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बाहर का खानपान तो हर किसी को पसंद होता है लेकिन कई बार लोग हाइजीन के चक्कर में बाहर का खाना अवॉइड करते हैं. अगर आप भी उन लोगों में से हैं, तो आज हम आपको छत्तीसगढ़ के पांच पारंपरिक नाश्तों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आप आसानी से घर पर बना सकते हैं.
छत्तीसगढ़ के घरों में सुबह के नाश्ते में चीला सबसे आम और पसंदीदा विकल्पों में से एक है. इसे चावल के आटे या चने की दाल के घोल से बनाया जाता है. घोल में नमक, हरी मिर्च और बारीक कटा हरा धनिया मिलाकर तवे पर पतला फैलाकर दोनों तरफ से सेंका जाता है. इसे हरी चटनी या टमाटर की चटनी के साथ परोसा जाता है. यह झटपट बनने वाला स्वादिष्ट और सेहतमंद विकल्प है.

फरा एक सुपाच्य और सादा नाश्ता है, जो जल्दी तैयार हो जाता है. इसे चावल के आटे से बनाया जाता है. आटे से छोटी-छोटी लोई या उंगलियों जैसे आकार की पिट्ठी बनाई जाती हैं, जिन्हें हल्के नमक वाले पानी में उबाला जाता है. इसके बाद घी या तेल में जीरा, मिर्च और लहसुन का तड़का लगाकर फरा को उसमें हल्का भून लिया जाता है. यह कम तेल में बना होने के कारण सेहत के लिए भी अच्छा होता है.

छत्तीसगढ़ का यह पारंपरिक मीठा नाश्ता मालपुआ बहुत कम समय में बन जाता है. इसे चावल के आटे और गुड़ से तैयार किया जाता है. सबसे पहले गुड़ को हल्के गर्म पानी में घोलकर चावल के आटे में मिलाया जाता है, जिससे एक गाढ़ा घोल बनता है. फिर इस घोल को तवे पर घी लगाकर गोल आकार में फैलाया जाता है और दोनों तरफ से सुनहरा सेंका जाता है. यह स्वाद में मीठा और खाने में बेहद मुलायम होता है.

गुलगुल भजिया छत्तीसगढ़ का एक पारंपरिक मीठा नाश्ता है, जिसे गेहूं के आटे, गुड़ और सौंफ से बनाया जाता है. इसका घोल बनाकर छोटे-छोटे गोल आकार में गरम तेल में तला जाता है. बाहर से कुरकुरा और अंदर से नरम यह भजिया चाय के साथ बेहद स्वादिष्ट लगता है. त्योहारों या हल्के नाश्ते के लिए यह एक झटपट बनने वाला विकल्प है.

यह एक कुरकुरा और स्वादिष्ट नाश्ता है, जिसे खास तौर पर त्योहारों में बनाया जाता है, लेकिन जल्दी बनने की वजह से रोज के नाश्ते में भी खाया जाता है. इसे चावल के आटे, जीरा, नमक और अजवाइन को मिलाकर आटे में गूंथा जाता है और छोटे-छोटे आकार में बेलकर कुरकुरा तल लिया जाता है. ठेठरी को चाय के साथ या अकेले भी खाया जा सकता है. यह लंबे समय तक खराब नहीं होती, इसलिए यात्रा में भी साथ ले जा सकते हैं.