बिहार खेल विश्वविद्यालय में प्रथम बैच के उन्मुखीकरण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर राज्य के खेल मंत्री सुरेंद्र मेहता और ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने भविष्य की खेल नीति की रूपरेखा प्रस्तुत की।
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खेल मंत्री सुरेंद्र मेहता ने इस अवसर पर कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार खेल के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छू रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार का खेल अभियान अब गांव-गांव तक पहुंचाया जा रहा है और इसके लिए हर पंचायत में खेल का मैदान बनाया जा रहा है।
बिहार के बच्चों में इतनी क्षमता है कि वे खेल के क्षेत्र में देश-दुनिया में अपना परचम लहरा सकते हैं।
मेडल आओ, नौकरी पाओ’ अभियान का प्रभाव
राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘मेडल आओ, नौकरी पाओ’ के तहत युवाओं में खेल के प्रति जागरूकता में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इस पहल से न केवल युवा खेल से जुड़ने लगे हैं, बल्कि उनमें खेल को करियर के रूप में अपनाने की प्रेरणा भी मिली है।
मंत्री मेहता ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार ने खेल को बढ़ावा देने के लिए गांव, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में व्यापक खेल ढांचा तैयार किया जा रहा है ताकि कोई भी प्रतिभाशाली बच्चा छूट न जाए।
हॉकी में मिली सफलता से मिली प्रेरणा
हाल ही में हॉकी में भारतीय खिलाड़ियों की सफलता का उदाहरण देते हुए मंत्री ने कहा कि इससे यह साबित होता है कि बिहार के बच्चे हर क्षेत्र में कुछ कर गुजरने की तमन्ना रखते हैं। बिहार के बच्चों में शिक्षा के साथ-साथ विभिन्न खेलों में भी काफी अच्छी पकड़ देखने को मिल रही है।
ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने इस अवसर पर कहा कि 28 जुलाई से शैक्षणिक सत्र और खेल प्रशिक्षण के शुभारंभ के साथ ही बिहार खेल विश्वविद्यालय अपनी बुलंदियों को छूने लगा है। उन्होंने बताया कि प्रथम सत्र में क्रिकेट और एथलेटिक्स में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम की पढ़ाई होगी।
जो बच्चे प्रथम सत्र में इस खेल विश्वविद्यालय में नामांकन कराए हैं, वे काफी सौभाग्यशाली हैं जिन्हें यह प्रशिक्षण लेने का अवसर मिला है।
कार्यक्रम में उपस्थित लोग।
प्रतिस्पर्धा के युग में बिहार की स्थिति
मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि बिहार के बच्चों को सही मार्गदर्शन मिल जाए तो वे न केवल जमीन पर बल्कि आसमान में भी यदि प्रतिस्पर्धा हो तो नंबर वन आएंगे। उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया प्रतिस्पर्धा के दौर से गुजर रही है और इसमें बिहार के बच्चे खेल जगत में देश-विदेश में अपनी पहचान बना रहे हैं।
एक उल्लेखनीय बदलाव की ओर इशारा करते हुए मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि पहले खेल को लेकर बिहार में कोई चर्चा नहीं होती थी, लेकिन मुख्यमंत्री के द्वारा खेल विकास के बाद अब दूसरे राज्य भी बिहार की खेल नीति की चर्चा कर रहे हैं। यह बहुत बड़ी बात है।
विश्वविद्यालय प्रशासन का दृष्टिकोण
कुलपति शिशिर सिन्हा ने अपने संबोधन में विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय की कार्य संस्कृति से परिचित कराया और उन्हें उत्कृष्ट खेल शिक्षा और अनुशासित जीवन के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम में आए अतिथियों का सम्मान भी किया गया।
कुल सचिव रजनीकांत ने विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय की शैक्षणिक संरचना, प्रशासनिक प्रक्रियाएं, प्रशिक्षण व्यवस्था, आचार संहिता, सैद्धांतिक एवं व्यवहारिक कक्षाओं की समय सारणी तथा फ्रेशर्स डे एवं राष्ट्रीय खेल दिवस जैसे आगामी प्रमुख आयोजनों की विस्तृत जानकारी प्रदान की।
ऐतिहासिक मील का पत्थर
परीक्षा नियंत्रक सह डीन निशिकांत तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम बिहार खेल विश्वविद्यालय के शैक्षणिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है, जिससे प्रथम बैच के विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय व्यवस्था से पूर्ण रूप से अवगत कराया गया।
इस अवसर पर डॉ. रवि कुमार सिंह, चंदन कुमार, डॉ. अजीत कुमार, रोशन कुमार, सुश्री पूजा कुमारी, प्रभारी केंद्र अध्यक्ष के साथ-साथ अन्य संकाय सदस्य, कोच एवं विश्वविद्यालय के पदाधिकारी और कर्मी उपस्थित रहे।