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Bihar SIR: आयोग के सूत्रों के अनुसार, बिहार में मतदाता सूची में विशेष संशोधन के परिणामस्वरूप आयोग द्वारा तैयार की गई मसौदा सूची से कम से कम 65 लाख मतदाताओं के नाम हटा दिए गए हैं.
हाइलाइट्स
- बिहार में SIR से 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं.
- बिहार के बाद मणिपुर में भी SIR शुरू हो सकता है.
- सुप्रीम कोर्ट ने SIR प्रक्रिया पर ईसी को निर्देश दिए हैं.
एनडीटीवी की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बिहार के बाद मणिपुर में भी प्रारंभिक तैयारी शुरू हो गई है. वहां वर्तमान में राष्ट्रपति शासन लागू है और 2027 में विधानसभा चुनाव होंगे. आयोग एक राज्य की SIR पूरी कर अगली राज्य में इसका विस्तार करना चाहता है. अंतिम निर्णय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही लिया जाएगा.
बिहार में पहले चरण में 65 से 66 लाख मतदाताओं को सूची से हटाए जाने की संभावना बनी है. निर्धारित रूप से उन्हें ‘डिस्ट्रेस्ड’, ‘डिप्लेस्ड’ या ‘डेड’ कैटेगरी में शामिल किया गया है. वहीं विपक्ष मतदाता के दौरान बहिष्कार करने का दावा कर रहा है.
SIR प्रक्रिया में बड़ी अनियमितताओं की शिकायतें हैं जैसे कुछ मृतक व्यक्तियों ने फॉर्म भरे दिखाए गए, जबकि कुछ लोगों को फॉर्म सब्मिट किए बिना ही नामांकन की सूचना मिल गई. यह सुप्रीम कोर्ट में भी बताया गया. सुप्रीम कोर्ट ने ईसी को निर्देश दिया कि आधार, वोटर ID और राशन कार्ड को वैध दस्तावेज माना जाए, ताकि निष्पक्ष समीक्षा हो सके. साथ ही कोर्ट ने चेतावनी दी है कि यदि व्यापक रूप से वोटर हटाए गए, तो वे हस्तक्षेप कर सकते हैं.
विपक्षी और राज्य स्तर के प्रतिक्रियाएं
तमिलनाडु के सीएम एम.के.स्टालिन ने केंद्र सरकार से SIR प्रक्रिया को तत्काल बंद करने की मांग की है, आरोप लगाते हुए कि यह दलित और अल्पसंख्यक वर्गों को निशाना बनाने की रणनीति है. उन्होंने तमाम विपक्षी पार्टियों के साथ मिलकर संयुक्त रूप से विरोध की बात कही है.