प्रतीकात्मक फोटो
शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश जारी किया है। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा संहिताओं के अनुसार स्कूलों और बच्चों से संबंधित सुविधाओं का अनिवार्य सुरक्षा ऑडिट, कर्मचारियों और छात्रों को आपातकालीन तैयारियों का प्रशिक्षण, और परामर्श एवं सहकर्मी नेटवर्क के माध्यम से मनोसामाजिक सहायता प्रदान करना शामिल है।
1. निवारक सुरक्षा उपाय
बच्चों और युवाओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले सभी स्कूलों और सार्वजनिक सुविधाओं का राष्ट्रीय सुरक्षा संहिताओं और आपदा प्रबंधन दिशानिर्देशों के अनुसार सुरक्षा ऑडिट किया जाना चाहिए। अग्नि सुरक्षा, आपातकालीन निकास और विद्युत तारों के साथ-साथ संरचनात्मक अखंडता का भी गहन मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
2. जागरूकता और प्रशिक्षण
यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कर्मचारियों और छात्रों को आपातकालीन तैयारियों, जैसे कि निकासी अभ्यास, प्राथमिक उपचार और सुरक्षा प्रोटोकॉल, में ट्रेंड किया जाए। स्थानीय अधिकारियों (एनडीएमए, अग्निशमन सेवाएं, पुलिस और चिकित्सा एजेंसियों) के साथ सहयोग को मजबूत किया जाना चाहिए ताकि समय-समय पर ट्रेनिंग सेशन्स और मॉक ड्रिल आयोजित की जा सकें।
3. मनोसामाजिक कल्याण
शारीरिक सुरक्षा के अलावा, परामर्श सेवाओं, सहकर्मी सहायता प्रणालियों और सामुदायिक सहभागिता पहलों के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक कल्याण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
4. रिपोर्टिंग मैकेनिज्म
किसी भी खतरनाक स्थिति, बाल-बाल बचे होने या बच्चों या युवाओं को संभावित नुकसान पहुंचाने वाली घटना की सूचना 24 घंटे के भीतर निर्दिष्ट राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के प्राधिकरण को दी जानी चाहिए। देरी, लापरवाही या कार्रवाई में विफलता के मामलों में सख्त जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए।
5. सार्वजनिक रिस्पांसिबिलिटी
माता-पिता, अभिभावकों, सामुदायिक नेताओं और स्थानीय निकायों को सतर्क रहने और स्कूलों, सार्वजनिक क्षेत्रों या बच्चों व युवाओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले परिवहन के साधनों में असुरक्षित स्थितियों की सूचना देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
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