Monday, November 3, 2025
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दिल्ली में न आए बाढ़, इसके लिए क्या करें उपाय? एक्सपर्ट ने दिया जवाब


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द‍िल्‍ली में लगातार हो रही भारी बार‍िश और यमुना का जलस्‍तर बढ़ने से बाढ़ के हालात पैदा हो गए हैं. हालांक‍ि बार‍िश में हर बार जलमग्‍न हो जाने वाली द‍िल्‍ली को बचाने के ल‍िए क्‍या उपाय किए जाने चाह‍िए, इस पर सीईई…और पढ़ें

दिल्ली में न आए बाढ़, इसके लिए क्या करें उपाय? एक्सपर्ट ने दिया जवाबद‍िल्‍ली में बाढ़ रोकने के लिए क्‍या उपाय होने चाहिए?
How to prevent New Delhi from Flood: राजधानी दिल्ली में बाढ़ के हालात पैदा हो गए हैं. यमुना का पानी खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है. जबकि लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने हालात और भी खराब कर दिए हैं. दिल्ली के कई इलाके जलमग्न हो गए हैं. कालिंदी कुंज और विश्वकर्मा कॉलोनी में पानी भर गया है. यमुना घाट में मौजूद हनुमान मंदिर का आधे से ज्यादा हिस्सा पानी में डूबा गया है और इसी के चलते मंदिर को फिलहाल बंद कर दिया गया है. इतना ही नहीं अर्जनगढ़, फिरोजशाह रोड, नजफगढ़, मिंटो ब्रिज सहित पुरानी दिल्ली के कई इलाकों में भी पानी भर गया है.

दिल्ली में बाढ़ के जैसे हालातों को लेकर एनडीआरएफ के अलावा मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता भी लगातार निगरानी बनाए हुए हैं और एहतियात के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, हालांकि भीषण बारिश के कारण दिल्ली के ये हालात पहली बार नहीं है. इससे पहले भी कई बार दिल्ली ने पानी का ऐसा विकराल रूप देखा है. इस साल मानसून में, यमुना दिल्ली के पुराने रेलवे पुल पर 205.33 मीटर के खतरे के निशान को पहले ही तीन बार पार कर चुकी है. वहीं अब हथनीकुंड बैराज से छोड़ा गया 3 लाख क्यूसेक से अधिक पानी दिल्ली के वजीराबाद पहुंच कर यमुना के उफान का कारण बन रहा है. हालांकि सबसे बड़ा सवाल यही है कि दिल्ली को बाढ़ से कैसे बचाया जाए? ऐसा क्या किया जाए कि दिल्ली में बाढ़ न आए?

‘ठाणे और नवसारी में किए गए बाढ़ जोखिम प्रबंधन नियोजन (Flood risk management planning) से मिली जानकारियों के अनुसार, दिल्ली में बाढ़ के ‘हॉटस्पॉट’ (hotspots) को चिन्हित करने की जरूरत है और जरूरी कदमों की प्राथमिकता निर्धारित करने के लिए ‘शहर या स्थानीय स्तर पर बाढ़ जोखिम प्रबंधन योजनाएं’ बनाने की जरूरत है.’

बस्सी कहते हैं, ‘भविष्य में दिल्ली को बाढ़ से बचाने या इसके प्रभाव को कम करने के लिए बाढ़ के मैदानों पर निर्माण गतिविधियों को रोकने व अवैध कब्जों को हटाने के लिए भूमि उपयोग नियमों को बेहतर ढंग से लागू करना होगा. स्थानीय जल निकासी व्यवस्था को बाधित होने से बचाने के लिए ठोस कचरा प्रबंधन नीतियों को लागू करना होगा. इसके अलावा बाढ़ के अतिरिक्त पानी को सोख सकने वाले शहरी ग्रीन व ब्लू स्थानों को फिर से जीवित करने जैसे कदम उठाने जरूरी हैं.’

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priya gautamSenior Correspondent

अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.News18.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ एंड लाइफस्…और पढ़ें

अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.News18.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ एंड लाइफस्… और पढ़ें

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