Tuesday, December 2, 2025
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तुर्किये के बाद सऊदी में भी तालिबान-पाकिस्तान समझौता फेल: TTP विवाद का कोई रास्ता नहीं निकल सका, डेढ़ महीने में तीसरी बैठक नाकामयाब


रियाद1 घंटे पहले

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तालिबान और पाकिस्तान के अधिकारियों के बीच सऊदी अरब में हुई बातचीत बिना किसी समझौते के खत्म हो गई है। दोनों देशों के बीच तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) विवाद का कोई हल नहीं निकल सका। डेढ़ महीने में तीसरी बार बैठक नाकामयाब हुई है।

इससे पहले तुर्किये की मध्यस्थता में इस्तांबुल में दो दौर की बातचीत फैल हो चुकी हैं। सिर्फ कतर के दोहा में पहली बैठक में तत्काल सीजफायर पर सहमति बनी थी, लेकिन TTP मुद्दे पर आगे कोई रास्ता नहीं निकला।

अफगानिस्तान इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान का एक प्रतिनिधिमंडल इस बैठक में शामिल हुआ था। इसमें अफगानिस्तान के उप गृह मंत्री रहमतुल्लाह नजीब, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल कहार बल्खी और तालिबान नेता अनस हक्कानी शामिल थे।

सऊदी अरब ने पहले ही कह दिया था कि वह दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता करने को तैयार है। लेकिन बातचीत आगे नहीं बढ़ सकी। (फाइल फोटो)

सऊदी अरब ने पहले ही कह दिया था कि वह दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता करने को तैयार है। लेकिन बातचीत आगे नहीं बढ़ सकी। (फाइल फोटो)

दोनों देशों में समझौता किस बात पर हो रहा है?

दोनों देशों के बीच बातचीत का फोकस तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) है। पाकिस्तान चाहता है कि तालिबान, TTP को अपने इलाके से ऑपरेट न करने दे। TTP के लड़ाके लगातार पाकिस्तान में सेना और पुलिस पर हमले करते हैं।

पाकिस्तान चाहता है कि तालिबान TTP के खिलाफ कठोर कार्रवाई करे। साथ ही उसके ठिकाने खत्म करे और अफगान जमीन से होने वाले हमले बंद कराए। पाकिस्तान का आरोप है कि तालिबान, TTP को छुपा रहा है और कड़े कदम नहीं उठा रहा।

पाक खुफिया एजेंसिया और सेना बातचीत नहीं होने दे रही

तालिबान ने इन बैठकों पर अब तक कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद पहले ही कह चुके हैं कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों और सेना से जुड़े कुछ लोग बातचीत को पटरी से उतार रहे हैं और तनाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।

तालिबान-पाकिस्तान में 9 अक्टूबर को शुरू हुए संघर्ष के बाद दोनों पक्षों ने 19 अक्टूबर को कतर में सीजफायर पर हस्ताक्षर किए थे। तुर्किये में 25 से 30 अक्टूबर तक आतंकवाद से निपटने को लेकर हुई दूसरी बातचीत का दौर बिना किसी समझौते के खत्म हो गया था। हालांकि सीजफायर जारी है।

कतर की राजधानी दोहा में पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच 19 अक्टूबर को सीजफायर समझौते पर दस्तखत हुए। इस दौरान तुर्किये और कतर के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।

कतर की राजधानी दोहा में पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच 19 अक्टूबर को सीजफायर समझौते पर दस्तखत हुए। इस दौरान तुर्किये और कतर के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।

पाकिस्तान ने काबुल में बम गिराए थे

अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच संघर्ष 9 अक्टूबर को शुरू हुआ था जब इस्लामाबाद ने काबुल में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के ठिकानों पर हमला किया। अफगान लोग पाकिस्तान को सीमा विवाद और हवाई क्षेत्र के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

दोनों देशों के बीच विवाद की जड़ है डूरंड लाइन, जो ब्रिटिश काल में भारत और अफगानिस्तान के बीच खींची गई थी। यह दोनों देशों की पारंपरिक जमीन को बांटती है और दोनों तरफ के पठान इसे कभी स्वीकार नहीं करते।

डूरंड लाइन पर कम से कम सात जगहों पर दोनों पक्षों के बीच घातक गोलीबारी हुई थी। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर भारी नुकसान का दावा किया। रॉयटर्स के अनुसार, पाकिस्तान ने कहा कि उसने 200 से ज्यादा अफगान तालिबान और उनके सहयोगियों को मार गिराया, जबकि अफगानिस्तान का दावा है कि उसने 58 पाकिस्तानी सैनिकों को खत्म किया।

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर हुए हमले के बाद इमारतों से धुआं उठता नजर आया था। (सोर्स-X)

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर हुए हमले के बाद इमारतों से धुआं उठता नजर आया था। (सोर्स-X)

पाकिस्तान ने सीजफायर तोड़ अफगान पर हमला किया था

बातचीत से पहले अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच गुरुवार को फिर से संघर्ष शुरू हुआ था। न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक पाकिस्तानी सैनिकों ने अफगान के स्पिन बोल्डक इलाके में शाम करीब 5 बजे गोलीबारी की।

अफगान मिलिट्री सोर्स ने न्यूज एजेंसी को बताया कि पाक सैनिकों ने भारी हथियारों से आम नागरिकों को निशाना बनाया। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अफगानिस्तान की तरफ से भी जवाबी हमले किए गए। पूरी खबर पढ़ें…

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