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–जतिन कुमार, 10वीं बोर्ड में 95.33% नंबर लाने वाले
पिता अखबार बांटते हैं, आर्थिक तंगी के बावजूद अपनी तीन बेटियों की पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने दी।
-राशि प्रजापति, 10वीं बोर्ड में 99.50% नंबर लाने वाली

ऑटो ड्राइवर पिता ने संघर्ष करके हमें पढ़ाया, अब आईएएस अधिकारी बनकर पिता को लाल बत्ती की गाड़ी में बैठाना है।
– निशा चांवला, 10वीं बोर्ड में 98.67% नंबर लाने वाली

पिता मजदूरी करते है, लेकिन ज्यादातर बीमार रहते हैं। अब डॉक्टर बनना चाहती हूं, हर गरीब इंसान की मदद कर सकूं
-रिनेश कुमारी, 10वीं बोर्ड में 97.17% नंबर लाने वाली
ये वो चार बच्चे हैं, जिन्होंने तमाम मुश्किलों के बाद भी 10वीं बोर्ड में अपना लक्ष्य हासिल की। सभी ने 99.50% से लेकर 95.33% नंबर तक हासिल किए।
होनहार बच्चों की कहानी आप भी पढ़िए…

95.33 पर्सेंटज लाने वाले जतिन कुमार की मां अपनी मां मंजू देवी की मां अपने बेटे की सक्सेस को देखकर बहुत खुश हैं।
ईंटों से बनी छोटी सी कच्ची झोपड़ी में रहता है जतिन
अलवर में बख्तल की चौकी के पास रहने वाले जतिन कुमार ने 95.33 प्रतिशत अंक के साथ 10वीं की परीक्षा पास की है। भास्कर की टीम जतिन के घर पहुंची तो ईंटों से बनी छोटी सी झोपड़ी मिली।
जतिन की मां मंजू देवी ने बताया- रिजल्ट वाले दिन काम पर गई थी, लेकिन मन नहीं लग रहा था। उसका रिजल्ट आया, तब घर आई। हम मां-बेटा इसी झोपड़ी में गुजारा करते हैं।
टीचर्स को भरोसा था वो सक्सेसफुल होगा
जतिन की मां ने बताया कि वो देर रात तक पढ़ाई करने के साथ घर के काम में भी सहयोग करता है। न कभी किसी चीज के लिए जिद करता है न नाराज होता है।
उसकी उम्र के बच्चे चॉकलेट और दूसरी चीजें मांगते हैं, लेकिन उसने कभी ऐसी कोई जिद नहीं की। वह 6 साल की उम्र से मंगलवार का व्रत रखता है। मंदिर में जाकर प्रसाद चढ़ाता है।
परिवार ने बताया कि उसके पिता शराब के आदि हैं। इसलिए दोनों अलग रहते हैं। जतिन के टीचर्स का कहना है कि वो होनहार है। उन्हें भरोसा था कि वो अच्छे नंबर लाएगा। इसलिए उसकी फीस भी माफ की गई।
आगे पढ़िए जयपुर में अखबार बांटने वाले की बेटी की कहानी…

99.50% अंक लाने वाली राशि प्रजापति और उनके पिता गोकुल प्रजापति।
पिता ने अखबार बांटकर तीन बेटियों को पढ़ाया
जयपुर के महात्मा गांधी गवर्नमेंट स्कूल न्यू विद्याधर नगर की छात्रा राशि प्रजापति ने 10वीं बोर्ड में 99.50% अंक हासिल किए हैं। राशि ने गणित, सामाजिक विज्ञान, अंग्रेजी और संस्कृत में 100 में से 100 अंक हासिल किए।
राशि के पिता गोकुल प्रजापति पिछले 30 सालों से अखबार बांटने का काम करते हैं। आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने अपनी तीन बेटियों की पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने दी।
राशि ने बताया- अब सपना सिविल सेवा में जाकर अपने पिता के अधूरे सपनों को पूरा करना है। जब वह अपने पिता को सुबह जल्दी उठकर अखबार बांटते देखती है तो जीवन का संघर्ष समझ में आता है। इसी प्रेरणा से बचपन से ही पढ़ाई को प्राथमिकता दी।
सिलेबस पूरा करने के लिए इंटरनेट से पढ़ाई की
राशि ने कहा- अपने सिलेबस को कवर करने के लिए ऑनलाइन भी पढ़ाई की। मैंने गूगल पर मॉक टेस्ट से तैयारी की थी। नियमित टेस्ट फायदा हुआ। मैं पेपर को टाइम मैनेजमेंट के हिसाब से देखने लगी।
राशि के पिता गोकुल प्रजापति ने बताया- मैंने कभी उम्मीद नहीं की थी कि मेरी बेटी 99 के स्कोर पर पहुंचेगी। मैं एक सामान्य अखबार बांटने वाला हूं। उनकी बड़ी बेटी नेट की तैयारी कर रही है। ऐसे में छोटी बेटी अपनी मां के साथ घर के कामों में हाथ बंटाने के बावजूद 99.50% अंक लाई है।
ऑटो ड्राइवर की बेटी की कहानी…

ऑटो ड्राइवर की बेटी निशा चांवला ने 98.67% अंक हासिल किए।
पिता को लाल बत्ती वाली गाड़ी में बैठाना सपना
जयपुर के विकास नगर स्थित स्वीट रेड रोज सीनियर सेकेंडरी स्कूल की छात्रा निशा चांवला ने 98.67% अंक हासिल किए हैं। निशा ने बताया- उनके पिता ओम प्रकाश चांवला ऑटो ड्राइवर हैं।
वह परिवार में तीन भाई बहनों में सबसे बड़ी हैं। उन्होंने अपने पिता को ऑटो चलते देखा तो मन में था कि परिवार और पिता के लिए कुछ बड़ा करना है।
मैं डेली चार से पांच घंटे पढ़ती हूं। आगे भी अच्छे नंबर लाकर यूपीएससी की तैयारी करना चाहती हूं। आईएएस अधिकारी बनकर अपने पिता को लाल बत्ती की गाड़ी में बैठाना है।
अब मजदूर की बेटी की सक्सेस जर्नी…

मजदूर की बेटी रिनेश कुमारी ने 97.17% अंक हासिल किए हैं।
कठिन परिस्थितियों में परिवार ने पढ़ाया
स्वीट रेड रोज सीनियर सेकेंडरी स्कूल की छात्रा रिनेश ने बताया- वह परिवार के साथ किराए के घर में रहती है। पिता मजदूरी करते हैं, जो ज्यादातर बीमार रहते हैं।
उसके बावजूद कठिन परिस्थितियों में परिवार ने उनको पढ़ाया है। अब मुझे मेहनत करने की जरूरत है, ताकि अपने परिवार का सपना पूरा कर सके।
उन्होंने बताया- नियमित पढ़ाई के साथ हमेशा ऐसी चीजों से दूरी बनाए रखी जो की फिजूल खर्ची का साधन बनती हो। अब वह डॉक्टर बनना चाहती हूं। ताकि वह हर गरीब इंसान की मदद कर सके।
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