Monday, November 3, 2025
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जीएसटी रेट कटौती के बाद आई ऐसी खबर, केन्द्र और राज्य सरकार दोनों की हो गई बल्ले-बल्ले



GST Collections In September: जीएसटी रिफॉर्म लागू होने के बाद सरकार के राजस्व पर सकारात्मक असर दिखाई दिया है. राज्य सरकारों को पहले आशंका थी कि दरों में कटौती से कलेक्शन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, लेकिन सितंबर 2025 के आंकड़े इस डर को गलत साबित करते हैं. नई दरें 22 सितंबर से लागू हुईं और त्योहारी सीजन में हुई भारी खरीदारी ने जीएसटी कलेक्शन को रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचा दिया.

बढ़ गया जीएसटी कलेक्शन

सितंबर 2025 में जीएसटी कलेक्शन 9.1 प्रतिशत बढ़कर 1.89 लाख करोड़ रुपये हो गया. तुलना करें तो सितंबर 2024 में यह 1.73 लाख करोड़ रुपये था और अगस्त 2025 में 1.86 लाख करोड़ रुपये. सकल घरेलू राजस्व 6.8 प्रतिशत बढ़कर 1.36 लाख करोड़ रुपये और आयात कर 15.6 प्रतिशत बढ़कर 52,492 करोड़ रुपये दर्ज किया गया.

इसके साथ ही जीएसटी रिफंड भी सालाना आधार पर 40.1 प्रतिशत बढ़कर 28,657 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. सितंबर 2025 में शुद्ध जीएसटी राजस्व 1.60 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की तुलना में पांच प्रतिशत ज्यादा है.

जीएसटी 2.0 सुधारों के तहत 375 वस्तुओं पर टैक्स दरों में कटौती की गई, जिनमें रसोई का सामान, इलेक्ट्रॉनिक आइटम, दवाइयां, उपकरण और मोटर वाहन शामिल हैं. इन बदलावों का सीधा असर आम उपभोक्ताओं को राहत और सरकार को बेहतर राजस्व वृद्धि के रूप में देखने को मिला है.

सरकार का भरा खजाना

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को भरोसा जताया कि हाल में किए गए माल एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधारों से बाजार में खरीदारी बढ़ेगी और घरेलू अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी. उन्होंने इंदौर में स्थानीय कारोबारियों, उद्यमियों और कर विशेषज्ञों के साथ संवाद करते हुए यह बात कही.

इस मौके पर चौधरी ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मानना है कि जीएसटी सुधारों से जब आम लोगों के हाथों में अतिरिक्त धन पहुंचेगा, तो इससे बाजार में खरीद बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था गति पकड़ेगी.’’ उन्होंने आगे बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में जीएसटी प्रणाली 2017 में लागू की गई थी, हालांकि इसकी तैयारी करीब 10 साल पहले से चल रही थी.

कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार पर निशाना साधते हुए चौधरी ने कहा कि उस समय की सरकार जीएसटी प्रणाली लागू करने में सफल नहीं हो सकी क्योंकि जनता और राज्य सरकारों को उस सरकार पर भरोसा नहीं था. उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन सरकार की विश्वसनीयता की कमी के कारण राज्य सरकारें जीएसटी प्रणाली के लिए तैयार नहीं हो पाईं.



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