मध्य प्रदेश में अपनी पक्की नौकरी की मांग को लेकर प्रदेशभर से आईं करीब 400 संविदा ANM (सहायक नर्स मिडवाइफ) महिलाएं राजधानी भोपाल में धरने पर बैठीं हैं। पिछले तीन दिनों से ये सभी महिलाएं जेपी अस्पताल परिसर में स्थित स्वास्थ्य संचालनालय के ठीक सामने लगा
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कोर्ट का आदेश, फिर भी विभाग की अनदेखी प्रदर्शनकारी ANM में से एक ममता हिरवे ने बताया कि वे उन याचिकाकर्ताओं में शामिल हैं, जिनके पक्ष में हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है। 28 अप्रैल को जबलपुर हाईकोर्ट ने एक अंतिम निर्णय दिया था, जिसमें विभाग को आदेश दिए गए थे कि सभी योग्य संविदा ANM को सरकारी खाली पदों पर पक्की नौकरी दी जाए। लेकिन, हैरानी की बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक इस आदेश का पालन नहीं किया है। विभाग की इस अनदेखी के खिलाफ ही ये महिलाएं दिन-रात, बिना रुके प्रदर्शन कर रही हैं।
महिला अधिकारी पर अमानवीय व्यवहार का आरोप ममता हिरवे ने आरोप लगाया कि मंगलवार को स्वास्थ्य संचालनालय की एक महिला अधिकारी वंदना खरे ने गार्डों को आदेश दिए कि प्रदर्शनकारी ANM में से किसी को भी कार्यालय से न तो पानी लेने दिया जाए और न ही शौचालय का इस्तेमाल करने दिया जाए। इतना ही नहीं, बारिश होने पर अगर वे अंदर आने की कोशिश करें तो उन्हें बाहर निकाल दिया जाए। इन सबके बावजूद, ANM महिलाएं शांतिपूर्ण तरीके से अपना प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं।
लगातार प्रदर्शन और शायद खराब मौसम और सुविधाओं के अभाव के चलते बुधवार को प्रदर्शन कर रही दो महिलाओं की तबीयत बिगड़ गई। उन्हें तुरंत इलाज के लिए जेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया। एक महिला को छाती में दर्द की शिकायत थी, जबकि दूसरी महिला बेहोश हो गई थी। यह घटना प्रदर्शनकारियों की मुश्किलों और उनकी मांगों की गंभीरता को और बढ़ा देती है।
बुधवार को प्रदर्शन कर रही दो महिलाओं की तबीयत बिगड़ गई।
क्या है ANM भर्ती का पूरा मामला साल 2022-23 में संविदा ANM के लिए नियमित भर्ती निकाली गई थी। इस भर्ती में एक नया नियम लागू किया गया था, जिसमें 24 माह का ANM डिप्लोमा होना अनिवार्य कर दिया गया था। जबकि, इससे पहले संविदा पर काम कर रही ANM के लिए सिर्फ 18 माह का डिप्लोमा ही मान्य होता था। इस नए और बदले हुए नियम के खिलाफ कई संविदा ANM ने मिलकर कोर्ट में याचिका दायर की थी।
कोर्ट ने इस मामले में संविदा पर पहले से काम कर रही ANM के पक्ष में फैसला सुनाया था। कोर्ट ने विभाग को आदेश दिया था कि जिन ANM के पास 18 माह का डिप्लोमा है, उन्हें भी नियमित भर्ती की परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए। इस आदेश के बाद करीब 400 संविदा ANM ने परीक्षा दी और वे उसमें पास होकर चयनित भी हो गईं। चयनित होने के बाद, पहले चरण में 124 ANM को नियमित नियुक्ति दे दी गई थी।
करीब 6 महीने तक ये सभी महिलाएं नियमित कर्मचारी के तौर पर अपनी सेवाएं दे रही थीं। लेकिन, अचानक विभाग ने एक फैसला लिया और इन सभी नियुक्तियों को रद्द कर दिया। विभाग के इस फैसले के खिलाफ सभी ANM ने एक बार फिर एकजुट होकर हाईकोर्ट में सामूहिक याचिका दायर की। इस बार भी कोर्ट ने ANM के पक्ष में ही आदेश दिया और विभाग को उन्हें दोबारा नियुक्त करने के लिए कहा है।