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इतिहास में ऐसे बहुत कम उदाहरण हैं, जहां किसी ने इतनी कम उम्र में इतनी बड़ी आध्यात्मिक ऊंचाई हासिल की हो. गुरु हर किशन सिंह जी ने बहुत कम उम्र में गुरु गद्दी संभाली. उन्होंने अपने आचरण से औरंगजेब को भी चौंका दिय…और पढ़ें
गुरु हर किशन सिंह के दिल्ली में आने पर औरंगजेब भी चौंक गया था.(Image: Social Media)
इस निर्णय से राम राय नाराज हो गया और मुगल सम्राट औरंगजेब से शिकायत कर दी. औरंगजेब ने जानना चाहा कि आखिर ये छोटा-सा बालक कैसे सिखों का मार्गदर्शक बन गया है. उसने दिल्ली के राजा जय सिंह को गुरु जी को दरबार में बुलाने का आदेश दिया. गुरु जी ने पहले तो आने से मना किया, लेकिन संगत और जय सिंह के आग्रह पर वे दिल्ली आए. दिल्ली उस समय हैजा और चेचक की महामारी से जूझ रही थी. राजा जय सिंह ने उन्हें अपने बंगले में ठहराया, जो आज गुरुद्वारा बंगला साहिब के नाम से प्रसिद्ध है. यहां रहकर गुरु हर किशन सिंह जी ने बिना भेदभाव के बीमारों की सेवा की. अपने नन्हे हाथों से पानी पिलाया, मलहम लगाया और ढांढस बंधाया. उनकी सेवा देख दिल्ली के मुसलमान भी श्रद्धा से नतमस्तक हो गए और उन्हें ‘बाला पीर’ कहना शुरू कर दिया.
गुरु हर किशन सिंह जी की जीवनगाथा सिर्फ सिखों के लिए नहीं, बल्कि पूरे मानव समाज के लिए सेवा, सहानुभूति और परोपकार की मिसाल है. उन्होंने यह दिखा दिया कि उम्र नहीं, भावना ही किसी को महान बनाती है.
Rakesh Singh is a chief sub editor with 14 years of experience in media and publication. International affairs, Politics and agriculture are area of Interest. Many articles written by Rakesh Singh published in …और पढ़ें
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