Sunday, July 6, 2025
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डिजिटल अरेस्ट गिरोह के लिए काम करने वाली लड़की गिरफ्तार: बोली- कंबोडिया से चल रहे इंटरनेशनल रैकेट, इनके मालिक चीनी और ट्रांसलेटर पाकिस्तानी – Gujarat News


विदेश में काम करने का झांसा देकर एजेंट गुजरात के लोगों को इंटरनेशनल डिजिटल अरेस्ट रैकेट में फंसाते हैं। इस रैकेट के पीछे इंटरनेशनल गिरोह है। भारत के अलग-अलग राज्यों से लड़कियां इन एजेंटों के जाल में फंसकर पहले दुबई और बाद में दूसरे देशों में भेजी जा र

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पुलिस को पूछताछ में खुशबू ने बताया कि वह नौकरी के लिए दुबई गई थी, वहां से कंबोडिया पहुंची।

गुरुग्राम में की 39 लाख की ठगी दरअसल 4 दिसंबर 2024 को गुरुग्राम की एक महिला ने शिकायत दी थी कि उसके बेटे को साइबर अपराधियों ने धमकाकर मोटी रकम ऐंठ ली। साइबर क्राइम में मामला दर्ज कर एसीपी प्रियांशु दीवान और इंस्पेक्टर अमित शर्मा की टीम ने जांच शुरू की। जांच में पता चला कि ठगी की रकम के 39 लाख रुपए आरोपी सुरेंद्र के खाते में ट्रांसफर हुई। उसने यह बैंक खाता 5 लाख रुपए में मितेश नाम के व्यक्ति को बेच दिया था।मितेश ने खाता दुबई में रहने वाले अपने भाई के कहने पर खुशबू को दे दिया था। इसी में रकम पहुंची थी। पुलिस ने जानकारी खंगाली तो खुशबू का नाम सामने आया।

दिल्ली से गिरफ्तार किया

29 जून को गुरुग्राम पुलिस ने खुशबू को दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने युवती के पास से दो मोबाइल फोन भी जब्त किए हैं, जिनका इस्तेमाल ठगी में किया जा रहा था। इस मामले की जांच अभी जारी है और गिरोह से जुड़े अन्य लोगों की तलाश की जा रही है।

खुशबू ने बताया कि

खुशबू ने बताया कि

नौकरी करने दुबई गई, वहीं से कंबोडिया पहुंची पकड़ी गई सूरत की युवती ने बताया कि मैंने सिर्फ 12वीं तक पढ़ाई की है। मैं जनवरी 2024 में एक एजेंट के जरिए नौकरी के लिए दुबई गई थी। दुबई से एजेंट मुझे नौकरी के लिए कंबोडिया के मैंगो पार्क ले गया। यहां से डिजिटल गिरफ्तारी के लिए कॉल किए जाते हैं। यह कॉल सेंटर चीनी लोग चलाते थे। मैं इन लोगों से एक ट्रांसलेटर के जरिए बात करती थी, जो पाकिस्तानी था। यहां करीब 100 लोगों को डिजिटल गिरफ्तारी के लिए रखा गया था। उसने बताया कि मुझे वहां टेलीकॉम डिपार्टमेंट में डिजिटल अरेस्ट के लिए कॉल सेंटर में काम करने को कहा गया। इस कॉल सेंटर में तीन लाइन में लोग काम कर रहे थे। एक लाइन 40 लोग थे। ये कॉल करते थे। लोगों को पहले डराया जाता कि उनके आधार कार्ड से साइबर क्राइम हुआ है। उनसे कहा जाता कि हवाला कारोबार में ‌उसके आधार कार्ड का इस्तेमाल किया जा रहा है। फिर फर्जी पुलिस अधिकारी बनकर उन्हें ‘डिजिटल अरेस्ट’ किया जाता और आखिर में खुद को इनकम टैक्स या कस्टम अधिकारी बताकर उनसे मोटी रकम वसूली जाती है।

लड़की ने बताया कि लाइन नंबर दो के लोग मुंबई पुलिस बनकर लोगों से बात करते थे। इन लोगों ने पुलिस की वर्दी पहन रखी थी।

लाइन तीन में सीबीआई अफसर बनकर रोहन गुप्ता नाम का शख्स लोगों से बात करता था। वह लोगों को डराकर पैसे ट्रांसफर करवाता था। लड़की ने बताया कि हमारे कॉल सेंटर के साथ-साथ यहां कई और कॉल सेंटर भी हैं और इनमें करीब 10 हजार लोग काम करते हैं। ये सभी लोग भारत और पाकिस्तान से हैं। इस मैंगो पार्क के बगल में स्ट्रीटलैम, ताज महल होटल, खानडाउन जैसी जगहें हैं जहां ऐसे कॉल सेंटर हैं।



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