Agency:एजेंसियां
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जैकब जोसेफ ने उपराष्ट्रपति चुनाव में 22 सांसदों के नकली साइन से नामांकन किया, निर्वाचन आयोग ने फर्जीवाड़ा पकड़कर उनका पर्चा रद्द कर दिया. जांच की संभावना है.
उपराष्ट्रपति चुनाव में गजब ही मामला सामने आया है.मामला केरल के रहने वाले जैकब जोसेफ के नामांकन से जुड़ा है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, जैकब जोसेफ ने अपने पर्चे में 22 सांसदों को ‘प्रपोजर’ और 22 को ‘सेकेंडर’ दिखाया था. नियमों के मुताबिक, उपराष्ट्रपति चुनाव में कोई भी उम्मीदवार तभी वैध माना जाता है, जब उसका नामांकन कम से कम 20 सांसदों के समर्थन और 20 सांसदों के सेकंड करने पर आधारित हो. यही वजह है कि यह सबसे अहम शर्त मानी जाती है.
लेकिन जब निर्वाचन आयोग ने 22 अगस्त को नामांकन पत्रों की जांच शुरू की, तो एक-एक कर इस ‘गड़बड़ी’ के राज़ खुलने लगे. कई सांसदों से संपर्क किया गया तो उन्होंने साफ कहा कि उन्होंने किसी भी उम्मीदवार के समर्थन में न तो हस्ताक्षर किए हैं और न ही किसी नामांकन की जानकारी दी है. यहीं से मामला पकड़ में आ गया.
पहले चरण की छानबीन
जानकारी के मुताबिक, कुल 46 उम्मीदवारों ने इस बार 68 नामांकन दाखिल किए थे. पहले चरण की जांच में ही 28 नामांकन रद्द कर दिए गए. बाद में जब गहन छानबीन हुई तो सिर्फ दो नाम ही बचे सी.पी. राधाकृष्णन और बी. सुधर्शन रेड्डी. दोनों ने चार-चार पर्चे दाखिल किए थे और सभी वैध पाए गए.
लेकिन जैकब जोसेफ का नामांकन सबसे ज्यादा चर्चा में रहा, क्योंकि इसमें ‘फर्जी साइन कांड’ सामने आ गया. चुनाव अधिकारियों के अनुसार, यह सिर्फ तकनीकी गड़बड़ी नहीं बल्कि चुनाव प्रक्रिया के साथ गंभीर छेड़छाड़ की कोशिश है. यही वजह है कि उनका नामांकन तुरंत खारिज कर दिया गया.
विशेषज्ञों की राय और कानूनी नतीजे
अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर किसी उम्मीदवार ने इतनी बड़ी जोखिम उठाने की कोशिश क्यों की? विशेषज्ञों का कहना है कि यह कृत्य फ्रॉड और फर्जीवाड़े की श्रेणी में आता है और इसके कानूनी नतीजे भी हो सकते हैं. संसद के गलियारों में भी यह चर्चा तेज है कि कोई शख्स कैसे इतने सांसदों के फर्जी साइन करके पर्चा जमा करा सकता है और वह भी तब, जब इस प्रक्रिया पर इतनी कड़ी निगरानी होती है.
निर्वाचन आयोग की सख्ती
फिलहाल, निर्वाचन आयोग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए रिकॉर्ड सुरक्षित रख लिए हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि आगे चलकर इस पर जांच बैठ सकती है और जैकब जोसेफ से पूछताछ भी की जाएगी. इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि लोकतंत्र की सबसे अहम प्रक्रियाओं में भी कुछ लोग शॉर्टकट तलाशने से बाज़ नहीं आते. लेकिन राहत की बात यह रही कि नामांकन जांच की सख्ती में फर्जीवाड़े की यह कोशिश पकड़ ली गई, वरना उपराष्ट्रपति चुनाव पर बड़ा दाग लग सकता था.

Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for ‘Hindustan Times Group…और पढ़ें
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