पुशअप्स को आमतौर पर एक सामान्य एक्सरसाइज के तौर पर देखा जाता है, लेकिन यह आपकी फिटनेस का एक सटीक पैमाना भी हो सकता है. ये न सिर्फ शरीर के ऊपरी हिस्से की ताकत को दर्शाता है बल्कि कोर मसल्स की मजबूती और मेंटल सहनशक्ति को भी परखने का जरिया माना जाता है. खास बात यह है कि इसके लिए किसी भी मशीन या जिम की जरूरत नहीं पड़ती है.
इसके साथ ही सवाल यह भी उठता है कि रोजाना कितने पुशअप्स करना पर्याप्त माना जाता है. वहीं क्या उम्र और जेंडर इस आंकड़े को प्रभावित करते हैं और क्या ज्यादा पुशअप्स करने का मतलब है ज्यादा फिटनेस. चलिए आज हम आपको बताएंगे की उम्र और जेंडर के अनुसार कितने पुशअप्स करना पर्याप्त है और इसे लेकर एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं.
कोई परफेक्ट नंबर नहीं लेकिन सामान्य मापदंड जरूरी
एक्सपर्ट्स के अनुसार, पुशअप्स की कोई एक परफेक्ट संख्या नहीं है, जिसे हर व्यक्ति करना ही चाहिए. यह आपकी उम्र, जेंडर, शरीर की संरचना, एक्सरसाइज की हिस्ट्री और जोड़ों की सेहत पर निर्भर करता है. उदाहरण के तौर पर 20 से 30 साल के हेल्दी पुरुष आमतौर पर 20 से 30 पुशअप्स अच्छे से कर सकते हैं. जबकि इसी उम्र की महिलाओं के लिए 15 से 20 पुशअप्स एक अच्छा टारगेट माना जाता है. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, मांसपेशियों की ताकत और जोड़ों की गति में कमी आती है जिससे यह संख्या कम हो सकती है.
हर किसी के लिए अलग होती है फिटनेस
कई एक्सपर्ट्स यह भी बताते हैं कि फिटनेस हर एक व्यक्ति के अनुसार अलग होती है. इसलिए हर व्यक्ति के लिए किसी एक संख्या को लक्ष्य बनाना जरूरी नहीं होता है. ऐसे में बेहतर होता है कि व्यक्ति अपने वर्तमान के लेवल से धीरे-धीरे सुधार करें और सही टेक्निक पर ध्यान दें. एक्सपर्ट्स यह भी कहते हैं कि आपकी लाइफस्टाइल, हार्मोनल बदलाव, चोट की हिस्ट्री और प्रोफेशन सब मिलकर यह तय करते हैं कि आपके लिए कितने पुशअप्स करना फिटनेस का संकेत माना जाएगा.
पुशअप्स ही क्यों हैं अहम
पुशअप्स करने से न सिर्फ चेस्ट, कंधे और बाजुओं की ताकत बढ़ती है बल्कि ये आपकी कोर मसल्स और स्टेमिना को भी सुधारते हैं, हालांकि इन्हें पूरी तरह से फिटनेस का पैमाना नहीं माना जा सकता है. इसलिए इन्हें अन्य एक्सरसाइज जैसे स्क्वैट्स, प्लैंक्स और कार्डियो टेस्ट्स के साथ जोड़ा जाना चाहिए.
ज्यादा पुशअप्स से बेहतर फिटनेस जरूरी नहीं
कई लोग पुशअप्स की संख्या बढ़ाने की जल्दी में गलत फाॅर्म का इस्तेमाल करने लगते हैं, जिससे चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है. वहीं गलत टेक्निक जैसे झुकी हुई पीठ, फैली हुए कोहनी या अधूरे पुशअप्स न सिर्फ असर घटाते हैं बल्कि नुकसानदायक भी हो सकते हैं. इसे लेकर एक्सपर्ट्स सुझाव देते हैं कि शुरुआत वॉल पुशअप्स या इनक्लाइन पुशअप्स से करें. फिर नी पुशअप्स पर जाएं और लास्ट में फुल पुशअप्स करें. इसके साथ ही छाती, कंधे और कोर की ताकत बढ़ाने वाली स्ट्रेंथ ट्रेनिंग को भी अपने रूटीन में शामिल करें.
रिकवरी और रेस्ट भी है जरूरी
हर दिन पुशअप्स करना आपकी मांसपेशियों को थका सकता है और प्रगति की बजाय रुकावट पैदा कर सकता है. इसलिए हफ्ते में 3 से 4 बार पुशअप्स करना बीच में रेस्ट डे रखना और पर्याप्त नींद लेना जरूरी है.
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