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एक मशहूर विलेन की बेटी चुपचाप अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ा रही हैं. वो बतौर निर्देशक सफल रहे, न कि बतौर अभिनेता सिल्वर स्क्रीन पर. अब यह डिजिटल मीडिया में अपनी आवाज बुलंद कर रही है.
हाइलाइट्स
- ‘सड़क’ से फेमस हुए थे सदाशिव अमरापुरकर
- अब उनकी बेटी डिजिटल प्लेटफॉर्ट से अपना करियर बना रही हैं
- अपने चैनल पर मनोरंजन जगत के लोगों के लेती हैं इंटरव्यू
नई दिल्लीः शुरुआती बच्चे आसानी से फिल्मों में प्रवेश करते हैं. हीरो-हीरोइनों के साथ-साथ खलनायकों के वंशज भी अब इंडस्ट्री में आ रहे हैं और किसी न किसी केटेगरी में लोकप्रिय हो रहे हैं. इस सूची में एक लोकप्रिय खलनायक की बेटी भी शामिल है. हालांकि, वो उतनी लोकप्रिय नहीं है लेकिन वो चुपचाप अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ा रही हैं. वो अब डिजिटल मीडिया में अपनी आवाज बुलंद कर रही है. वो कोई और नहीं बल्कि पूर्व क्रेजी विलेन सदाशिव अमरापुरकर की बेटी रीमा अमरापुरकर हैं. वो बतौर निर्देशक सफल हुई हैं लेकिन एक्ट्रेस के तौर पर नहीं.
बेटी बनी विलेन स्टार की उत्तराधिकारी
सदाशिव अमरापुरकर का नाम लेते ही बॉलीवुड दर्शक कांप उठते हैं. फिल्म ‘सड़क (1991)’ में उन्होंने जो ‘महारानी’ का भयानक किरदार निभाया, वो दिल दहला देने वाला है. ‘अर्धसत्य’ जैसी फिल्मों में सदाशिव द्वारा दिखाए गए सशक्त अभिनय के बारे में जितना कहा जाए कम है. उनके उत्तराधिकारी के रूप में रीमा अमरापुरकर भी इंडस्ट्री में आईं, जिन्होंने भारतीय सिनेमा पर अमिट छाप छोड़ी.
कैमरे के पीछे बनाई एक अलग दुनिया
रीमा को स्टारडम में कोई दिलचस्पी नहीं है. उसने कभी अभिनेत्री बनने के बारे में नहीं सोचा था. लेकिन सिनेमा के प्रति अपने जुनून के कारण उन्होंने कैमरे के पीछे अपनी एक अलग दुनिया बना ली. उन्होंने बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत एक सहायक निर्देशक के रूप में की और ‘बाबुल’ (2006) और कॉमेडी ब्लॉकबस्टर ‘धमाल’ (2007) जैसी फिल्मों में काम किया. 2008 में उन्हें मराठी फिल्म ‘आरा आरा आबा आता तेरी थम्बा’ से निर्देशक के रूप में प्रसिद्धि मिली. इस फिल्म में हास्य और भावनाओं का अद्भुत संतुलन है. अपने पिता से विरासत में मिली बहुमुखी प्रतिभा रीमा की कहानी कहने की शैली में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है.
सिनेमा से डिजिटल मीडिया तक
2014 में सदाशिव अमरापुरकर की मौत के बाद रीमा ने बड़ी फिल्मों के निर्देशन से ब्रेक ले लिया था. लेकिन, फिल्म के प्रति जुनून बिल्कुल भी कम नहीं हुआ है. इसीलिए उन्होंने अपना ध्यान डिजिटल मीडिया की ओर केन्द्रित किया और ‘एमयू’ लांच किया. पीओ ‘मनोरंजन’ (मु.पो. मनोरंजन) नाम से एक यूट्यूब पॉडकास्ट चैनल शुरू किया गया है. वो मशहूर हस्तियों के इंटरव्यू लेती हैं और फिल्मों, संस्कृति और महत्वपूर्ण सामाजिक विषयों पर चर्चा आयोजित करती हैं. पहले से ही 13.5 हजार से अधिक सब्सक्राइबरों के साथ, यह शो अच्छी रीच हासिल कर रहा है क्योंकि यह वास्तविक और दिलचस्प है. रीमा की आवाज बहुत ही मधुर और स्पष्ट है. यह उन दर्शकों द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है जो मनोरंजन के साथ-साथ कुछ सेलिब्रिटी की असल जिंदगी के बारे में भी जानना चाहते हैं.
पर्दे पर विलेन पर असल जिंदगी में हित के काम करते थे सदाशिव
सदाशिव अमरापुरकर अपनी शक्तिशाली खलनायक भूमिकाओं के लिए जितने लोकप्रिय थे, उतने ही वे ऑफ-स्क्रीन दान और सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय थे. रीमा भी अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ा रही हैं. अपने पिता की तरह रीमा भी शिक्षा और सामाजिक जागरूकता के लिए आवाज उठा रही हैं. रीमा का नाम भले ही सुर्खियों में न आता हो, लेकिन वह चुपचाप जो काम करती हैं, उसमें बहुत गहराई है.
मैं मोहनी गिरी न्यूज 18 हिंदी में एंटरटेनमेंट टीम (रिजनल सिनेमा) से जुड़ी हूं. इससे पहले नवभारत टाइम्स, जनसत्ता, पत्रिका जैसे संस्थानों में काम कर चुकी हूं. अपने 7 साल से ज्यादा करिएर में में मैंने कई क्षेत्रों …और पढ़ें
मैं मोहनी गिरी न्यूज 18 हिंदी में एंटरटेनमेंट टीम (रिजनल सिनेमा) से जुड़ी हूं. इससे पहले नवभारत टाइम्स, जनसत्ता, पत्रिका जैसे संस्थानों में काम कर चुकी हूं. अपने 7 साल से ज्यादा करिएर में में मैंने कई क्षेत्रों … और पढ़ें