जम्मू. जम्मू के मध्य क्षेत्र में मंगलवार को एक संदिग्ध चोर को सार्वजनिक रूप से जूतों की माला पहनाकर अपमानित करने का मामला सामने आया है। युवक को पुलिस की गाड़ी के बोनट पर बैठा घुमाया गया। इस संबंध में जांच शुरू की गयी है।
जम्मू के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) जोगिंदर सिंह ने घटना की निंदा करते हुए इस मामले में विभागीय जांच के आदेश दिए हैं।
बख्शी नगर पुलिस थाने के थाना प्रभारी आजाद मन्हास ने बताया कि आरोपी उस गिरोह में शामिल है, जिसका हाल ही में इस इलाके में भंडाफोड़ हुआ था। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले दवा खरीदते समय एक व्यक्ति से 40,000 रुपये लूट लिये गए थे, हालांकि वह व्यक्ति चोर को पहचानकर उससे भिड़ गया था।
उन्होंने बताया कि इलाके में गश्त कर रहे पुलिसकर्मियों ने आरोपी का पीछा किया और उसे पकड़ लिया।
उन्होंने बताया कि इसके बाद आरोपी को सड़कों पर घुमाया गया और थोड़ी देर के लिए पुलिस वाहन के बोनट पर बैठाया गया तथा पुलिस थाने ले जाते समय सार्वजनिक संबोधन प्रणाली के माध्यम से उसकी गिरफ्तारी का ऐलान किया गया।
जम्मू के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जोगिंदर सिंह ने कहा कि पुलिसकर्मियों की कार्रवाई ‘‘गैर-पेशेवर और अनुशासित संगठन के सदस्यों के लिए अनुचित’’ है तथा उन्होंने इस मामले की सख्त विभागीय जांच के आदेश दिए हैं।
जम्मू में इस महीने में यह ऐसा दूसरा मामला है। इससे पहले 11 जून को एक ऐसी ही घटना हुई थी, जिसमें गोलीबारी में शामिल तीन अपराधियों को पुलिस द्वारा सार्वजनिक रूप से पीटा गया था।
उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘पुलिस भीड़ नहीं है। वे कानून के संरक्षक हैं। एसएचओ का कर्तव्य जांच करना है न कि न्याय को कायम रखने के लिए निर्णय करना, सार्वजनिक तमाशा दिखाकर दंड देना है।’’
इस वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया के कई उपयोगकर्ताओं ने मांग की कि इसमें शामिल पुलिसकर्मियों को उनके कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने इस घटना को ‘‘मानव अधिकारों और स्वतंत्रता के अधिकार का घोर उल्लंघन’’ करार दिया।
एक सोशल मीडिया उपयोगकर्ता ने कहा कि यह घटना ‘‘मानवाधिकारों और उचित प्रक्रिया का चौंकाने वाला उल्लंघन’’ है। उन्होंने कहा, ‘‘कानून लागू करने वालों को कानून तोड़ने वाला नहीं बनना चाहिए।’’
एक अन्य उपयोगकर्ता ने जम्मू पुलिस पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘यह न्याय नहीं है, यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ऐसी अराजकता की अनुमति कैसे दे सकती है? जवाबदेही कहां है?’’