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गाजियाबाद के पुराने दिल्ली गेट बाजार में एक ऐसी रबड़ी की दुकान है, जिसका कोई नाम नहीं, कोई चमकता हुआ बोर्ड नहीं, लेकिन इसका स्वाद लोगों के दिलों पर राज करता है. करीब 60 साल से यह दुकान एक तख्त पर सजती है, जहां सुबह होते ही भीड़ जुट जाती है. लोग इसे ‘बेनाम रबड़ी’ के नाम से जानते हैं.
गाजियाबाद के पुराने बाजार दिल्ली गेट में रबड़ी की एक मशहूर दुकान है, जो न तामझाम से भरी है, न ही बड़े-बड़े बोर्ड और ब्रांडिंग से. फिर भी यह दुकान लोगों के दिलों में दशकों से बसी हुई है. इस दुकान का कोई नाम नहीं है, लेकिन इसकी पहचान किसी ब्रांड से कम नहीं.

करीब 60 से 65 साल पुरानी यह दुकान न किसी बड़ी बिल्डिंग में है, न ही इसके ऊपर कोई चमचमाता बोर्ड लगा है. यह दुकान बस एक तख्त पर सजती है, लेकिन सुबह होते ही वहां भीड़ लगने लगती है. बुजुर्ग हों या युवा, महिलाएं हों या बच्चे हर कोई उस खास स्वाद के लिए आता है, जो अब कम ही देखने को मिलता है.

इस दुकान को इलाके में लोग बेनाम रबड़ी की दुकान के नाम से जानते हैं. इसका कोई बोर्ड नहीं है, कोई फिक्स टाइम नहीं, लेकिन फिर भी लोग जानते हैं कि कब दुकान खुलेगी और कब तक भीड़ सबसे ज्यादा होगी. लोग दूर-दूर से आते हैं, सिर्फ इस रबड़ी के चम्मचभर स्वाद को महसूस करने.

इस दुकान पर सिर्फ रबड़ी ही नहीं, बल्कि साथ में मिल्क केक और दही भी मिलता है. खास बात यह है कि ये सब भी उतनी ही शुद्धता और परंपरा से बनाए जाते हैं. कोई प्रिज़र्वेटिव नहीं, कोई मशीन नहीं सिर्फ हाथ की मेहनत और सालों पुराना अनुभव.

यह रबड़ी खास इसलिए है क्योंकि यह शुद्ध देसी दूध से बनाई जाती है और वो भी ग्राहकों के सामने. यहां किसी तरह की मिलावट की कोई गुंजाइश नहीं है. दूध गांव से सीधे लाया जाता है और उसी वक्त ग्राहकों के सामने कढ़ाही में चढ़ाकर रबड़ी बनाई जाती है. धीमी आंच पर घंटों पकती हुई रबड़ी का रंग हल्का भूरा हो जाता है और उसकी खुशबू दूर तक फैल जाती है.

मूल्य की बात करें तो यहां रबड़ी 440 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मिलती है. यह कीमत सुनने में थोड़ी ज्यादा लग सकती है, लेकिन जो लोग इस दुकान के नियमित ग्राहक हैं, उनके लिए यह स्वाद अनमोल है. उनका मानना है कि इतने स्वाद की रबड़ी अब कहीं नहीं मिलती.

इस दुकान के मालिक कभी भी नाम या ब्रांड के पीछे नहीं भागे. उनके लिए ग्राहक की संतुष्टि और शुद्धता सबसे बड़ी चीज है. यही वजह है कि तीन पीढ़ियां बदल गईं, लेकिन इस दुकान का अंदाज़ और स्वाद वही का वही है.गाजियाबाद के ही नहीं, बल्कि मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, नोएडा और दिल्ली तक से लोग खास तौर पर यहां आते हैं. कोई शादी-ब्याह के लिए बड़े ऑर्डर देता है तो कोई बस एक कटोरी गर्म रबड़ी खाने का शौक लेकर पहुंचता है.