देश में चुनावी प्रणाली को पारदर्शी और विश्वसनीय बनाए रखने के लिए वोटर लिस्ट का सटीक होना बेहद ज़रूरी है. लेकिन हाल ही में सामने आए दो बड़े आंकड़ों ने चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. एक ओर महाराष्ट्र में वोटर लिस्ट में लगभग 11 लाख डुप्लिकेट नाम मिलने का मामला सामने आया है, तो दूसरी ओर पश्चिम बंगाल में 10 लाख वोटरों के नाम ड्राफ्ट लिस्ट से हटाए जाने की तैयारी चल रही है. यही वजह है कि चुनाव आयोग देशभर में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को पहले से अधिक आवश्यक और अहम मान रहा है.
मुंबई में 11 लाख डुप्लिकेट वोटर, सफाई में जुटा चुनाव आयोग
मुंबई में सोमवार को कांग्रेस, शिवसेना (UBT) और MNS ने महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि शहर के ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में लगभग 11 लाख डुप्लिकेट नाम दर्ज हैं. विपक्षी दलों ने मांग की कि सुझाव और आपत्तियों के लिए मौजूदा 7 दिन की जगह कम से कम 21 दिन का समय दिया जाए, ताकि वोटर्स के डेटा की सही जांच और सुधार हो सके.
इसके बाद राज्य चुनाव आयुक्त दिनेश वाघमारे ने माना कि BMC ने डुप्लिकेट नामों के बारे में सूचना दी है और इसके आधार पर आयोग 5 दिसंबर की समय सीमा बढ़ाने पर विचार कर रहा है. उन्होंने कहा कि बीएमसी ने लिस्ट को साफ करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा है और आयोग इसे गंभीरता से देख रहा है.
वहीं कांग्रेस की मुंबई अध्यक्ष और सांसद वर्षा गायकवाड़ ने आरोप लगाया कि धारावी के मतदाताओं को जानबूझकर दूर के वार्डों में शिफ्ट किया गया है, ताकि वे मतदान वाले दिन पोलिंग बूथ तक न पहुंच पाएं.
बंगाल में भी हटेंगे 10 लाख वोटर के नाम
पश्चिम बंगाल में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन ने एक और गंभीर तस्वीर सामने रखी है. राज्य चुनाव आयोग के मुताबिक, अब तक 4.55 करोड़ फॉर्म डिजिटाइज किए जा चुके हैं. इसके बाद वहां वोटर लिस्ट से लगभग 10 लाख नाम हटाए की कवायद की जा रही है. चुनाव आयोग के मुताबिक, इनमें से करीब 6.5 लाख वोटरों की मृत्यु हो चुकी है. वहीं बाकी नाम या तो डुप्लिकेट है या फिर ऐसे लोगों के हैं, जो दूसरे राज्यों में शिफ्ट हो चुके हैं या फिर किसी पते पर ट्रेस नहीं हो रहे हैं. अब भी लगभग 4 करोड़ फॉर्म डिजिटाइज होने बाकी हैं, इसलिए अंतिम संख्या और अधिक बढ़ सकती है.
राज्य के चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर मनोज कुमार अग्रवाल के अनुसार, 80,600 बूथ लेवल ऑफिसर (BLO), 8,000 पर्यवेक्षक, 3,000 सहायक AERO और 294 ERO लगातार घर-घर जाकर फॉर्म वितरित और संग्रह कर रहे हैं. BLO की रिपोर्टों के आधार पर मृतक मतदाताओं की संख्या और बड़ी संख्या में डुप्लिकेट तथा शिफ्टेड मतदाताओं की पहचान की गई है.
क्यों जरूरी है SIR?
दोनों राज्यों में सामने आए आंकड़ों से साफ है कि वोटर लिस्ट में असली और नकली वोटरों के बीच अंतर खत्म हो रहा है और यह चुनाव परिणामों पर असर डाल सकता है. डुप्लिकेट, मृत, स्थानांतरित और फर्जी प्रविष्टियों की सफाई ही SIR का लक्ष्य है, ताकि वोट बैंक की हेराफेरी रोकी जा सके. इसके साथ ही मृत और काल्पनिक वोटरों की जगह असल वोटरों का नाम शामिल रहे.
महाराष्ट्र में 11 लाख डुप्लिकेट नामों की पुष्टि और बंगाल में 10 लाख नाम हटाने की तैयारी से चुनाव आयोग ने साफ संदेश दिया है कि देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को स्वस्थ और पारदर्शी रखने के लिए SIR अब विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता है. आने वाले हफ्तों में दोनों राज्यों में वोटर लिस्ट के सुधरने की उम्मीद है, और आयोग की नज़र पूरे देश में इसी प्रक्रिया की प्रगति पर बनी रहेगी. चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण सुधार माना जा रहा है.

