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Story of Samosa: शायद ही कोई भारतीय है जिसके मन मस्तिष्क का कतरा-कतरा समोसा के स्वाद से न भींगा हो. कहा जाता है कि भारत समोसे के बिना स्नैक्स में अधूरा है. लेकिन क्या आपको पता है कि समोसा आय कहां से. क्या समोसा देसी है या विदेशी. अगर आप इसका जवाब दे देंगे तो वाकई आप इतिहास के जानकार हैं.
शाम का नाश्ता हो या मेहमानों की खातिरदारी, बारात का नाश्ता हो या दोस्तों संग पार्टी, समोसा स्नैक्स का बादशाह है. भारत में शायद ही कोई ऐसा हो जिसने समोसे का स्वाद न चखा हो. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि समोसा आया कहां से हैं. समोसे की कहानी क्या है. समोसा की उत्पत्ति कैसे हुई. अगर आप जानते हैं तो वाकई आप इतिहास के जानकार हैं. अगर आप नहीं जानते हैं तो जवाब जानकर आपको दिल टूटेगा.

सबसे पहले तो यह जान लीजिए कि समोसा अपने देश में पैदा नहीं लिया. इसकी उत्पत्ति मध्य पूर्व और सेंट्रल एशिया में हुई. इसका मतलब यह हुआ कि जिस समोसा को आप शुद्ध देसी समझते थे वह दरअसल, देसी है ही नहीं. समोसे के उत्पत्ति ईरान, इराक, सउदी अरब से लेकर तुर्की तक के देशों में हो चुकी थी. यह कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान जैसे देशों में हमसे पहले से मौजूद था. यह जानकर क्या आपका दिल टूटा.

समोसे का इतिहास बहुत पुराना है. जब मध्य और मध्य एशिया समोसे का विकास हुआ तो इसका नाम समबोसा या संबोसेग था. फिर अलग-अलग देशों में इसका देसीकरण हुआ. आपको जानकर हैरानी होगी जब समोसे का विकास हुआ तो यह वर्तमान रूप में नहीं था बल्कि इसमें मांस या ड्राई फ्रूट्स भरा जाता था. इसे डीप फ्राई भी नहीं किया जाता था.

इन समोसों को अरब के व्यापारियों और यात्रियों ने 10वीं से 13वीं शताब्दी के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप में पहुंचाया, जहां इसका देसीकरण हुआ. चूंकि भारत में शाकाहारी प्रवृति थी जिसके कारण स्थानीय स्वाद और परंपराओं के अनुसार इसके स्वरुप को बदला गया और धीरे-धीरे यह आलू से भरी शाकाहारी और स्वादिष्ट पकवान बन गया जैसा हम आज जानते हैं.

दिल्ली सल्तनत के साथ ही भारत में समोसे का पॉपुलरिटी बढ़ने लगी. समोसा शाही किचन का हिस्सा बन गया. 11वीं सदी के ईरानी इतिहासकार अबुल फजल बैहाकी ने अपनी किताब ‘तारीख-ए-बैहाकी’ में इसका जिक्र किया, जहां यह कीमा और मेवों से भरी एक शाही नमकीन डिश के रूप में परोसी जाती थी. तब इसे न तो तला जाता था और न ही आग में सेंका जाता था.

13वीं-14वीं शताब्दी में जब मध्य एशिया से व्यापारी और मुस्लिम आक्रमणकारी भारत आए तो समोसा भी उनके साथ आया. अमीर खुसरो और इब्न बतूता जैसे लेखकों ने अपने लेखों में इसके स्वाद और लोकप्रियता का जिक्र किया. इब्न बतूता ने भी दुनियाभर में समोसे का प्रचार किया.

17वीं वीं शताब्दी में पुर्तगाली भारत में आलू लाए और इस तरह आलू वाले समोसे बनाए. यहीं से समोसे का असली ‘देसीकरण’ शुरू हुआ. अब इसमें आलू के साथ-साथ मटर और मसाले जैसी चीजें भरकर गरम तेल में डीप फ्राई करके परोसा जाता है. आज समोसा न सिर्फ एक स्ट्रीट फूड है बल्कि हर भारतीय की आत्मा से जुड़ा हुआ लाजवाब स्वाद है. इनपुट-आईएएनएस