1. आटे की तैयारी- नींव जितनी मजबूत, पूरियां उतनी फूली
यहां की महिलाएं गेहूं के आटे में थोड़ी सी सूजी (रवा) मिलाती हैं. आमतौर पर एक किलो आटे में 200 ग्राम सूजी डाली जाती है. यह सूजी पूरियों को कुरकुरा बनाती है और तलते समय अच्छी तरह फुलाने में मदद करती है. इसके साथ थोड़ा सा नमक और गर्म तेल (मोयन) मिलाया जाता है. करीब दो चम्मच तेल एक किलो आटे में. आटे को गूंथते समय ये ध्यान रखा जाता है कि आटा न तो बहुत सख्त हो और न ही ज्यादा नरम. निमाड़ की महिलाएं इसे थोड़ा टाइट लेकिन उंगली दबाओ तो निशान पड़े, ऐसे गूंथती हैं. गूंथने के बाद आटे को 15-20 मिनट ढककर रखा जाता है ताकि ग्लूटन सेट हो जाए.
खंडवा-निमाड़ में पूरियों को बेलते समय उनकी मोटाई का खास ध्यान रखा जाता है. बहुत पतली पूरी तलते समय फट जाती है और बहुत मोटी फूलती नहीं है, इसलिए महिलाएं पूरियों को न ज्यादा मोटा और न पतला करती हैं. वे मध्यम मोटाई में बेलती हैं. बेलन से बेलते समय सूखा आटा नहीं लगाया जाता बल्कि हाथ में थोड़ा सा तेल लगाकर ही बेल लिया जाता है ताकि तलते समय तेल में गंदगी न हो.
यहां की पूरियों को तलने के लिए सरसों का तेल या फिर रिफाइंड तेल का प्रयोग किया जाता है लेकिन खास बात यह है कि तेल को अच्छी तरह गरम किया जाता है. खंडवा की महिलाएं जानती हैं कि सही तापमान पर ही पूरी फूलेगी, वरना वो सीधे तेल सोख लेगी. जब तेल से हल्का धुआं उठने लगे, तो आंच को थोड़ा धीमा कर लिया जाता है और फिर पूरियां डाली जाती हैं. पूरियों को डालते ही जैसे ही वो ऊपर आने लगती हैं, एक बड़ा चम्मच लेकर उसे हल्के हाथ से दबाया जाता है, जिससे वो गुब्बारे की तरह फूल जाती हैं.
4. निकालने का तरीका– न तेल में छोड़ें, न कागज पर सुखाएं
तली गई पूरियों को तुरंत जालीदार छननी में निकालकर एक प्लेट में रखते हैं. खंडवा-निमाड़ की महिलाएं इन पर किचन टॉवल या पेपर नहीं रखतीं, जिससे पूरियों का करारापन बना रहता है. अगर पूरियां तुरंत परोसी जानी हों, तो गरमागरम पूरी का स्वाद दोगुना होता है.
5. खास बात– पूरियों के साथ क्या परोसा जाता है?
यहां की पूरियों के साथ आमतौर पर मसालेदार आलू की भाजी, बेसन की कढ़ी या फिर मीठे में सूजी का हलवा परोसा जाता है. विवाह या व्रत के प्रसाद में तो ये कॉम्बिनेशन आम है, पूरी, भाजी और हलवा. खंडवा-निमाड़ की पूरियां केवल एक व्यंजन नहीं बल्कि यहां की सांस्कृतिक पहचान हैं. यहां की महिलाएं पीढ़ियों से इस कला को संजोती आ रही हैं, बिना किसी खास उपकरण या महंगे सामान के. अगर आप भी करारी और फूली हुई पूरियों का असली देसी स्वाद लेना चाहते हैं, तो एक बार इस पारंपरिक तरीके से जरूर बनाएं. यकीन मानिए, एक बार खा लेंगे, तो हर बार ऐसे ही बनाना चाहेंगे.