कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ), सहकारी समितियों और स्वयं सहायता समूहों को भी व्यापार के लिए प्रदेश की कृषि उपज मंडियों में यार्ड की जगह उपलब्ध करवाई जाएगी। यह सुविधा राज्य में संचालित समस्त पंजीकृत कृषक उत्पादक संगठन, क्रय-विक्रय सहकारी समितियों, स्वयं
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शासन सचिव कृषि एवं उद्यानिकी राजन विशाल के अनुसार कृषि विपणन विभाग द्वारा कृषक उत्पादक संगठनों को कृषि जिन्सों के क्रय-विक्रय हेतु राज्य के सभी मंडी यार्डों में प्लेटफॉर्म चिह्नित करने के लिए मंडी सचिवों को निर्देशित कर दिया गया है। जिससे कृषक उत्पादक संगठनों को अपने उत्पाद बेचने के लिए मंडी प्रांगण में एक निश्चित जगह मिल सकेगी। वे मंडी के व्यापारियों की तरह ही वहां व्यापार कर सकेंगे। उन्हें मंडी में ग्राहकों के लिए भी इंतजार नहीं करना पड़ेगा। राज्य सरकार ने इनकी समस्याओं को दूर करने और अलग- अलग विभागों के बीच समन्वय बनाने के लिए राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड को नोडल एजेन्सी नियुक्त किया था।
केंद्रीय प्रोत्साहन योजना के तहत प्रदेश में 589 एफपीओ पंजीकृत हैं। इनके अलावा वर्ष 2024-25 में 50 नए एफपीओ बनाने के लिए जिलेवार लक्ष्य दे दिए गए थे। 41 जिलों में एक-एक, वहीं संभाग स्तर पर अलवर व सीकर में एक-एक अतिरिक्त एमओयू करने की प्रक्रिया को जल्द ही पूरा किया जाएगा। मौजूदा वर्ष में 125 एफपीओ का लक्ष्य तय किया है।
प्रदेश में 150 मंडी व कृषि से जुड़ी 1363 समितियां
राजस्थान में 150 कृषि उपज मंडियां हैं। इनमें दो-चार को छोड़कर सभी ई–नाम प्लेटफॉर्म से जुड़ी हुई हैं। यहां के भाव ऑनलाइन पता चलते हैं। इन मंडियों में दुकानों के साथ साथ बीच–बीच में प्लेटफॉर्म बने होते हैं। अधिकांश जगह व्यापारियों का ही सामान पड़ा रहता है। किसान, एफपीओ और सहकारी समितियों को जगह नहीं मिल पाती। मगर अब सरकार ने मंडी सचिवों से स्थान चिह्नित करने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में कृषि से जुड़ी 1363 समितियों को भी फायदा होगा।