जिले में स्कूल ही नहीं, सरकारी डिस्पेंसरियों के हालात भी अच्छे नहीं हैं। दीवारें फटी हुई हैं, पट्टियाँ टूटी हुई हैं, छत लोहे के एंगल पर टिकी है। बारिश में छतों से पानी गिरता है। सिटी डिस्पेंसरी नंबर एक का डॉट रूम तो बंद ही कर दिया गया है। झालावाड़ मे
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भास्कर ने जिले के स्वास्थ्य विभाग की डिस्पेंसरियों की पड़ताल की तो चौंकाने वाले हालात नजर आए। जिले में कुल 73 यूपीएचसी, सीएचसी, पीएचसी और उप-स्वास्थ्य केंद्रों की हालत खराब है। इनमें से 31 जर्जर हालात में हैं। उनका कोई भी हिस्सा कभी भी गिर सकता है। बाकी सभी मरम्मत की माँग कर रहे हैं। इन भवनों की सूची मई में जिला कलेक्टर को भेजी गई थी, लेकिन अभी तक मरम्मत के प्रस्ताव ही तैयार नहीं हुए हैं।
एनएचएम और पीडब्ल्यूडी के पास भी इनकी मरम्मत को लेकर कोई गाइडलाइन नहीं है। सीएमएचओ स्तर पर इन सभी भवनों की फैक्चुअल रिपोर्ट मंगवाई जा रही है। यह देखा जा रहा है कि किस भवन में कितना हिस्सा मरम्मत योग्य है या गिराकर नया बनवाना है। स्थिति यदि ज्यादा खराब है तो सभी बीसीएमओ से दूसरी डिस्पेंसरी में शिफ्ट करने को कहा गया है।
शहर की 3 सरकारी डिस्पेंसरियाँ जर्जर, बारिश में सभी की छतों से गिरता है पानी
केस 1 : कोटगेट यूपीएचसी 5
डिस्पेंसरी की दीवारों में कई जगह सीलन दौड़ रही है। डिस्पेंसरी प्रभारी डॉ. बिंदू बाला मित्तल ने बताया कि पीछे की तरफ सफील की दीवार से सटे निजी भवन का एक हिस्सा बारिश के कारण 14 जुलाई को ढह गया था, जिससे डिस्पेंसरी को खतरा बना हुआ है। भवन मालिक की कटले में दुकान है। उन्हें कई बार कहा जा चुका, लेकिन मरम्मत नहीं करवा रहे हैं। निगम उपायुक्त को पत्र लिखकर वस्तुस्थिति से अवगत कराया गया है। इस पूरे एरिया में कोटगेट की सफील पर कब्जे हो गए हैं।
केस 2 : अणचाबाई अस्पताल
इसे सिटी डिस्पेंसरी नंबर एक भी कहा जाता है। रियासतकालीन भवन है। कई बार मरम्मत हो चुकी है, लेकिन उसके बाद भी वर्तमान में जर्जर हालत में है। यहाँ पर नर्सिंग ऑफिसर सुनीता डॉट रूम में बैठती हैं। सोमवार को अचानक छत से भारी मात्रा में चूना उन पर गिर पड़ा। घबराकर बाहर दौड़ीं। अब रूम को बंद कर दिया गया है। भवन में कई जगह पट्टियों और दीवारों में सीलन है। बारिश में पानी गिरता है। डॉ. कपिल सारस्वत ने बताया कि भवन को मरम्मत की जरूरत है। पीछे का हिस्सा कभी भी गिर सकता है।
केस 3 : यूपीएचसी 2
यह सरकारी डिस्पेंसरी भुजिया बाजार में है। भवन का एक हिस्सा जमीन से लेकर छत तक फट चुका है। पट्टियाँ क्रैक हो चुकी हैं। गिरें नहीं, इसलिए उन्हें लोहे के एंगल का सपोर्ट दिया हुआ है। प्रभारी डॉ. मनोज सैनी ने बताया कि पूरे भवन में जगह-जगह सीलन है। पट्टियाँ खुली हुई हैं। बारिश होने पर हर कमरे में पानी गिरता है। इस भवन में करीब 50 साल से डिस्पेंसरी चल रही है। उससे पहले कोतवाली थाना लगता था। सबसे पुराना भवन है। शहर के भीतरी हिस्से में होने से रोज करीब 300 मरीजों की ओपीडी रहती है। इस भवन को तोड़कर नया बनाया जाना चाहिए।
ये डिस्पेंसरियाँ मरम्मत योग्य हैं
राणेर, दामोलाई, यूपीएचसी 1, यूपीएचसी 3, यूपीएचसी 5, गजनेर, किलचू, अक्कासर, बरसलपुर, आरडी 820, बादनू, बंबलू, नूरसर, रायसर, हेमेरा, बेनीसर, सत्तासर, मणकरासर, धनेरू, नोसरिया, बाना, जोधासर, नारसीसर, जेतासर, ठुकरियासर, जालबसर, 4बी1केजेडी, रानीसर, रामड़ा, डंडी, शेरपुरा राणेर, मढ़, भाणेका गाँव, माणकासर, भूरासर आबादी, जग्गासर, करणीसर, राववाला, चारणवाला, गोगड़ियावाला, सेवड़ा।
इनकी हालत जर्जर है
यूपीएचसी 2, मूंडसर, टेऊ, कुंतासर, धीरदेसर पुरोहितान, बापेऊ, 22केवाईडी, सियासर पंचकोसा, रामनगर, बीठनोक, गुड़ा, नोखड़ा, टोकला, छिला कश्मीर, मसूरी, गजसुखदेसर, तर्डों की ढाणी, धरनोक, जेडी मगरा, सुरजनसर, देराजसर, सोढ़वाली, गाकूल, राणेर, 2केडब्ल्यूएम, उदासर, बच्छासर और कावनी।
डॉ. पुखराज साध, सीएमएचओ
“जिले में मरम्मत योग्य और जर्जर सरकारी डिस्पेंसरियों की रिपोर्ट जिला कलेक्टर को भेज दी गई है। सभी बीसीएमओ से फैक्चुअल रिपोर्ट मंगवाई जा रही है। उसके आधार पर उनकी मरम्मत के प्रस्ताव बनाए जाएंगे। आजकल रिपेयरिंग के काम एनएचएम के जरिए होने लगे हैं।”
शंभूराम जाटव, एक्सईएन, एनएचएम
“हमारे पास फिलहाल किसी भी सरकारी डिस्पेंसरी भवन की मरम्मत के प्रस्ताव नहीं हैं। अभी सर्वे चल रहा है। पीडब्ल्यूडी सर्वे करवा रही है। हमारे पास कोई दिशा-निर्देश नहीं है। सरकार और प्रशासन कहेगा तब बजट माँगा जाएगा।”