Wednesday, December 3, 2025
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मुसलमानों को मथुरा-ज्ञानवापी पर दावा छोड़ देना चाहिए: ये हिंदुओं के लिए मक्का-मदीना जैसे; ASI के पूर्व अधिकारी बोले- हिंदू भी हर मस्जिद के पीछे न पड़ें


कोझिकोड18 मिनट पहले

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केके मोहम्मद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के नॉर्थ जोन के रीजनल डायरेक्टर के तौर पर 2012 में रिटायर हो चुके हैं- फाइल फोटो

इंडिया आर्कियोलॉजिकल सर्वे (ASI) के पूर्व रीजनल डायरेक्टर केके मुहम्मद ने कहा है कि मुसलमानों को दो और ऐतिहासिक जगहें छोड़ देनी चाहिए जो मंदिर भी हैं। पहली- मथुरा जो भगवान कृष्ण का जन्मस्थान है। दूसरी- ज्ञानवापी जो भगवान शिव से जुड़ी है।

न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए केके मुहम्मद ने कहा कि ये जगहें मुसलमानों को हिंदू समुदाय को भव्य हिंदू मंदिर बनाने के लिए सौंप देनी चाहिए। मथुरा-काशी हिंदुओं के लिए उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितने मक्का और मदीना मुसलमानों के लिए हैं।

हालांकि उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि हिंदू समुदाय को अयोध्या, वाराणसी और मथुरा के अलावा हर मस्जिद के पीछे नहीं जाना चाहिए। दोनों समुदायों के नेतृत्व को कुछ शर्तों पर सहमत होना चाहिए।

केके भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के नॉर्थ जोन के रीजनल डायरेक्टर के तौर पर 2012 में रिटायर हो चुके हैं। वे 1976 में बीबी लाल की उस टीम का हिस्सा थे, जिसने बाबरी मस्जिद की खुदाई की थी।

केके का दावा- कम्युनिस्ट इतिहासकार मुसलमानों के दिमाग में जहर भर देंगे

केके ने कहा कि आपको कम्युनिस्ट इतिहासकारों से इन सब बातों पर बात नहीं करनी चाहिए क्योंकि पहले के मामले में भी इरफान हबीब जैसे कम्युनिस्ट इतिहासकारों और JNU के कुछ लोगों ने ही इस मुद्दे को उलझाया था।

मुस्लिम समुदाय का एक हिस्सा राम जन्मभूमि सौंपने के लिए भी तैयार था क्योंकि मैंने कई लोगों से बात की थी। इसलिए, हमें इन कम्युनिस्ट इतिहासकारों को नहीं लाना चाहिए, वे इस मुद्दे को उलझा देंगे और मुसलमानों के दिमाग में जहर भर देंगे।

केके मोहम्मद को आज भी मिलती रहती हैं धमकियां

73 साल के आर्कियोलॉजिस्ट केके ने राममंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के समय एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें अक्सर जान से मारने की धमकियों का सामना करना पड़ता है। वे केरल के कोझिकोड में अपने घर पर ही रहते हैं।

केके ने बताया था- पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया बैन होने से पहले तक कोझिकोड में बहुत ज्यादा एक्टिव था। जब से केके ने बाबरी मस्जिद से मिले नतीजों के बारे में बताया है, तब से वे खतरे का जीवन जी रहे हैं।

रामलला प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के लिए फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के जजों के साथ-साथ आर्कियोलॉजिस्ट केके मोहम्मद को भी निमंत्रण मिला था। लेकिन बीमारी के चलते वे नहीं जा सके थे।

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