Monday, July 7, 2025
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नटवारलाल की भी नानी निकली यह महिला! बेटे संग मिलकर बेच दी IAF की हवाई पट्टी


नटवरलाल को भारत का सबसे बड़ा जालसाज़ माना जाता है, लेकिन पंजाब के फिरोजपुर से एक महिला की ऐसी कारिस्तानी सामने आई, जो उसके भी कान काट दे. इस महिला ने अपने बेटे से मिलकर ऐसी धांधली की, जो न सिर्फ ज़मीन घोटाले की बानगी है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े बेहद संवेदनशील मसले को भी उजागर करता है. नटवरलाल ने जहां ताजमहल बेच दिया था. वहीं अब खबर है कि इस महिला उषा अंसल ने अपने बेटे नवीन चंद के साथ मिलकर भारतीय वायुसेना (IAF) की एक पूरी हवाई पट्टी ही बेच दी. वह भी कोई ऐसी-वैसी हवाई पट्टी नहीं, बल्कि 3-3 बड़े जंग में इस्तेमाल हो चुकी हवाई पट्टी… आरोप है कि दोनों मां-बेटों ने राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से साल 1997 में ही यह जालसाजी की थी. अब 28 साल बाद पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देश पर दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
यह हवाई पंजाब में फिरोजपुर के पट्टी फत्तूवाला गांव में स्थित है, जो पाकिस्तान बॉर्डर के बेहद करीब है और रणनीतिक दृष्टि से काफी अहम मानी जाती है. यह जमीन 1945 में ब्रिटिश प्रशासन ने वायुसेना के लिए अधिग्रहित की थी और इसका इस्तेमाल 1962, 1965 और 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान किया गया था.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट की फटकार और सतर्कता विभाग की जांच रिपोर्ट के बाद यह 20 जून 2025 को इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई. इस केस में भारतीय दंड संहिता की धारा 419 (छलपूर्वक व्यक्तित्व बनाना), 420 (धोखाधड़ी), 465, 467 (मूल्यवान दस्तावेज़ों की जालसाजी), 471 (फर्जी दस्तावेजों का उपयोग) और 120B (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज हुआ है. इस जांच की कमान डीएसपी करण शर्मा को सौंपी गई है, जो यह पता लगा रहे हैं कि इतने लंबे समय तक इस जमीन की खरीद-फरोख्त को दबाकर रखने में कौन-कौन शामिल था.

कैसे की ये जालसाजी?

विजिलेंस विभाग की जांच में सामने आया कि डुमनी वाला गांव निवासी उषा और नवीन ने जालसाजी से खुद को उस ज़मीन का मालिक दिखाया और फिर राजस्व रिकॉर्ड में फर्जीवाड़ा कर उसे बेच डाला. वर्ष 1991 में असली मालिक मदन मोहन लाल की मृत्यु हो चुकी थी, लेकिन वर्ष 1997 में उनके नाम पर जमीन की बिक्री कर दी गई. 2009-10 की जमाबंदी में सुरजीत कौर, मंजीत कौर, मुख्तियार सिंह, जागीर सिंह, दारा सिंह, रमेश कांत और राकेश कांत को मालिक दिखाया गया, जबकि रक्षा मंत्रालय ने कभी भी यह जमीन ट्रांसफर नहीं की थी.

कैसे खुला घोटाला?

इस घोटाले को सामने लाने वाले थे रिटायर्ड राजस्व अधिकारी निशान सिंह, जिन्होंने 2021 में इसकी शिकायत की थी. यहां तक कि हलवारा एयरफोर्स स्टेशन के कमांडेंट ने भी तत्कालीन डीसी को पत्र लिखकर जांच की मांग की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. हारकर निशान सिंह ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

हाईकोर्ट ने फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर की निष्क्रियता पर कड़ी टिप्पणी करते हुए इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया. जस्टिस हरजीत सिंह बराड़ ने विजिलेंस ब्यूरे के प्रमुख को खुद जांच कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए, और चार सप्ताह में रिपोर्ट सौंपने को कहा है.



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