Sunday, July 20, 2025
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ट्रम्प ने पूछा-चीन पर हमला किया तो कौन साथ देगा: जापान खामोश, ऑस्ट्रेलिया ने कहा- काल्पनिक सवालों का जवाब नहीं


कुछ ही क्षण पहले

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अमेरिका ने ताइवान को लेकर चीन के साथ जंग होने के हालात पर ऑस्ट्रेलिया और जापान से उनका रुख बताने को कहा।

फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी रक्षा मंत्रालय (पेंटागन) के नीति उप-सचिव एल्ब्रिज कॉल्बी ने ऑस्ट्रेलियाई और जापानी रक्षा अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर कई बैठकें की हैं।

कॉल्बी ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा- अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की अमेरिका फर्स्ट नीति को लागू कर रहा है, जिसमें सहयोगी देशों से रक्षा खर्च बढ़ाने और सामूहिक सुरक्षा के लिए साथ देने की अपील की जा रही है।

जवाब देते हुए ऑस्ट्रेलिया ने कहा कि वह ताइवान को लेकर किसी भी होने वाले युद्ध में पहले से सैनिक भेजने का वादा फिलहाल नहीं करेगा। रक्षा उद्योग मंत्री पैट कॉनरोय बोले- ऑस्ट्रेलिया काल्पनिक हालातों पर चर्चा नहीं करता।

जापान ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। दरअसल, 1949 में ताइवान ने चीन से अलग होकर देश बनाया। चीन शुरुआत से ही ताइवान को अपना हिस्सा मानता रहा है। इसी बात को लेकर दोनों देशों के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है।

सैनिकों को भेजने का फैसला तत्कालीन सरकार करेगी

ऑस्ट्रेलिया के रक्षा उद्योग मंत्री पैट कॉनरोय ने ऑस्ट्रेलियाई ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (ABC) को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों को किसी संघर्ष में भेजने का फैसला उस समय की सरकार करेगी। हम अभी से कोई फैसला नहीं लेंगे।”

उन्होंने यह भी कहा कि ऑस्ट्रेलिया अपनी संप्रभुता को सबसे ज्यादा महत्व देता है और काल्पनिक परिस्थितियों पर चर्चा नहीं करता। वही, कॉनरोय ने चीन की सैन्य गतिविधियों पर चिंता जताई।

उन्होंने कहा कि चीन प्रशांत द्वीप में मिलिट्री बेस बनाने की कोशिश कर रहा है, जो ऑस्ट्रेलिया के लिए ठीक नहीं है। ऑस्ट्रेलिया इस क्षेत्र में सुरक्षा साझेदार बनना चाहता है और इसके लिए बातचीत कर रहा है।

आस्ट्रेलिया के PM चीन की यात्रा पर

आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज शनिवार को चीन की 6 दिन की आधिकारिक यात्रा पर गए । जहां क्षेत्रीय सुरक्षा और ट्रेड को बढ़ाने के प्रयासों पर बातचीत होने की उम्मीद है।

अल्बानीज ने शंघाई में कहा कि आस्ट्रेलिया ताइवान पर कोई बात नहीं करेगा। उनकी यात्रा सिर्फ सुरक्षा और व्यापार पर ही केंद्रित होगी।

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज 13 जुलाई को चीन में शंघाई पार्टी सचिव चेन जिनिंग से हाथ मिलाते हुए।

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज 13 जुलाई को चीन में शंघाई पार्टी सचिव चेन जिनिंग से हाथ मिलाते हुए।

ताइवान को अपना हिस्सा मानता है चीन

चीन लंबे समय से ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और जबरदस्ती नियंत्रण में लाने की धमकी देता रहा है। चीन कई बार ताइवान की लोकतांत्रिक सरकार को अलगाववादी करार दे चुका है।

हांलाकि, ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने चीन के दावों को खारिज करते हुए कहा था कि केवल ताइवान के लोग ही अपना भविष्य तय कर सकते हैं।

ताइवान पर अमेरिका का दोहरा रुख

दूसरी ओर, अमेरिका ने ताइवान की शांति और संप्रभुता को खतरे में डालने के लिए चीन की आलोचना की है। हालांकि, अमेरिका ताइवान को लेकर रणनीतिक अस्पष्टता की नीति अपनाता है, जिसका मतलब है कि वह ताइवान की रक्षा की गारंटी नहीं देता।

पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने कार्यकाल में कहा था कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है, तो अमेरिका सैन्य हस्तक्षेप करेगा। लेकिन वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में अमेरिका ने फिर से अस्पष्ट बयानों का रुख अपनाया है।

ऑस्ट्रेलिया-अमेरिका के बीच ज्वाइंट मिलिट्री प्रैक्टिस

ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के बीच रविवार को सिडनी हार्बर में तालिस्मान सेबर नामक ज्वाइंट मिलिट्री प्रैक्टिस शुरू हुआ है। यह ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा युद्ध प्रशिक्षण अभ्यास है, जिसमें 19 देशों (जापान, दक्षिण कोरिया, भारत, ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा आदि) के 40,000 सैनिक हिस्सा ले रहे हैं।

यह अभ्यास दो हफ्तों तक चलेगा और ऑस्ट्रेलिया के क्रिसमस द्वीप से लेकर कोरल सागर तक होगा। ऑस्ट्रेलियाई रक्षा बल के संयुक्त अभियान प्रमुख वाइस एडमिरल जस्टिन जोन्स ने कहा कि यह अभ्यास ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी हिस्से में सेना की ताकत और संचालन की क्षमता को परखेगा।

उन्होंने कहा, “यह 19 देशों का एक साथ अभ्यास है, जो क्षेत्र में शांति, स्थिरता और आजाद इंडो-पेसिफिक के लिए हमारे साझा रुख को दिखाता है।”

अमेरिकी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल जोएल वॉवेल ने कहा कि यह अभ्यास क्षेत्र में अस्थिरता को रोकने और युद्ध से बचने का एक तरीका है। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य युद्ध नहीं, बल्कि शांति है। हम अकेले तेजी से जा सकते हैं, लेकिन साथ मिलकर हम दूर तक जाएंगे।”

सिडनी हार्बर में ज्वाइंट मिलिट्री प्रैक्टिस के दौरान ऑस्ट्रेलिया के कमांडिंग जनरल और अमेरिका के लेफ्टिनेंट जनरल जोएल बी. वॉवेल मीडिया से बात करते हुए।

सिडनी हार्बर में ज्वाइंट मिलिट्री प्रैक्टिस के दौरान ऑस्ट्रेलिया के कमांडिंग जनरल और अमेरिका के लेफ्टिनेंट जनरल जोएल बी. वॉवेल मीडिया से बात करते हुए।

अमेरिका 2027 में ऑस्ट्रेलिया में पनडुब्बियां तैनात करेगा

अमेरिका ऑस्ट्रेलिया का प्रमुख सुरक्षा सहयोगी है। ऑस्ट्रेलिया में विदेशी सैन्य अड्डों की अनुमति नहीं है, लेकिन अमेरिका अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा रहा है। 2027 से अमेरिकी वर्जीनिया पनडुब्बियां पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के बंदरगाहों पर तैनात होंगी। ताइवान को लेकर संघर्ष में ये पनडुब्बियां अमेरिकी सेना के लिए मददगार हो सकती हैं।

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