देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव में एसडीएम को थप्पड़ मारने के मामले में टोंक एससी-एसटी कोर्ट में चल रही कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी हैं। जस्टिस उमाशंकर व्यास की अदालत ने यह रोक नरेश मीणा की निगरानी याचिका पर सुनवाई करते हुए लगाई।
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याचिका में अधिवक्ता फतेह राम मीणा और रजनीश गुप्ता ने अदालत को बताया कि यह प्रकरण साधारण मारपीट का है। जबकि इसे हत्या के प्रयास के रूप में दिखाकर रिपोर्ट दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि बूथ पर निर्वाचन आयोग द्वारा लगाए गए सीसीटीवी कैमरे और मौके पर मौजूद तहसीलदार के मोबाइल से की गई रिकॉर्डिंग में एसडीएम का गला घोंटने जैसा कुछ भी नहीं है।
एसडीएम की मेडिकल रिपोर्ट में भी गले या शरीर पर किसी तरह की जानलेवा चोट की पुष्टि नहीं हुई है।
नरेश मीणा पर लगाए गए चार्ज आदेश रद्द किए जाए याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि पुलिस ने बीएनएस की धारा 109(1) के तहत हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया और उसी धारा में आरोप पत्र भी पेश कर दिया। अदालत ने भी इसी धारा में नरेश मीणा पर चार्ज फ्रेम कर दिए।
जबकि यह मामला अधिकतम साधारण मारपीट का बनता है, इसलिए याचिकाकर्ता के खिलाफ किए गए चार्ज फ्रेम आदेश को रद्द किया जाए। इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की एकलपीठ ने निचली अदालत की कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगाते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
देवली-उनियारा सीट पर उपचुनाव के दौरान समरावता में हुई थी हिंसा दरअसल, नवंबर-2024 में देवली-उनियारा विधानसभा सीट पर उपचुनाव के दौरान समरावता (टोंक) गांव के लोगों ने वोटिंग का बहिष्कार किया गया था। निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठे थे। इसी दौरान नरेश मीणा ने अधिकारियों पर जबरन मतदान करवाने का आरोप लगाया था। नरेश मीणा पोलिंग बूथ पर आए और उन्होंने SDM अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया था।
नरेश मीणा की ओर से बहस करते हुए कहा कि यह अचानक हुआ घटनाक्रम था, लेकिन पुलिस ने जानलेवा हमले का मामला बनाया है, जो यहां नहीं बनता है।