राज 20 साल बाद एक मंच पर साथ नजर आए। आखिरी बार 2006 में बाला साहेब ठाकरे की रैली में साथ दिखे थे। उद्धव को शिवसेना का मुखिया बनाने के बाद राज ने अलग पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) बनाई थी। तब दोनों के रिश्ते अच्छे नहीं थे।

उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे 20 साल बाद एक मंच पर दिखे।
20 साल बाद एक मंच पर साथ नजर आए उद्धव-राज उद्धव और राज 20 साल बाद एक मंच पर साथ नजर आए। आखिरी बार 2006 में बाला साहेब ठाकरे की रैली में साथ दिखे थे। उद्धव को शिवसेना का मुखिया बनाने के बाद राज ने अलग पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) बनाई थी। तब दोनों के रिश्ते अच्छे नहीं थे।

उद्धव-राज की यह फोटो शिवसेना ने सोशल मीडिया पर शेयर की है।
सबसे पहले राज ठाकरे 25 मिनट बोले, कहा- आडवाणी भी मिशनरी स्कूल में पढ़े
- तीन भाषा का फॉर्मूला केंद्र से आया: ‘ये तीन भाषा का फॉर्मूला कहां से आया, ये सिर्फ केंद्र सरकार से आया है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में आज सब कुछ अंग्रेजी में है। किसी और राज्य में ऐसा नहीं है। सिर्फ महाराष्ट्र में ही ऐसा क्यों? जब महाराष्ट्र जागता है, तो दुनिया देखती है।’
- हमारे बच्चे ही नहीं, सभी अंग्रेजी स्कूल में पढ़ें: हमारे बच्चे इंग्लिश मीडियम जाते हैं तो हमारी मराठी पर सवाल उठते हैं। लालकृष्ण आडवाणी मिशनरी स्कूल में पढ़े। दक्षिण में स्टालिन, कनिमोझी, जयललिता, नारा लोकेश, आर रहमान, सूर्या, सभी ने अंग्रेजी में पढ़ाई की है। रहमान ने डायस छोड़ दिया जब एक वक्ता ने हिंदी में बोलना शुरू किया। बालासाहेब और मेरे पिता श्रीकांत ठाकरे ने अंग्रेजी में पढ़ाई की है, लेकिन वे मातृभाषा मराठी के प्रति बहुत संवेदनशील थे।
- अगर आप किसी को पीटते हैं, तो वीडियो न बनाएं: ‘चाहे गुजराती हो या कोई और, उसे मराठी आनी चाहिए, लेकिन अगर कोई मराठी नहीं बोलता तो उसे पीटने की जरूरत नहीं है, लेकिन अगर कोई बेकार का ड्रामा करता है तो आपको उसके कान के नीचे मारना चाहिए। अगर आप किसी को पीटते हैं, तो घटना का वीडियो न बनाएं।

उद्धव ने 24 मिनट स्पीच दी, कहा- तो हां, हम गुंडे हैं
- हम भी गुंडे हैं: 1992 में जब मुंबई में हिंसा फैली थी, तो यहां के मराठी लोगों ने हिंदुओं की जान बचाई थी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बोला है कि वह गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं करेंगे। तो उन्हें बता देना चाहता हूं कि अगर वह अपनी भाषा (मराठी) को लेकर गुंडागर्दी करेंगे तो फिर हम भी गुंडे हैं।
- हिंदी थोपना बर्दाश्त नहीं: आजादी के वक्त हमने मुंबई के लिए लड़ाई लड़ी। उस समय के राजनेता नहीं चाहते थे कि महाराष्ट्र में मराठी हों। अब केंद्र की मोदी सरकार कहती है कि हिंदी, हिंदू और हिंदुस्तान। हमें हिंदू और हिंदुस्तान तो चाहिए, लेकिन जबरदस्ती हिंदी थोपना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आपकी सात पीढ़ियां भी अगर हम पर हिंदी थोपेंगी तब भी हम ऐसा होने नहीं देंगे।
- हमारा इस्तेमाल कर फेंक दिया गया: उद्धव ठाकरे ने कहा, आज कई बाबा ज्योतिषी व्यस्त हैं। कोई हमारी कुंडली देख रहा है, ये जानने के लिए कि हम (राज-उद्धव) साथ आएंगे। हम दोनों ने इसका अनुभव किया है कि किस प्रकार हमारा इस्तेमाल कर फेंक दिया जाता है। आज हम दोनों साथ हैं। हम दोनों भाइयों के स्कूल बच्चों के स्कूल के बारे में कहा, लेकिन नरेंद्र मोदी किस स्कूल में पढ़े थे।

जानिए, महाराष्ट्र में भाषा विवाद क्या है
- महाराष्ट्र में अप्रैल में 1 से 5वीं तक के स्टूडेंट्स के लिए तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी अनिवार्य की गई थी। ये फैसला राज्य के सभी मराठी और अंग्रेजी मीडियम स्कूलों पर लागू किया गया था।
- नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) 2020 के नए करिकुलम को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र में इन क्लासेज के लिए तीन भाषा की पॉलिसी लागू की गई थी।
- विवाद बढ़ने के बाद अपडेटेड गाइडलाइंस जारी की गई। मराठी और अंग्रेजी मीडियम में कक्षा 1 से 5वीं तक पढ़ने वाले स्टूडेंट्स तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी के अलावा भी दूसरी भारतीय भाषाएं चुन सकते हैं।
- इसके लिए शर्त बस यह होगी कि एक क्लास के कम से कम 20 स्टूडेंट्स हिंदी से इतर दूसरी भाषा को चुनें। ऐसी स्थिति में स्कूल में दूसरी भाषा की टीचर भी अपॉइंट कराई जाएगी। अगर दूसरी भाषा चुनने वाले स्टूडेंट्स का नंबर 20 से कम है तो वह भाषा ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई जाएगी।

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