Sunday, July 20, 2025
Homeफूड'गुलाब जामुन' से 'पनतुआ' तकः ईरान से बिहार आने की दिलचस्प है...

‘गुलाब जामुन’ से ‘पनतुआ’ तकः ईरान से बिहार आने की दिलचस्प है कहानी


Last Updated:

Bihar Best Sweet: गुलाबजामुन के बारे में गहन छानबीन कर अपनी किताब “बिहार के व्यंजन” में पटना के चर्चित साहित्यकार रविशंकर उपाध्याय लिखते हैं कि गुलाब जामुन एक प्रायोगिक मिठाई है. दुनिया भर में इस मिठाई का स्वाद…और पढ़ें

गुलाब जामुन के साथ बिहार में प्रयोग कर इसे पनतुआ बना दिया।

पटना. गुलाब जामुन का नाम सुनते ही मुंह में पानी न आए ऐसे हो ही नहीं सकता. भारत में ऐसी कई मिठाईयां जो मूल रूप से दूसरे देशों के हैं लेकिन खाने के शौकीन इसे भारत ले आएं और यहां खाने वालों को इतने पसंद आए कि हर शहर के लोग उन्हें पसंद करने लगे. गुलाब जामुन भी ऐसी मिठाइयों में शामिल है. इसका इतिहास भी स्वाद की तरह ही बहुत दिलचस्प है. कुछ इतिहासकार कहते हैं कि यह फारस से आया तो कई बताते हैं कि तुर्की से भारत आया. गुलाब जामुन के बारे में गहन छानबीन कर अपनी किताब “बिहार के व्यंजन” में पटना के चर्चित साहित्यकार रविशंकर उपाध्याय लिखते हैं कि गुलाब जामुन एक प्रायोगिक मिठाई है. दुनिया भर में इस मिठाई का स्वाद बिखरा हुआ है.

गुलाब जामुन के इतिहास में भी घुला है मिठास

साहित्यकार रविशंकर उपाध्याय बताते हैं कि इस मिठाई के मूल देश को लेकर कई कहानियां है लेकिन भोजन के इतिहासकार बताते हैं कि मुगल बादशाह शाहजहां के लिए भोजन बनाने वाला महाराज यानी कारीगर ने एक प्रयोग के तौर पर गुलाब जामुन का इजाद किया था. दक्षिण एशिया में पहली बार मध्य एशिया के तुर्की आक्रमणकारियों द्वारा गुलाब जामुन को पेश किया गया था. गुलाब जामुन असल में पर्शियन नाम है. उसमें गुल का मतलब होता है फूल और जामुन का मतलब होता है पानी. दक्षिण एशिया में इसे गुलाब जामुन के ही नाम से जानते हैं लेकिन अरब और ईरान में इसे लुक़मत अल क़ादी कहते हैं. लुक़मत अल क़ादी आटे से बनाया जाता है. आटे की गोलियों को पहले तेल में तला जाता है फिर शहद की चाशनी में डूबा कर रखा जाता है फिर इसके ऊपर चीनी छिड़की जाती है लेकिन भारत में अलग अलग शहर में इसके बनाने के तरीके लगभग एक जैसा ही है.

बिहारियों ने प्रयोग कर बना दिया पनतुआ

उन्होंने आगे कहा कि हमारे देश में मिठाइयों को ले कर नए नए प्रयोग होते रहे हैं. हम बिहार वालों ने भी अपने स्वाद को लेकर खूब प्रयोग किए. ईरान से जब गुलाब जामुन बिहार आया तो यहां के लोगों ने उसके साथ प्रयोग कर इसको पनतुआ का रूप दे दिया. उस समय बिहार और बंगाल एक साथ ही था. बंटवारे के बाद यह भी बिहार आ गया और यह मगध से लेकर मिथिला तक, लोगों के दिल में बस गया. दरअसल , पनतुआ काला जामुन का एक अलग रूप है, जो बिहार में बेहद प्रसिद्ध है. मीठा गहरा तला हुआ यह जायका हमें हमारे प्रयोगों के बारे में गर्व करने को भी कहता है. मावा, चीनी और दूध से बने खासमखास ‘पनतुआ’ का साइज छोटा है लेकिन टेस्ट में अपने गुलाब जामुन से बहुत आगे है.

पटना में यहां है 1965 की दुकान 

राजधानी पटना के बाकरगंज में रामसेवक और गोपाल प्रसाद का गुलाब जामुन काफी चर्चित है. यह दुकान 1965 से चल रही है. रोज तीन सौ से चार सौ पीस गुलाब जामुन की बिक्री बहुत आराम से हो जाती है. अशोक राजपथ में बीएन कॉलेज, पटना कॉलेज, पटना साइंस कॉलेज से लेकर एनआइटी तक इनके रेगुलर खरीदार हैं और बाकरगंज बाजार में रोज दूर-दूर से आने वाले ग्राहक भी यहां का पता नहीं भूलते. इसी प्रकार दानापुर में साधु की दुकान का पनतुआ बेहद प्रसिद्ध है. यह दुकान भी काफी पुरानी है. छेना, खोया और मैदा के साथ शक्कर की पतली चाशनी बस पूरे मुंह में रस घोल देती है. खोया अधिक रहने के कारण सौंधा स्वाद, लोगों को यहां आने पर मजबूर कर देता है.

authorimg

Amit ranjan

मैंने अपने 12 वर्षों के करियर में इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और डिजिटल मीडिया में काम किया है। मेरा सफर स्टार न्यूज से शुरू हुआ और दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर डिजिटल और लोकल 18 तक पहुंचा। रिपोर्टिंग से ले…और पढ़ें

मैंने अपने 12 वर्षों के करियर में इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और डिजिटल मीडिया में काम किया है। मेरा सफर स्टार न्यूज से शुरू हुआ और दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर डिजिटल और लोकल 18 तक पहुंचा। रिपोर्टिंग से ले… और पढ़ें

homebihar

‘गुलाब जामुन’ से ‘पनतुआ’ तकः ईरान से बिहार आने की दिलचस्प है कहानी



Source link

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments