वरुण शर्मा | मुजफ्फरनगर2 मिनट पहले
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स्वामी यशवीर महाराज।
मुजफ्फरनगर श्रावण मास का पवित्र महीना 11 जुलाई से आरंभ हो रहा है। वहीं हरिद्वार से गंगाजल लेकर आ रहे शिव भक्त कावड़ियों का रेला हरिद्वार से लेकर मुजफ्फरनगर तक की सड़कों पर अब देखने को मिलेगा।
मुजफ्फरनगर योग साधना आश्रम के स्वामी यशवीर महाराज लगातार कावड़ यात्रा में अपने अभियान को लेकर चर्चाओं में है। वहीं कावड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले ढाबा और रेस्टोरेंट पर भगवान वराह के चित्र लगवा रहे हैं। जिससे पता लग सके यह दुकान हिंदू की है और कावड़ यात्रा में आने वाले लाखों शिव भक्तों को इन ढाबों पर रुकने और खाना खाने के लिए सोचा ना पड़े। जिसको लेकर यह पूरा अभियान चल रहा है। स्वामी यशवीर महाराज का कहना है यह अब एक क्रांति है जो पूरे देश में फैलेगी। किसी को भी सनातन धर्म से खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
मुस्लिम कावड़ बनाने का करते हैं काम
वहीं योग साधना आश्रम बघरा मुजफ्फरनगर से दारुल उलूम देवबन्द मदरसे के फतवा विभाग पर जमकर बरसे स्वामी यशवीर महाराज ने कहा कि हरिद्वार में 90 लोग मुस्लिम कावड़ बनाने का काम करते हैं। इसलिए हरिद्वार से कावड़ ला रहे शिव भक्त कावड़ियों को उनसे कावड़ नहीं खरीदनी चाहिए, नहीं तो ना ही व कावड़ लगेगी क्योंकि व अपवित्र है। उल्टा यह कार्य पाप की श्रेणी में आएगा। इससे अच्छा तो यह है डंडे में दो कावड़ लोटा या कान लेकर चलें व कावड़ पर पवित्र भी होगी और जलाभिषेक भी लगेगा। अन्यथा मुस्लिम लोगों के हाथ से बनी कावड़ के कोई मायने नही खंडित कावड़ है। अपवित्र कावड़ में आपने गंगाजल को भर लिया है यह नहीं लगेगी।

कावड़ बनाना हमारी मूर्ति पूजा का अंग
स्वामी यशवीर महाराज ने दारुल उलूम देवबंद मदरसे के फतवा विभाग को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा दारुल उलूम देवबन्द का जो फतवा विभाग है। मैं उनसे कहना चाहता हूं जब मूर्ति पूजा करना मूर्ति पूजा का सामान बेचना मूर्ति पूजा का प्रसाद बेचना इस्लाम मजहब में ना जायज है, तो कावड़ बनाना हमारी मूर्ति पूजा का अंग है। उनको कवर बनाने का अधिकार किसने दिया। आपने दिया है तो आप बताएं और नहीं दिया आपने तो इस्लाम मजहब के खिलाफ कावड़ बनाकर के नाजायज काम क्यों कर रहे हैं। दारुल उलूम मदरसे देवबंद के फतवा विभाग ने अब तक उनके खिलाफ फतवा क्यों नहीं दिया। उनको इस्लाम से खारिज क्यों नहीं किया।