Friday, July 25, 2025
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बॉलीवुड का वो स्टार जो पहले हुआ महा FLOP, फिर 1 टॉप हीरोइन संग दी 29 हिट, अमिताभ बच्चन से पहले बने ‘महानायक’


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साल 1975 में सिर्फ ‘शोले’ ही नहीं, कई हिट फिल्में रिलीज हुई थी. उनमें से एक फिल्म में शर्मीला टैगोर लीड एक्ट्रेस थीं. इस एक्ट्रेस अपॉजिट बंगाली सिनेमा के सुपरस्टार कहे जाने वाला उत्तम कुमार थे. इसके बाद उन्होंने राकेश रोशन संग ‘आनंद आश्रम’ में काम किया.

साल 1987 में आई धर्मेंद्र की ‘मेरा करम मेरा धरम’ की फिल्म उत्तम कुमार ने आखिरी बार काम किया. बांग्ला सिनेमा का नाम लेते ही सबसे पहले चेहरा उत्तम कुमार का याद आता है. उन्हें अपने करियर की शुरुआत में कई हार का सामना करना पड़ा था. उनकी लगातार एक या दो फिल्में नहीं, बल्कि सात फिल्में फ्लॉप हुई थीं, उस दौर में उन्हें ‘फ्लॉप मास्टर जनरल’ तक का टैग दे दिया गया था.

Uttam Kumar Death

लेकिन उत्तम कुमार ने हार नहीं मानी और मजबूती के साथ कमबैक किया और कई बेहतरीन फिल्में दी. आज वे सिर्फ बांग्ला ही नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा के इतिहास में ‘महानायक’ के नाम से जाने जाते हैं. उत्तम कुमार का असली नाम अरुण कुमार चटर्जी है.

Uttam Kumar

उत्तर कुमार का जन्म 3 सितंबर 1926 को कोलकाता के अहिरीटोला इलाके में हुआ था. पढ़ाई-लिखाई के बाद उन्होंने कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट में नौकरी की, लेकिन थिएटर और अभिनय का शौक उन्हें मंच की ओर खींच लाया. 1948 में उन्होंने फिल्म ‘दृष्टिदान’ से सिनेमा में कदम रखा, लेकिन यह फिल्म फ्लॉप रही. इसके बाद लगातार छह और फिल्में एक के बाद एक असफल रहीं, जिसके चलते लोग उन्हें ‘फ्लॉप मास्टर जनरल’ कहकर चिढ़ाने लगे.

Uttam Kumar Death

इन सबके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और 1952 में आई फिल्म ‘बासु परिवार’ से कमबैक करते हुए अपनी किस्मत बदल डाली. फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही और इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 1966 में आई फिल्म ‘नायक’ ने उनके करियर को ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया.

Uttam Kumar

‘नायक’ में उन्होंने एक मशहूर सुपरस्टार अरिंदम मुखर्जी की भूमिका निभाई थी. फिल्म में उनका किरदार एक अभिनेता के भीतर चल रहे संघर्षों को दिखाता है, जो खुद उत्तम की असल जिंदगी से मिलता-जुलता था. निर्देशक सत्यजीत रे ने इस फिल्म की काफी तारीफ की थी. उन्होंने कहा कि उत्तम कुमार ही सच्चे मायनों में महानायक हैं. इसके बाद ‘महानायक’ शब्द उत्तम कुमार की पहचान बन गया. इस तरह उनके ऊपर से ‘फ्लॉप मास्टर जनरल’ का टैग हटते हुए उन्हें ‘महानायक’ की उपाधि मिली.

Uttam Kumar

बंगाली सिनेमा में उनकी सुचित्रा सेन के साथ जोड़ी को सबसे ज्यादा पसंद किया जाता था. उन्होंने सुचित्रा सेन के साथ ‘शरेय छुअत्तर’, ‘सप्तपदी’, ‘अमर प्रेम’, ‘हरानो सूर’ समेत कुल 30 फिल्मों में काम किया, जिनमें से 29 हिट रहीं. इस पर उत्तम कुमार ने एक इंटरव्यू में खुद माना था कि अगर सुचित्रा सेन नहीं होतीं, तो वह कभी उत्तम कुमार नहीं बन पाते.

Uttam Kumar

बांग्ला फिल्मों में पहचान बनाने के बाद उन्होंने हिंदी फिल्मों में भी कदम रखा. उनकी सबसे चर्चित हिंदी फिल्म 1975 में आई ‘अमानुष’ रही, जिसमें उनके अभिनय को खूब सराहा गया. शक्ति सामंत द्वारा निर्देशित यह फिल्म बंगाली और हिंदी दोनों भाषाओं में बनाई गई थी. इसके अलावा उन्होंने ‘आनंद आश्रम’, ‘छोटी सी मुलाकात’, और ‘दूरियां’ जैसी फिल्मों में भी काम किया.

Uttam Kumar

उत्तम कुमार को उनके बेहतरीन अभिनय के लिए कई बड़े पुरस्कारों से नवाजा गया. 1967 में उन्हें ‘एंटनी फिरंगी’ और ‘चिड़ियाखाना’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला. 2009 में उनके सम्मान में भारतीय डाक विभाग ने डाक टिकट जारी किया. कोलकाता मेट्रो स्टेशन का नाम उनके सम्मान में बदलकर ‘महानायक उत्तम कुमार मेट्रो स्टेशन’ कर दिया गया.

Uttam Kumar

23 जुलाई 1980 के दिन उत्तम कुमार को फिल्म ‘ओगो बोधु शुंडोरी’ की शूटिंग के दौरान सीने में दर्द हुआ. वह खुद कार चलाकर अस्पताल पहुंचे. इलाज के बावजूद, अगले दिन 24 जुलाई 1980 को 53 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया.

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