चिन्नास्वामी स्टेडियम का गेट नंबर 7 बना मौत का दरवाजा… वे जश्न मनाने गए थे, मरने नहीं

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चिन्नास्वामी स्टेडियम का गेट नंबर 7 बना मौत का दरवाजा… वे जश्न मनाने गए थे, मरने नहीं


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आरसीबी के फैंस ने रात में मैच देखा और अगले दिन जश्न में शामिल पहुंच गए लेकिन भगदड़ ने 11 की जान ले ली.

आरसीबी के जश्न से ठीक पहले भगदड़ मचने से 11 लोगों की जान चली गई.

हाइलाइट्स

  • आरसीबी की जीत का जश्न 11 फैंस की जान ले गया.
  • चिन्नास्वामी स्टेडियम के गेट नंबर-7 पर हुई भगदड़.
  • सड़क से लेकर अस्पतालों में अपनों को ढूंढ़ते रहे लोग.

नई दिल्ली. रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू (RCB) की विक्ट्री परेड ने कई घर उजाड़ दिए हैं. आरसीबी को पहली बार ट्रॉफी जीतने के बाद फैंस बुधवार को अपनी पसंदीदा टीम के साथ जश्न मनाना चाह रहे थे.जैसे ही टीम बेंगलुरू पहुंची और सेलिब्रेशन का शेड्यूल आया तो प्रशंसक एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम की ओर चल पड़े. उनके हाथों में बाकायदा जश्न देखने के टिकट थे लेकिन कौन जानता था कि उनका सामना मौत से हो सकता है. बदइंतजामी ने भगदड़ को जन्म दिया और शाम होते-होते आलम यह था कि लोग एकदूसरे को कुचलते चले जा रहे थे. कोई बेहोश पड़ा था तो कोई जान बचाने की भीख मांग रहा था. आरसीबी के इन फैंस में सबसे ज्यादा युवा थे और महिलाएं और बच्चे भी बड़ी संख्या में थे.

आरसीबी के इस जश्न में मौत का खेल स्टेडियम में सात नंबर गेट पर ज्यादा दिखा. एक युवजी तो ऑफिस से छुट्टी लेकर अपने क्रिकेट हीरोज को देखने पहुंची थी. युवा छात्र अपना लैपटॉप लेकर ही चला आया था. जश्न में शामिल होने के लिए ऐसे ही हजारों लोग गेट नंबर सात से अंदर जाना चाह रहे थे. लेकिन देखते ही देखते नजारा बदल गया. चंद मिनट बाद एक महिला को दोस्त कंधे पर ले जा रहे थे कि उसकी सांसें चलती रहें. एक छात्र के कपड़े फटे हुए थे. उसकी मां की चीखें अस्पताल के गलियारों में गूंज रही थीं. 14 वर्षीय दिव्यमशिका ने मंगलवार रात आरसीबी को चीयर किया. अगले दिन दोपहर में वह अपनी मां, चाची और दादी के साथ चिन्नास्वामी स्टेडियम गईं ताकि आरसीबी खिलाड़ियों को खिताब का जश्न मनाते हुए देख सकें. लेकिन लगभग 4.50 बजे भीड़ अंदर धकेलने लगी. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक डिंपल भगदड़ में फंसकर कुचली गई. उसकी मां कहती है, ‘बेटी ने मुझे फोन किया और रोते हुए कहा कि जल्दी से बोरिंग अस्पताल आओ. उसने बस इतना ही कहा. मेरी पोती पैरों के नीचे कुचल गई.’ उसके दादा लक्ष्मीनारायण ने कहा. ‘वह अभी-अभी कक्षा नौ में गई थी. वे जश्न मनाने गए थे, मरने नहीं.’

वायदेही अस्पताल में एक और त्रासदी हुई. 21 वर्षीय भूमिक अपने दोस्तों के साथ स्टेडियम गया था. भीड़ में बिछड़ने के बाद वह बेहोश मिला. फटे कपड़ों में. उसके एक दोस्त ने कहा, ‘हमने पुलिस जीप में उसे जिंदा रखने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं बच सका. उसकी मां की चीखें गूंज रही थीं. चिन्नू, उठो. तुम्हारी मम्मा आ गई है लेकिन…’ उसके माता-पिता ने चिकित्सा देखभाल में देरी का आरोप लगाया. उन्होंने यह भी कहा, ‘अगर उसने हमें बताया होता कि वह जा रहा है, तो हम उसे नहीं जाने देते. वह हमारा इकलौता बेटा था.’

तमिलनाडु की देवी ने परेड में शामिल होने के लिए कुछ घंटे का काम छोड़ दिया था. उसने अपने दोस्त को मैसेज किया ‘मैं मेट्रो से जा रही हूं.’ उसकी एक दोस्त ने कहा कि वह ऑनलाइन टिकट न मिलने के बाद स्टेडियम की ओर भागी. उसकी लैपटॉप अभी भी टेबल पर है और उसके बैग वहीं हैं, लेकिन वह नहीं है,”

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विजय प्रभात शुक्लाAssociate Editor

दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय. अप्रैल 2020 से News18Hindi में बतौर एसोसिएट एडिटर स्पोर्ट्स की जिम्मेदारी. न्यूज18हिंदी से पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, अमर उजाला अखबारों में पेज-1, खेल, देश-विदेश, इलेक्शन ड…और पढ़ें

दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय. अप्रैल 2020 से News18Hindi में बतौर एसोसिएट एडिटर स्पोर्ट्स की जिम्मेदारी. न्यूज18हिंदी से पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, अमर उजाला अखबारों में पेज-1, खेल, देश-विदेश, इलेक्शन ड… और पढ़ें

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