Friday, August 1, 2025
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दिल्ली की सुरक्षा पर जारी है ‘अभ्यास सुरक्षा चक्र’, राजधानी में जुटे विशेषज्ञ, आपदा प्रबंधन पर हो रहा मंथन


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EXERCISE SURAKSHA CHAKRA: तकनीक और बेहतर प्लान के जरिए किसी भी आपदे से पार पाया जा सकता है. जब जरूरत है समनवय की. दिल्ली और एनसीआर में कई अलग अलग आपदा प्रबंधन मौजूद है. एक साथा एक छत के नीचे आकर काम करने से प्र…और पढ़ें

आपदा प्रबंधन के लिए कसी कमर

हाइलाइट्स

  • दिल्ली में आपदा प्रबंधन पर संगोष्ठी जारी है.
  • सुरक्षा चक्र अभ्यास में विशेषज्ञ जुटे हैं.
  • भूकंप और रासायनिक आपदाओं पर फोकस है.
EXERCISE SURAKSHA CHAKRA: रूस में दुनिया का छठा सबसे बड़ा भूकंप आया. इस भूकंप के बाद आई सुनामी की लहरों ने सभी को डर में डाल दिया. भूकंप की तीव्रता 8.8 थी. यह भारतीय समयानुसार बुधवार सुबह 4:54 बजे आया. भारत में भी आए दिन भूकंप के झटके महसूस होते रहते हैं. हिंदुकुश में आए भूकंप से दिल्ली एनसीआर तक हिल उठता है. प्राकृतिक आपदा को रोका तो नहीं जा सकता है, लेकिन राहत बचाव का अगर प्लान पहले से ही बना हो तो उससे होने वाले नुकसान से जरूर बचा जा सकता है. इसी लिए दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में तीन दिन का ‘एक्सरसाइज सुरक्षा चक्र’ नाम से आपदा प्रबंधन पर संगोष्ठी जारी है. इसके साथ ही मॉक अभ्यास भी शुरू हुआ. इस अभ्यास को सेना का हेडक्वार्टर दिल्ली एरिया आयोजित कर रहा है. इस बैठक को NDMA और दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के SDMA के समन्वय से आयोजित किया गया. जनरल ऑफिसर कमांडिंग, दिल्ली एरिया लेफ्टिनेंट जनरल भावनिश कुमार ने अपने क्षेत्र में मौजूद आपदा खतरों और उनसे निपटने के लिए की जा रही तैयारियों पर व्यापक दृष्टिकोण साझा किया.

आपदा से निपटने के लिए कसी कमर
दिल्ली लगातार बढ़ रही है. इमारतों, फैक् ट्रीऔर बेतहाशा बढ़ रही जनसंख्या से किसी भी प्राकृतिक आपदा में राहत बचाव के काम के लिए प्लान को लगातार मॉनिटर और तैयारियों को परखा जाता है. इस अभ्यास का सबसे बड़ा मकसद है SDMA, सेंट्रल रेस्पॉंस एजेंसी, आर्म्ड फोर्सेज, टेक्निकल एंड अर्ली वॉर्निंग संस्थान को एक साझा मंच पर लाकर योजना ढांचे की पुष्टि करना, एजेंसियों के बीच तालमेल मजबूत करना और “Whole-of Government” यानी सम्पूर्ण शासन के दृष्टिकोण को व्यवहार में लाना है. यह अभ्यास खास तौर पर भूकंप और औद्योगिक रासायनिक आपदाओं से निपटने की तैयारियों पर फोकस है. इसमें दिल्ली के 11, हरियाणा के 5 और उत्तर प्रदेश के 2 जिलों को शामिल किया गया है. यह पहली बार है जब दिल्ली एनसीआर में इस तरह की साझा पहल की जा रही है. इस संगोषठी में टेबल टॉप एक्सरसाइज (TTX) को भी अंजाम दिया गया.  जिसमें दोहरे खतरे के परिदृश्यों का अनुकरण किया गया. इसमें एक उच्च-तीव्रता वाला शहरी भूकंप और एक औद्योगिक क्षेत्र में रासायनिक घटना. इस अभ्यास ने रीयल टाईम में फैसले लेने,कम्यूनिकेशन प्रोटोकॉल और मल्टी एजेंसी के समन्वय का परीक्षण किया गया. इसने सर्च एंड रेस्औक्रयू, चिकित्सा प्राथमिकता, इवैक्यूवेशन प्लान, खतरनाक सामग्री नियंत्रण और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की निरंतरता जैसे पहलुओं पर विशेष ध्यान केंद्रित किया. सीविल एजेंसियों के अलावा, सेना की यूनिट और संसाधनों द्वारा HADR पर विचार-विमर्श किया गया

दिल्ली में भूकंप का इतिहास
दिल्ली सिस्मिक ज़ोन IV (Seismic Zone IV) में आता है. इसका मतलब है कि गंभीर तीव्रता वाला क्षेत्र. यहां पर भूकंप आने की संभावना ज्यादा होती है. अगर हम दिल्ली में आए भूकंप के आंकड़ों पर गौर करें तो साल 1993 से लेकर साल 2025 के बीच दिल्ली एनसीआर में 446 छोटे बड़े भूकंप आए. इनकी तीव्रता 1.1 से लेकर 4.6 मैग्निट्यूड तीव्रता वाले झटके शामिल हैं. रिपोर्ट के मुताबिक इसी साल 1 जनवरी से 22 जुलाई के बीच ही कुल 17 भूकंप के झटके दिल्ली एनसीआर के लोगों ने महसूस किए. दिल्ली एनसीआर के इतिहास में अब तक का सबसे तेज भूकंप 27 अगस्त 1960 में दिल्ली गुरुग्राम सीमा पर आया था. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6 मापी गई थी.

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