‘क्या आप मजाक कर रहे हैं? फिल्म का ऑफर मिलते ही सकपका गया Flop एक्टर, फिर बॉक्स ऑफिस पर हो गई थी बल्ले-बल्ले

0
‘क्या आप मजाक कर रहे हैं? फिल्म का ऑफर मिलते ही सकपका गया Flop एक्टर, फिर बॉक्स ऑफिस पर हो गई थी बल्ले-बल्ले


नई दिल्ली. भारतीय सिनेमा के महान फिल्ममेकर राज कपूर के सबसे छोटे बेटे राजीव कपूर ने अपने पिता या भाइयों (ऋषि कपूर और रणधीर कपूर) जितनी शोहरत तो नहीं पाई, लेकिन साल 1985 में आई उनकी फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ आज भी दर्शकों के दिलों में जिंदा है. यह फिल्म न सिर्फ राजीव के करियर की सबसे बड़ी हिट साबित हुई, बल्कि इसने बॉक्स ऑफिस पर भी धमाल मचा दिया. राजीव आज तो इस दुनिया में नहीं है, लेकिन पिता के फिल्म का हीरो बनने के अपने को एक बार खुद बयां किया था.

राजीव कपूर का एक्टिंग करियर लंबा नहीं चला, लेकिन ‘राम तेरी गंगा मैली’ ने उन्हें बॉलीवुड में अमर कर दिया. यह फिल्म न सिर्फ एक ब्लॉकबस्टर थी, बल्कि राज कपूर की विरासत का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई. आज भी जब इस फिल्म का नाम आता है, दर्शकों के जहन में राजीव कपूर और मंदाकिनी की यादें ताजा हो जाती हैं. लहरें रेट्रो को दिए एक पुराने इंटरव्यू में राजीव ने खुलासा किया था कि कैसे उनके पिता ने उन्हें फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ के लिए सेलेक्ट किया और इंडस्ट्री में हीरो बनाकर इंट्रोड्यूज कर दिया, जबकि वे सिर्फ उनका असिस्टेंट बनना चाहते थे.

राज कपूर का असिस्टेंट बनना था राजी कपूर का सपना

बातचीत में राजीव ने बताया,’मैंने सिर्फ इतनी गुजारिश की थी कि मुझे राज कपूर साहब का असिस्टेंट बनने का मौका मिल जाए. मैं उनका बेटा जरूर था, लेकिन वे मेरे गुरु भी थे और मैं उनका शिष्य. यह मौका मुझे तब मिला जब उन्होंने साल 1882 में ‘प्रेम रोग’ बनानी शुरू की और मुझे अपना असिस्टेंट रख लिया. यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी क्योंकि मुझे एक महान व्यक्ति से सीखने का अवसर मिल रहा था.’

राजीव कपूर को अपने दोनों भाईयों जैसा स्टारडम नहीं मिला.

‘मैं तुम्हारे लिए कुछ क्यों शुरू करूं, तुम खुद करो’

हालांकि, राज कपूर चाहते थे कि राजीव अपने दम पर एक्टिंग की दुनिया में कदम रखें. राजीव ने कहा, ‘वे हमेशा चाहते थे कि मैं पहली बार खुद से काम करूं… जैसे उन्होंने किया था. उनका मानना था, ‘मैं तुम्हारे लिए कुछ क्यों शुरू करूं… तुम खुद करो.’

‘सर, आप मजाक कर रहे हैं…’

लेकिन ‘प्रेम रोग’ के सेट पर राज कपूर की डायरेक्शन देखकर राजीव का सपना बदल गया. उन्होंने कहा, ‘मैंने भगवान से प्रार्थना की. मैंने चार-पांच फिल्में साइन कर ली थीं… लेकिन मुझे एक मौका दो कि मैं अपने पिता की फिल्म में काम करूं. उस समय ‘राम तेरी गंगा मैली’ उनके दिमाग में भी नहीं थी. लेकिन 6-7 महीने बाद, एक शाम उन्होंने मुझे बुलाया और पूछा, ‘क्या तुम मेरे साथ काम करोगे?’ मैं समझ नहीं पाया. फिर उन्होंने कहा, ‘तुम्हारी डेट्स क्या हैं? मैं चाहता हूं कि तुम मेरी अगली फिल्म में काम करो.’ मैंने कहा, ‘सर, आप मजाक कर रहे हैं… बस बताइए कब शुरू करना है.’ और ऐसा ही हुआ. मैंने अपनी सारी डेट्स उन्हें दे दीं और बाकी सभी प्रोजेक्ट्स कैंसिल कर दिए.’

Raj Kapoor, Rajiv Kapoor, how Rajiv Kapoor get Ram Teri Ganga Maili, when director Raj Kapoor offered Ram Teri Ganga Maili tohis Flop son, Rajiv Kapoor Ram Teri Ganga Maili, Ram Teri Ganga Maili, rajiv kapoor relation with raj kapoor, Ram Teri Ganga Maili starcast, Ram Teri Ganga Maili Budget and collection, राजीव कपूर, राज कपूर, राम तेरी गंगा मैली, कैसे राजीव कपूर को मिली राम तेरी गंगा मैली, राम तेरी गंगा मैली का बजटऔर कलेक्शन, राम तेरी गंगा मैली के गानें, क्यों खास रही राम तेरी गंगा मैली
राज कपूर ने यह फिल्म बनाने का आइडिया अपनी 1960 की फिल्मों में से एक, ‘जिस देश में गंगा बहती है’ के एक सीन से आया था.

4-5 करोड़ रुपये का बजट में तैयार हुई थी ‘राम तेरी गंगा मैली’

राज कपूर की आखिरी निर्देशित फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ को बनाने में करीब 4-5 करोड़ रुपये का बजट लगा था, जो उस समय के हिसाब से काफी बड़ी रकम थी. फिल्म की शूटिंग हिमालय से लेकर वाराणसी तक हुई और राज कपूर ने इसे विजुअली स्टनिंग बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. फिल्म रिलीज होते ही सुपरहिट हो गई और बॉक्स ऑफिस पर 15-20 करोड़ रुपये की कमाई की. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह 1985 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक थी. आज के समय के हिसाब से इसकी कमाई 150-200 करोड़ के आसपास होगी.

क्यों खास रही ‘राम तेरी गंगा मैली’?

मंदीर से मंदीर तक की कहानी: फिल्म में गंगा (मंदाकिनी) का पवित्रता से भ्रष्टाचार तक का सफर दिखाया गया था, जिसने दर्शकों को भावुक कर दिया.

यादगार संगीत: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का संगीत, फिल्म के गाने खासकर गाने ‘राम तेरी गंगा मैली हो गई’ और ‘सुन साहिबा सुन’ आज भी लोकप्रिय हैं.

राज कपूर की आखिरी फिल्म: यह राज कपूर की आखिरी निर्देशित फिल्म थी, जिसे उन्होंने अपने सबसे छोटे बेटे के साथ बनाकर इतिहास रच दिया.



Source link