Thursday, July 24, 2025
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बार-बार तेजस्वी यादव के ‘मां-बाप’ पर क्यों आ जाते हैं?


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Bihar Chunav 2025: “तुम्हारे मां-बाप ने क्या किया? कुछ नहीं!”-नीतीश कुमार का यह तीखा तंज बिहार विधानसभा में तब गूंजा जब उन्होंने तेजस्वी यादव को लालू-राबड़ी के ‘जंगलराज’ की याद दिलाकर राजनीतिक अस्त्र छोड़ दिया….और पढ़ें

नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव पर ‘मां-बाप’ का हवाला देकर हमला बोला.

हाइलाइट्स

  • नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव पर लालू-राबड़ी के ‘जंगलराज’ का हवाला देकर हमला बोला.
  • CM नीतीश ने तेजस्वी को “बच्चा” कहकर उनकी राजनीतिक परिपक्वता पर सवाल उठाए.
  • लालू-राबड़ी के शासन के आधार पर अपने वोटरों को एकजुट करने की नीतीश की रणनीति.
पटना. बिहार विधानसभा में एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव पर तीखा हमला बोला. उनके माता-पिता लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के शासनकाल पर सवाल उठाते हुए नीतीश कुमार ने तेजस्वी को ‘बच्चा’ कहकर तंज कसा. सीएम नीतीश ने कहा, तुम्हारे मां-बाप ने क्या किया? कुछ नहीं! सवाल यह उठता है कि नीतीश कुमार का बार-बार का ‘मां-बाप’ वाला हमला क्या सिर्फ सियासी तंज है, या नीतीश की 2025 चुनावी रणनीति का हिस्सा? आखिर नीतीश बार-बार लालू-राबड़ी के शासन को क्यों निशाना बनाते हैं? क्या यह उनकी जीत का अचूक अस्त्र है? आइए पांच कारणों के साथ इस सियासी खेल को समझते हैं.

नीतीश कुमार का तेजस्वी यादव पर ‘मां-बाप’ वाला हमला: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में तेजस्वी यादव पर लालू-राबड़ी के शासनकाल से तुलना करते हुए अपने शासन की उपलब्धियां गिनाते हुए हमला किया. उनका इशारा लालू-राबड़ी के मुख्यमंत्रित्व काल में कथित तौर पर 1997 में पटना हाईकोर्ट की राबड़ी देवी की सरकार पर की गई एक टिप्पणी ‘जंगलराज’ की ओर था. यह वह मुद्दा है जिसको आधार बनाकर लगातार 20 वर्षों से नीतीश कुमार बिहार की सत्ता पर काबिज हैं. यही कारण है कि नीतीश कुमार ने तुलनात्मक हवाला देकर जब तेजस्वी यादव पर हमला बोला तो सदन का सियासी तापमान चढ़ गया, लेकिन इस आड़ में नीतीश कुमार अपना बार-बार आजमाया हुआ सियासी अस्त्र छोड़ गए. जानकारों की नजर में नीतीश कुमार की यह रणनीति पुरानी रंजिश, जंगलराज की छवि, वोटर ध्रुवीकरण, तेजस्वी की युवा छवि को कमजोर करने और एनडीए की एकजुटता दिखाने की है. इसके साथ ही 2025 के चुनाव में नीतीश का यह दांव उनकी सुशासन छवि को मजबूत करने और तेजस्वी को बैकफुट पर रखने की कोशिश है, लेकिन तेजस्वी यादव का ‘जंगलराज 2.0’ नैरेटिव और युवा अपील इसे चुनौती दे रहे हैं.

जंगलराज की छवि को भुनाना

नीतीश कुमार 2005 से ही लालू-राबड़ी के शासन (1990-2005) को ‘जंगलराज’ कहकर निशाना बनाते रहे हैं. दरअसल, उस दौर में बिहार में अपराध, भ्रष्टाचार और चारा घोटाले की छवि ने आरजेडी की साख को नुकसान पहुंचाया. नीतीश कुमार इस नैरेटिव को जिंदा रखकर अपनी ‘सुशासन बाबू’ की छवि को चमकाते हैं. नीतीश अपने शासन की तुलना लालू-राबड़ी के दौर से करते हैं, ताकि मतदाताओं को याद दिलाएं कि उनके आने से पहले बिहार की स्थिति कितनी खराब थी. यह रणनीति खासकर सवर्ण, अति पिछड़े और महिला वोटरों को आकर्षित करती है जो नीतीश के सुशासन को उनकी उपलब्धि मानते हैं.

तेजस्वी की युवा छवि को कमजोर करना

तेजस्वी यादव की युवा अपील और उनके द्वारा उठाए गए रोजगार और आरक्षण जैसे मुद्दे नीतीश के लिए चुनौती हैं. बीते 11 जून को प्रकाशित एक निजी टीवी चैनल के सर्वे के अनुसार, 47% युवा राहुल गांधी और 42% तेजस्वी को सीएम के रूप में पसंद करते हैं, जबकि नीतीश को केवल 27.7% समर्थन मिला. शायद यह भी एक वजह है कि नीतीश कुमार अपने मुकाबिल खड़े हो रहे तेजस्वी यादव को “बच्चा” कहकर उनकी राजनीतिक परिपक्वता पर सवाल उठाते हैं और लालू-राबड़ी के शासन की नाकामियों से जोड़कर उनकी विश्वसनीयता कम करने की कोशिश करते हैं. यह दांव तेजस्वी को उनके माता-पिता की विवादित विरासत से बांधकर उनकी नई छवि को धूमिल करने का प्रयास है.

एनडीए वोटबैंक का ध्रुवीकरण

नीतीश का लालू-राबड़ी पर हमला एनडीए के कोर वोटरों, खासकर सवर्ण, गैर-यादव ओबीसी और अति पिछड़े वर्ग को एकजुट करने की रणनीति है. जानकारों कहते हैं कि नीतीश ने बीजेपी के साथ मिलकर लालू के ‘MY’ (मुस्लिम-यादव) समीकरण को तोड़ा और गैर-यादव ओबीसी और सवर्ण वोटरों को अपने पक्ष में किया. तेजस्वी यादव के माता-पिता पर हमला करके नीतीश इन वोटरों को याद दिलाते हैं कि आरजेडी का शासन उनके हितों के खिलाफ था, जिससे एनडीए का आधार मजबूत होता है.

पुरानी रंजिश और सियासी प्रतिद्वंद्विता

बता दें कि नीतीश और लालू की दोस्ती 1973 से शुरू हुई, लेकिन 1994 में समता पार्टी बनाकर नीतीश ने लालू से अलग राह चुनी. नीतीश ने विधानसभा में दावा किया कि उन्होंने लालू को सीएम बनवाया, लेकिन बाद में उनकी नीतियों से असहमति ने उन्हें प्रतिद्वंद्वी बना दिया. लालू-राबड़ी पर हमला न केवल सियासी रणनीति है, बल्कि पुरानी रंजिश का भी हिस्सा है. नीतीश कुमार इस तंज से तेजस्वी यादव को यह जताते हैं कि उनकी सियासी हैसियत उनके पिता की देन है, जिसे उन्होंने यानी नीतीश कुमार ने बनाया है.

तेजस्वी के ‘जंगलराज 2.0’ नैरेटिव का जवाब

तेजस्वी ने नीतीश सरकार पर बिहार में बिगड़ती कानून-व्यवस्था को लेकर ‘जंगलराज 2.0’ का नैरेटिव शुरू किया है. तेजस्वी यादव लगातार अपराध के मुद्दे को लेकर हमलावर रह रहे हैं और नीतीश कुमार की सुशासन वाली छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. इसके जवाब में नीतीश, लालू-राबड़ी के शासनकाल को आगे कर तेजस्वी यादव के इस नैरेटिव को कमजोर करने की कोशिश करते हैं. वह मतदाताओं को याद दिलाते हैं कि लालू-राबड़ी के दौर में अपराध चरम पर था और उनकी सरकार ने ही बिहार को उस ‘जंगलराज’ के शासनकाल से बाहर निकाला.

नीतीश हमलावर क्यों, क्या कहते हैं जानकार?

जानकार कहते हैं कि नीतीश कुमार का तेजस्वी यादव के माता-पिता पर बार-बार हमला उनकी सुशासन छवि को मजबूत करने, तेजस्वी यादव की युवा अपील को कमजोर करने, एनडीए वोटरों को एकजुट करने, पुरानी सियासी दुश्मनी को हवा देने और तेजस्वी के ‘जंगलराज 2.0’ नैरेटिव का जवाब देने की रणनीति है. बीते 14 जुलाई को जारी सी-वोटर सर्वे में नीतीश के काम से 58% लोग संतुष्ट हैं, लेकिन तेजस्वी यादव की लोकप्रियता में कमी (41% से 35%) के बावजूद उनकी युवा अपील सीएम नीतीश के लिए चुनौती बनी हुई है. नीतीश कुमार का यह दांव 2025 के चुनाव में कितना कारगर होगा यह मतदाताओं के मूड और तेजस्वी की जवाबी रणनीति पर निर्भर करेगा. ऐसे में सवाल यह कि क्या नीतीश कुमार का तेजस्वी यादव पर बार-बार उनके ‘मां-बाप’ वाला तंज नीतीश कुमार को सत्ता में बनाए रखेगा या तेजस्वी यादव की नई राजनीतिक रणनीति बिहार की सियासत में नया इतिहास लिखेगी?

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Vijay jha

पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट…और पढ़ें

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