Monday, July 7, 2025
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घग्गर का कहर! अतिक्रमण से बाढ़ का खतरा, फिर हो सकता है 2023 सा तांडव


हनुमानगढ़, राजस्थान का एक शांत जिला, एक बार फिर घग्गर नदी में बढ़ते जलस्तर और अतिक्रमणों के कारण बाढ़ के खतरे का सामना कर रहा है. घग्गर नदी में पानी की आवक शुरू हो चुकी है. हिमाचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में हुई भारी बारिश ने स्थिति को और गंभीर कर दिया है. 2023 में इस नदी ने जिले में बाढ़ का कहर बरपाया था, जिसके बाद जिला प्रशासन ने आनन-फानन में अतिक्रमण हटाए थे. लेकिन अब किसानों ने फिर से नदी के तटबंधों और बाढ़ क्षेत्र में अतिक्रमण कर लिया है, जिससे तटबंध टूटने का खतरा बढ़ गया है.

श्रीनगर प्रशासक नवदीप संधू ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर तुरंत अतिक्रमण हटाने की मांग की है. साथ ही प्रशासन पर नींद में सोने का आरोप लगाया है. हिमाचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में मॉनसून की भारी बारिश ने घग्गर नदी और इसकी सहायक नदियों जैसे तंगरी और मारकंडा में पानी की आवक बढ़ा दी है. हरियाणा के ओटू बैराज से 38,400 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. यह मात्रा 40,000 क्यूसेक तक बढ़ सकती है. हनुमानगढ़ में घग्गर साइफन में पानी का प्रवाह पहले ही 28,000 क्यूसेक को पार कर चुका है, जिससे रावतसर ब्लॉक के कई गांवों में पानी भरने की आशंका है. 2023 में, नदी का जलस्तर 754 फीट तक पहुंचा था, जो खतरे के निशान 746.2 फीट से 6 फीट अधिक था. इसने खेड़ासरी, धनिस जैसे गांवों में बाढ़ ला दी थी. इस बार भी अगर पानी की आवक बढ़ती है, तो हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय सहित रावतसर, टिब्बी और पिलिबंगा में बाढ़ की स्थिति बन सकती है.

अतिक्रमण: बाढ़ का बड़ा कारण
घग्गर नदी के तटबंधों और बाढ़ क्षेत्र में अतिक्रमण इस संकट का प्रमुख कारण है. 2023 में बाढ़ के बाद प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया था लेकिन अब किसानों और स्थानीय लोगों ने फिर से नदी के किनारों पर खेती और निर्माण शुरू कर दिया है. यह अतिक्रमण नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित करता है, जिससे तटबंध टूटने और बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है. हरियाणा और पंजाब में भी घग्गर और इसकी सहायक नदियों के किनारों पर बस्तियां और अवैध खनन ने नदी को नाले में बदल दिया है. 2023 में, पंजाब के संगरूर में 50 से अधिक तटबंध टूटे थे और हनुमानगढ़ में भी कई गांव जलमग्न हो गए थे. श्रीनगर प्रशासक नवदीप संधू ने चेतावनी दी कि अगर अतिक्रमण तुरंत नहीं हटाए गए, तो 2023 जैसी स्थिति दोबारा बन सकती है.

2023 की बाढ़: सबक और लापरवाही
2023 में, घग्गर नदी ने हनुमानगढ़, संगरूर और हरियाणा के कई जिलों में तबाही मचाई थी. जुलाई 2023 में, हरियाणा के ओटू बैराज से छोड़े गए 38,400 क्यूसेक पानी ने हनुमानगढ़ के रावतसर ब्लॉक में खेड़ासरी और धनिस गांवों को डुबो दिया था. प्रशासन ने 2,800 लोगों को निकाला और 60 राहत शिविर स्थापित किए थे. इंदिरा गांधी नहर और सेम नाले में पानी डायवर्ट कर बाढ़ को तीन दिन तक रोका गया था. उस समय, जिला कलेक्टर रुक्मणि रियार ने आपात बैठक बुलाकर 1995 की बाढ़ के डेटा के आधार पर तैयारियां की थी. लेकिन अब, 2025 में, प्रशासन पर फिर से लापरवाही का आरोप लग रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि तटबंधों की मरम्मत और अतिक्रमण हटाने में देरी हो रही है.

प्रशासन की प्रतिक्रिया
जिला प्रशासन और सिंचाई विभाग को इस बार पहले से सतर्क रहने की सलाह दी गई है. नवदीप संधू ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर तटबंधों की मरम्मत और अतिक्रमण हटाने की मांग की है. 2023 में, नागरिकों ने रात-दिन तटबंधों पर पहरा देकर स्थिति को नियंत्रित किया था. इस बार, प्रशासन ने SDRF, पुलिस और जल संसाधन विभाग की टीमें तैनात की है लेकिन स्थानीय लोग इसे अपर्याप्त मान रहे हैं. जिला कलेक्टर डॉ. खुशाल यादव ने हाल ही में इंदिरा गांधी नहर की RD-629 और घग्गर की जीरो RD का निरीक्षण किया लेकिन ठोस कार्रवाई का अभाव दिख रहा है.



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