जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए), दूसरे जिलों में संचालित विकास प्राधिकरण या नगरीय निकाय (नगर निगम या परिषद) के खर्चो की ऑडिट प्रधान महालेखाकार (CAG) से करवाने की सिफारिश राज्य सरकार से की गई है। पिछले दिनों CAG ने इस संबंध में एक पत्र राज्य सरकार को लि
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CAG की तरफ से लिखे पत्र में बताया- ऐसी लोकल बॉडी या ऑथोरिटी जो केन्द्र अथवा राज्य सरकार से ग्रांट लेती है या लोन लेती है। उनकी ऑडिट CAG से करवाने का प्रावधान है।
CAG ने अपने पत्र में लिखा- अगर राज्य सरकार या केन्द्र सरकार किसी ऑथोरिटी या लोकल बॉडी को 25 लाख रुपए से ज्यादा की ग्रांट अथवा उक्त ऑथोरिटी या बॉडी के कुल खर्चे के 75 फीसदी के बराबर लोन (ऋण) देती है तो वह CAG ऑडिट के दायरे में आता है।
जयपुर जेडीए के 5 सालों का रिकॉर्ड पेश किया
CAG ने अपने इस पत्र में जयपुर जेडीए के पांच सालों के बजट की रिपोर्ट पेश की। इसमें बताया कि जेडीए ने साल 2019-20 में जितनी सरकारी जमीन बेची उस जमीन से प्राप्त आय में से सरकार को कुल 260.47 करोड़ रुपए देने थे। इसके अलावा अरबन असेसमेंट रेवेन्यू, फायर सेस और नियमन चार्ज के पेटे भी राज्य सरकार को 68.83 करोड़ रुपए का भुगतान करना था, जो नहीं किया गया।
इस तरह सरकार से अप्रत्यक्ष तौर पर जेडीए को कुल 329.30 करोड़ रुपए मिले। जबकि इस वित्तवर्ष में जेडीए का कुल खर्चा 646.97 करोड़ रुपए हुआ था। इस तरह सरकार की तरफ से मिली अप्रत्यक्ष राशि (इसे ग्रांट या लोन के तौर पर माना गया) कुल खर्चे का 50.66 फीसदी रहा।
वहीं, साल 2020-21, साल 2021-22, साल 2022-23 और साल 2023-24 में जेडीए को अप्रत्यक्ष तौर पर क्रमश: 600.60 करोड़ रुपए, 670.05 करोड़ रुपए, 1368.90 करोड़ रुपए और 1739.40 करोड़ रुपए मिले। जो जेडीए के कुल खर्चे का 84 फीसदी से ज्यादा है।
प्रधानमंत्री के भाषण और यूपी का किया जिक्र
इस पत्र में CAG की तरफ से साल 2017 में प्रधानमंत्री की तरफ से दी एक स्पीच का जिक्र किया है। इस स्पीच में प्रधानमंत्री ने प्राधिकरणों में होने वाली आय और खर्चों का ब्योरा आमजन के सामने लाने का जिक्र किया था।
प्रधानमंत्री के इस स्पीच के बाद उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने अपने यहां संचालित तमाम डवलपमेंट ऑथोरिटी की ऑडिट CAG से करवाने के आदेश जारी किए। इसके बाद से इन विकास प्राधिकरणों की ऑडिट CAG ही कर रहा है।

