ईरान को परमाणु संपन्न होने से रोकने के लिए इजरायल की तरफ से उसके महत्वपूर्ण परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले किए गए. इसके बाद जंग में अमेरिका के उतरने से मिडिल ईस्ट में अब जबरदस्त तनाव है. ईरान की तरफ से जवाबी कदम के तौर पर अमेरिकी एयर बेस और इजरायल पर निशाना बनाकर जोरदार पलटवार किया जा रहा है. इन सबके बीच ईरान के पड़ोसी देश ने वो ऐलान किया है, जैसा मिडिल ईस्ट में पहले कभी नहीं हुआ. आज तक मध्य पूर्व के किसी भी देश ने इस तरह का कभी कोई कदम नहीं उठाया, वो चाहे बाद ईरान की करें, ईराक की, सऊदी अरब की या फिर यूएई की. ऐसे में आइये बताते हैं कि वो खाड़ी का कौन सा देश है और उसने क्या कुछ ऐलान किया है.
क्या हुआ ऐलान?
दरअसल, ओमान पड़ोसी है ईरान का. उसने अपने यहां पर आयकर कानून लागू करने का फैसला किया है, जो मध्य पूर्व में वैसा करने वाला पहला मिडिल ईस्ट का पहला देश बन जाएगा. ओमान के इकोनॉमी मिनिस्टर सईद बिन मोहम्मद अल सकरी का कहना है कि इसका मकसद सामाजिक खर्च को संरक्षित करते हुए तेल आय के ऊपर डिपेंडेंसी को धीरे-धीरे कम करना है. सरकारी ओमानी एजेंसी के हवाले से ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 42,000 रियाल यानी 1,09,000 डॉलर या उससे ज्यादा की आय सालाना आय पर लागू रहेगा. इस आयकर कानून के लागू होने के बाद शीर्ष एक फीसदी आय वाले प्रभावित होगा.
क्या होगा फायदा?
अन्य खाड़ी देशों की तुलना में ओमान अब तेल से आय पर अपनी निर्भरता को धीरे-धीरे कम करने के लिए कदम उठा रहा है. इस बारे में अबू धाबी कॉमर्शियल बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री मोनिका मलिक ने ब्लूमबर्ग से बात करते हुए कहा कि इसका दायरा सीमित है, उसके बावजूद ये एक अहम वित्तीय विकास वाला कदम साबित होगा.
मोनिका मलिक के मुताबिक, ओमान का आयकर अन्य जीसीसी देशों के लिए भविष्य में आयकर लागू करने में मददगार साबित हो सकता है. गौरतलब है कि खाड़ी देशों में रिफॉर्म की दिशा में ओमान का ये एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि 6 देशों की खाड़ी सहयोग परिषद यानी जीसीसी का कोई सदस्य इनकम टैक्स नहीं लगाता है. ऐसे में उच्च वेतन और विदेशी लेबर को इस क्षेत्र ने काम के लिए काफी आकर्षित किया है. ऐसे में ये फैसला काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
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