Monday, December 1, 2025
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छोटे किरदारों में बड़ी छाप छोड़ने वाला कलाकार, जिंदगी की लड़ाई में हार गया, रहस्य बन गया उसका आखिरी सफर


बॉलीवुड और थिएटर की दुनिया में कुछ कलाकार ऐसे होते हैं जिनकी उपस्थिति स्क्रीन पर हमेशा बड़ी लगती है, चाहे उनका रोल छोटा ही क्यों न हो. ऐसे ही एक कलाकार थे आसिफ बसरा. उन्होंने बड़े पर्दे और टीवी पर कई यादगार किरदार निभाए और अपने छोटे-छोटे रोल से भी दर्शकों के दिलों में जगह बना ली.

‘काई पो चे’, ‘हिचकी’, और ‘वंस अपॉन ए टाइम इन मुंबई’ जैसी फिल्मों में उनके रोल भले ही छोटे थे, लेकिन उनका अभिनय इतना प्रभावी था कि लोग उन्हें भूल नहीं पाए. यही खूबी उन्हें अन्य अभिनेताओं से अलग बनाती थी.

कौन हैं आसिफ बसरा
आसिफ बसरा का जन्म 27 जुलाई 1967 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था. बचपन से ही उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ अभिनय में भी खास रुचि थी. पढ़ाई पूरी करने के बाद 1989 में वे अपने सपनों को साकार करने के लिए मुंबई आ गए. यहां उनका पहला कदम थिएटर की दुनिया में पड़ा. उन्होंने कॉलेज और स्थानीय मंच पर नाटकों में काम करना शुरू किया. उनकी मेहनत और अभिनय की कला को देखकर लोग उन्हें सराहने लगे.

कैसे रखा इंडस्ट्री में कदम
थिएटर में नाम कमाने के बाद बसरा ने धीरे-धीरे फिल्मों और टीवी की दुनिया में कदम रखा. उनका पहला टीवी शो ‘वो’ था, जिसने उन्हें पहचान दिलाई. इसके बाद उन्होंने कई टीवी और वेब सीरीज में काम किया, लेकिन उनका असली जादू फिल्मों के छोटे-छोटे रोल में देखने को मिला. उन्होंने ‘ब्लैक फ्राइडे’, ‘परजानिया’, ‘वंस अपॉन ए टाइम इन मुंबई’, ‘कृष 3’, और ‘हिचकी’ जैसी फिल्मों में काम किया. इन फिल्मों में उनका स्क्रीन टाइम भले ही कम था, लेकिन उनका अभिनय इतना सटीक था कि दर्शक उन्हें देखने का बेसब्री से इंतजार करते थे.

छोटे छोटे रोल में फूंकी जान
‘काई पो चे’ में बसरा ने अली के पिता का रोल निभाया. यह रोल छोटा था, लेकिन उनके भाव और अभिनय ने इस किरदार को जीवंत बना दिया.

थिएटर के लिए हमेशा तैयार
बसरा सिर्फ फिल्मों तक सीमित नहीं थे. वे थिएटर के लिए भी प्रसिद्ध थे और पृथ्वी थिएटर में युवा कलाकारों को अभिनय की ट्रेनिंग देते थे. उनका मानना था कि अभिनय में भावना और स्वाभाविकता सबसे महत्वपूर्ण है. इसी वजह से उनके छोटे-छोटे रोल भी यादगार बन जाते थे. वे हमेशा नए रोल और नई भूमिकाओं को निभाने के लिए तैयार रहते थे.

करियर की एक बड़ी उपलब्धि
आसिफ बसरा ने गुजराती फिल्म ‘रॉन्ग साइड राजू’ में भी अभिनय किया, जिसे 2016 में राष्ट्रीय पुरस्कार मिला. यह उनके करियर की एक बड़ी उपलब्धि थी. इसके अलावा, उन्होंने ‘सांझ’ जैसी हिमाचली फिल्मों में भी काम किया, जो इस बात का प्रमाण है कि वे हमेशा नई भाषाओं और संस्कृति के साथ खुद को जोड़ना पसंद करते थे.

मैक्लोडगंज में घर
उनका निजी जीवन भी उनके व्यक्तित्व की तरह शांत और सरल था. आखिरी पांच साल वे हिमाचल प्रदेश के मैक्लोडगंज में रह रहे थे. वहां उन्होंने पहाड़ी संस्कृति से खुद को जोड़े रखा और गांव की जिंदगी का हिस्सा बन गए. उनका सपना था कि वे मैक्लोडगंज में अपना घर बनाएं और वहीं जीवन बिताएं. लेकिन 12 नवंबर 2020 को उनका निधन हो गया. महज 53 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली. उनकी मौत की वजह आत्महत्या बताई गई. शुरुआती जांच में पता चला कि वे डिप्रेशन के शिकार थे. उनकी मौत ने फिल्म और थिएटर की दुनिया को गहरा धक्का दिया.



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