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Karnal Sher Khan Story : पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने 1999 के करगिल युद्ध में बहादुरी से लड़ते हुए जान गंवाने वाले कर्नल शेर खान की वीरता की याद दिलाई है. क्या आप जानते हैं उनकी बहादुरी की कहानी पाकिस…और पढ़ें
भारतीय सेना के ब्रिगेडियर एमपीएस बाजवा ने पाकिस्तान को बताई थी र्नल शेर खान की वीरता की कहानी..
हाइलाइट्स
- पाकिस्तान की सेना के कैप्टन थे कैप्टन कर्नल शेर खान.
- 1999 में करगिल युद्ध में मारे गए थे शेर खान.
- पाकिस्तान ने शुरुआत में उनका शव लेने से इनकार कर दिया था.
अब आसिम मुनीर खुद कह रहै हैं कि कैप्टन कर्नल शेर खान ने कारगिल में वीरता दिखाई थी. बात शेर खान की करते हैं. कर्नल तो वैसे उनका नाम था. बताते हैं कि उनके दादा ने उनका नाम ही कर्नल रख दिया था क्योंकि वो चाहते थे कि उनका पोता फौज में जाए. फौज में वो गए और कैप्टन की रैंक तक पहुच गए थे. जब कारगिल में लड़ते हुए वो मारे हुए. तब पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल परवेज़ मुशर्रफ थे. उन्होंने प्लान बनाया था जिसको उन्होंने नाम दिया था ऑपरेशन कोह-ए-पैमा. कारगिल जो है वो लद्दाख में है. कश्मीर के बगल में जहां से लद्दाख शुरू होता है वहां पर है और LOC के उस पार कारगिल में है. POK यानी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का गिलगित बालटिस्तान का इलाका. तो वो पूरा पहाड़ी इलाका है लेकिन ना इस तरफ ज्यादा आबादी है और ना ही LOC के उस तरफ.
जनरल मुशर्रफ ने बनाया था कारगिल का नापाक प्लान
1999 में सर्दियों में पाकिस्तान ने अपने सैनिक भारत की चौकियों पर कब्जा करने के लिए भेज दिए. बर्फ थोड़ी-थोड़ी पिघली तो सबसे पहले भेड़ बकरियां चराने वाले लोगों ने नीचे आकर भारतीय सेना को बताया कि आपकी चौकियों पर तो कोई और लोग आए हुए हैं. कारगिल की जंग हो गई. पाकिस्तान मासूम बनकर बोलता रहा कि उसने तो LOC पार नहीं की है. उसके सैनिक नहीं हैं. खैर जंग हो गई तो भारतीय सेना ने उनको नानी याद दिला दी.
ब्रिगेडियर बाजवा को कर्नल शेर खान के शव से मिली थीं चिट्ठियां
भारत ने पूरे सैन्य सम्मान के साथ भिजवाया था शव
12 जुलाई 1999 को भारत ने पाकिस्तान को बताया कि आपकी सेना के अफसर का शव मिला है. दो अफसरों के बारे में बताया गया. कैप्टन शेर खान और कैप्टन इम्तियाज मलिक. पाकिस्तान माना ही नहीं. उसने जवाब दिया कि उसके ऐसे कोई अफसर ही नहीं. भारतीय सेना ने कहा कि कैप्टन कर्नल शेर खान की पत्नी की चिट्ठियां हैं तो कहने लगा पाकिस्तान कि शव इस्लमाबाद भेज दो, हम परिवारों से चेक करवा लेंगे. झूठ के चक्कर में पाकिस्तान अपने सैनिकों के शव तक नहीं ले रहा था. फिर अंतरराष्ट्रीय संस्था रेड क्रॉस बीच में आई और कहा कि आप शव हमको दे दो. भारत ने पूरे सैन्य सम्मान के साथ पाकिस्तान के झंडे में लपेटकर उनको पूरे सम्मान से शव दिए. ब्रिगेडियर बाजवा ने कैप्टन शेर खान की जेब में एक नोट लिख कर भेजा.
पता है नोट में क्या लिखा था? नोट में भारत के ब्रिगेडियर ने लिखकर भेजा, ‘कैप्टन कर्नल शेर खान हमारी सेना के खिलाफ बहादुरी से लड़े.’ ये होती है सेना जो अपने दुश्मन के लिए ऐसा नोट लिख कर भेजती है. अपने दुश्मन को हरा दिया लेकिन उसके लिए नोट लिखा कि ये अफसर बहादुरी से लड़े. और पता है आपको? भारत की सेना के ब्रिगेडियर के इस संदेश की वजह से पाकिस्तान ने आखिरकार उनको वहां का सर्वोच्च सैन्य सम्मान निशान-ए-हैदर दिया. पाकिस्तान जिसे अपना सैनिक नहीं मान रहा था, उनको निशान-ए-हैदर दे दिया. ये दुनिया के सैन्य इतिहास में कभी नहीं हुआ कि दुश्मन की सिफारिश पर किसी सैनिक को किसी देश ने मेडल दिया हो. पता है आपको कि कैप्टन कर्नल शेर खान के परिवार ने ब्रिगेडियर बाजवा को लिखकर धन्यवाद भेजा था.