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प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सलामतपुर में मर्चुरी रूम नहीं है। हादसा या हत्या होने पर शव का पोस्टमार्टम नहीं हो पाता। परिजनों को शव लेकर सांची या रायसेन जाना पड़ता है। यह परेशानी पिछले 68 साल से बनी हुई है। अस्पताल का निर्माण 1956 में हुआ था। यहां 42 गांवों के लोग इलाज के लिए आते हैं।
भोपाल-विदिशा स्टेट हाइवे 18 पर रोज हादसे होते हैं। ऐसे में मृतकों के शव पोस्टमार्टम के लिए सलामतपुर अस्पताल लाए जाते हैं। लेकिन मर्चुरी रूम नहीं होने से पोस्टमार्टम नहीं हो पाता। स्थानीय ग्रामीणों ने कई बार विधायक और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी से मांग की है। कलेक्टर को भी आवेदन दिए गए हैं। लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई। पहले जंगल में पोस्टमार्टम होता था। बाद में वह बंद हुआ। तब से मर्चुरी रूम की मांग की जा रही है।
हर दिन होते हैं सड़क हादसे हाइवे पर दीवानगंज से सलामतपुर के बीच रोजाना छोटे-बड़े हजारों वाहन गुजरते हैं। भोपाल से विदिशा, रायसेन, सागर, जबलपुर, यूपी, गुजरात तक जाने वाले वाहन इसी रास्ते से निकलते हैं। हादसे रोज होते हैं। लेकिन शवों के पोस्टमार्टम के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। ग्राम पंचायत रातातलाई के सरपंच रघुवीर सिंह मीणा ने कहा कि अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे। रहवासी कैलाश गोस्वामी ने बताया कि कई बार शिकायतें की गईं। लेकिन समाधान नहीं हुआ। अब ग्रामीण आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं।