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Gajre Ka Saag Recipe : भरतपुर और आसपास के गांवों में गाजर का गजरा सर्दियों में लोकप्रिय है, इसकी हरी पत्तियां पौष्टिक, स्वादिष्ट और सेहतमंद मानी जाती हैं, खासकर बाजरे की रोटी के साथ.
भरतपुर. सर्दियों का मौसम शुरू होते ही बाजारों में कई देसी और पौष्टिक सब्जियां दिखाई देने लगती हैं. इन्हीं में से एक है गाजर का गजरा, जिसकी हरी पत्तियों से बनने वाली सब्जी ग्रामीण क्षेत्रों में काफी लोकप्रिय है. भरतपुर और आसपास के गांवों में किसान अपने खेतों में विशेष रूप से गजरा बोते हैं. यह ठंड के मौसम में तेजी से बढ़ता है और इसी समय सबसे अधिक मिलता है. गजरे की पत्तियां स्वाद में लाजवाब होने के साथ-साथ सेहत के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाती हैं.
इसी वजह से सर्दियों में इसकी मांग बढ़ जाती है. ग्रामीण परिवार पारंपरिक रूप से गजरे की पत्तियों की सब्जी बाजरे की रोटी के साथ खाना पसंद करते हैं. मानना है कि यह शरीर को प्राकृतिक गर्माहट देती है और सर्दी से बचाव में मदद करती है. इसमें मौजूद विटामिन, आयरन, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और शरीर को मजबूत बनाते हैं. खासतौर पर मेहनत करने वाले किसान और मजदूर इसे ऊर्जा के स्रोत के रूप में खाते हैं.
गजरे की पत्तियों की खासियत
गजरे की पत्तियां लंबे समय तक पेट भरा रखती हैं और शरीर को आवश्यक पोषण देती हैं. देखने में ये पालक जैसी लगती हैं, लेकिन स्वाद में इनकी अलग ही देसी खुशबू और झरोका होता है. ग्रामीण ढंग से बनने वाली इसकी सब्जी हल्की, कम मसालों वाली और आसानी से बनने वाली होती है. इसलिए गांवों में यह सर्दियों की सबसे पसंदीदा डिश मानी जाती है.
सब्जी बनाने की प्रक्रिया
गजरे की पत्तियों की सब्जी बनाने के लिए सबसे पहले खेत से गाजर का गजरा तोड़ा जाता है और फिर इसे अच्छी तरह काटा जाता है. इसके बाद गर्म पानी में इसे बाजरे के दलिया के साथ मिलाया जाता है. शुद्ध पिसे हुए मसाले डाले जाते हैं और थोड़ी देर पकने के लिए छोड़ दिया जाता है. कुछ ही देर में यह साग तैयार हो जाता है. यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है, जिसे गांव से लेकर शहर तक लोग सर्दियों के मौसम में खूब पसंद करते हैं.
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नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल…और पढ़ें

