Sunday, July 20, 2025
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मैं अपनी तीनों बेटियों के पिता को कहां से लाऊं: वडोदरा ब्रिज हादसे में पति, इकलौते बेटे और 4 साल की बेटी को खोने वाली मां का दर्द


वडोदरा1 घंटे पहले

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अब हमारी मदद कौन करेगा? मैं अपनी तीन बेटियों के लिए पिता कहां से लाऊं? मुझे कहां से मिलेगा? मेरी चार बेटियों के बीच एक ही बेटा था। वह भी नहीं रहा। ये शब्द हैं मंजूसर गांव में रहने वाली सोनलबेन के। बुधवार सुबह सोनलबेन पति और बेटे के साथ इको कार में सवार होकर मंदिर जा रही थीं।

इसी दौरान कार पुल टूटने से नदी में गिर गई। हादसे में सोनलबेन की जान बच गई, लेकिन पति रमेश भाई और 2 साल के इकलौते बेटे और 4 साल की बेटी की मौत हो गई। सोनलबेन की तीन बेटियां हैं और सास है। रमेशभाई की मौत से परिवार के गुजर बसर की समस्या खड़ी हो गई है।

बेटे के लिए मांगी मन्नत पूरी करने बगदाणा धाम जा रहे था परिवार

मृतक रमेशभाई की तीनों बेटियां, प्रियांशी, स्मिता और नेहा।

मृतक रमेशभाई की तीनों बेटियां, प्रियांशी, स्मिता और नेहा।

इस हादसे में रमेशभाई के साले और उनके परिवार के दो दामादों की भी मौत हो गई। रमेशभाई और सोनलबेन की चार बेटियां हैं और इन चारों बेटियों में 2 साल का इकलौता बेटा था। बेटे के लिए परिवार ने बगदाणा धाम में मन्नत मांगी थी।

इसीलिए रमेशभाई, पत्नी सोनलबेन, चार साल की छोटी बेटी, 2 साल का बेटा और कुछ रिश्तेदार बगदाणा धाम जा रहे थे। लेकिन बगदाणा पहुंचने से पहले ही हादसे का शिकार हो गए। रमेशबाई की तीन बड़ी बेटियां और उनकी मां घर पर ही थीं, जिससे उनकी जान बच गई।

दिव्य भास्कर की टीम मंजूसार गांव पहुंची तो देखा कि रमेशभाई की मां रमेशभाई की मां रो-रोकर बेहोश हो चुकी हैं। रमेशभाई की पत्नी का भी रो-रोकर बुरा हाल है। घर में दो दिनों से चूल्हा नहीं जला है। परिवार के साथ पूरा गांव शोक में डूबा हुआ है।

रमेशभाई की तीन बेटियों के सिर से पिता का साया उठ गया है। परिवार पर बहुत बड़ी विपत्ति आ पड़ी है। उनकी तीन बेटियों में से 8 साल की प्रियांशी दूसरी कक्षा में, 10 साल की स्मिता पांचवीं कक्षा में और 12 साल की नेहा सातवीं कक्षा में पढ़ती है।

मैं 2 घंटे तक पानी में खड़ी मदद मांगती रही, कोई नहीं आया पुल हादसे में अपने पति, बेटे और बेटी को खोने वाली सोनलबेन पढियार ने दिव्य भास्कर से बातचीत में कहा कि एक ट्रक गुजर रहा था, वो ट्रक नदी में गिर गया और उसके पीछे से हमारी कार भी नदी में गिर गई। हादसा सुबह 7 बजे हुआ। मैं नदी में सभी से मदद मांग रही थी, मुझे 2 घंटे तक मदद नहीं मिली। वहां मेरा दो साल का बेटा, चार साल की बेटी थी और हमारे रिश्तेदार थे। वे सब पानी में डूब गए।

अब हमारी मदद कौन करेगा? मैं अपनी तीनों बेटियों के लिए पिता कहां से लाऊंगी? मेरी चार बेटियों का एक बेटा हुआ था। हम बगदाणा धाम जा रहे थे। मेरे पति रमेशभाई हर साल पूर्णिमा पर वहां जाते थे। इस बार वे हमें भी साथ ले गए।

दिव्य भास्कर के रिपोर्टर रोहित चावडा से बात करते हुए मृतक रमेशभाई के चाचा बुधभाई पढियार।

दिव्य भास्कर के रिपोर्टर रोहित चावडा से बात करते हुए मृतक रमेशभाई के चाचा बुधभाई पढियार।

रमेशभाई के सिर पर ही पूरे परिवार की जिम्मेदारी थी मृतक रमेशभाई के चाचा बुधभाई पढियार भी दिव्य भास्कर से बात करते हुए रो पड़े। उन्होंने बताया कि हादसे के करीब दो घंटे बाद हमें जानकारी मिली, तो हम वहां पहुंचे। जब मैं पुल पर पहुंचा तो पानी में डूबी इको कार देखी। वह देखते ही मेरे होश उड़ गए। क्योंकि, इसी कार में मेरे परिवार के लोग थे।

ईको कार में सवार सभी लोगों की जान जा चुकी थी। मेरी भाभी भी बेहोश हो गई थीं। रमेशभाई के सिर पर ही पूरे परिवार की जिम्मेदारी थी। मेरे बड़े भाई को दो बार दिल का दौरा पड़ चुका है, वह भी बूढ़ा हो गया है, कोई काम करने की हालत में नहीं है। वह एक पुराने फूस के घर में रहता है।

सरकार की गलती से पुल ढह गया है, फिर भी गरीबों की कोई मदद नहीं? मृतक रमेशभाई के चचेरे भाई भाईलाल पढियार ने कहा- इस हादसे में मेरे भाई रमेशभाई के परिवार के 3 सदस्यों की मौत हो गई है। अब उनकी पत्नी और ये तीन बेटियां ही बची हैं। ये तीनों बच्चियां अब बेसहारा हो गई हैं, इनका भविष्य अंधकारमय हो गया है। सरकार इन बच्चियों के बारे में सोचे और उनकी पढ़ाई में मदद करे।

बड़े लोगों को तो सरकार एक करोड़ रुपए देती है, लेकिन ये बेसहारा बेटियां हैं, सरकार मदद देने में भेदभाव कर रही है। सरकार की गलती की वजह से ही पुल टूटा है, फिर भी सरकार गरीबों को पर्याप्त मदद नहीं दे रही है। विमान में मरने वालों के परिवार को एक करोड़ मिले, तो लड़कियों की पूरी जिंदगी दो-चार लाख में कैसे चलेगी?

अब मुजपुरा की रिपोर्ट पढ़िए…

दरियापुर से निकलकर दिव्य भास्कर की टीम महिसागर नदी पर बने गंभीरा ब्रिज से महज ढाई किलोमीटर दूर स्थित मुजपुर गांव पहुंची, जहां ग्रामीण प्रशासन से खासे नाराज दिखे। मुजपुर और उसके आसपास के करीब 5000 बच्चे महिसागर नदी के उस पार भद्रन बामनगाम और बोरसाद में पढ़ने जाते हैं। अब पुल टूटने से इन बच्चों की पढ़ाई भी छूट जाएगी। इसके अलावा वे उस पार रहने वाले अपने रिश्तेदारों से भी नहीं मिल पाएंगे और नौकरी के लिए जाने वाले युवाओं को 50 किलोमीटर का लंबा चक्कर लगाना पड़ेगा।

यह मानव निर्मित आपदा है मुजपुर गांव के स्थानीय और जिला पंचायत सदस्य हर्षद सिंह परमार ने 4 अगस्त 2022 को आरएंडबी विभाग के अभियंता को पत्र लिखकर पुल का निरीक्षण कर परीक्षण रिपोर्ट जारी करने की मांग की थी और धरना देने की भी धमकी दी थी। इसके बाद उन्होंने 30 अक्टूबर 2022 को भी ज्ञापन दिया था, लेकिन अधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया, जिसके परिणामस्वरूप एक बड़ी आपदा आई।

उस समय, पुल में बहुत कंपन हो रहा था और लोग इस पुल को पार करने से डर रहे थे, लोगों को किसी बड़ी दुर्घटना का भी डर था। उस समय, मैंने राज्य सरकार के संबंधित अधिकारियों को लिखित और मौखिक रूप से सूचित किया था। उसके बाद, सड़क और पंचायत विभाग के अधिकारी व्यक्तिगत रूप से उस जगह का दौरा करने आए। उस समय, अधिकारी ने भी कहा था कि इस पुल पर कंपन ज्यादा है।

अधिकारियों से लापरवाही से निर्दोषों की जान गई इसकी पूरी जिम्मेदारी सड़क एवं पंचायत विभाग के अधिकारियों और जिला कलेक्टर की है, लेकिन इन लोगों ने नेताओं के ज्ञापन पर विचार नहीं किया और कोई कदम नहीं उठाया और इसी वजह से इतनी बड़ी त्रासदी हुई। मैं अधिकारियों से कहना चाहता हूं कि यह आपकी जिम्मेदारी थी और आप अपनी जिम्मेदारी से बच गए और आपकी वजह से निर्दोष लोगों की जान गई।

वे कहते हैं- मेरा मानना ​​है कि यह पुल आज नहीं टूटा, बल्कि यह पुल 2022 में ही टूट गया था। इन लोगों ने कोई कार्रवाई नहीं की। यह मानव निर्मित आपदा है, अधिकारियों को पता होने के बावजूद उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। कोई विशेष टीम नहीं बुलाई गई और इसकी जाँच भी नहीं की गई, जिसके लिए सरकार को जिम्मेदार अधिकारियों पर मानव हत्या का मामला दर्ज करना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा- मेरे सारे रिश्तेदार दूसरे किनारे पर रहते हैं। पुल बनने के बाद से उसकी मरम्मत नहीं हुई है और न ही सड़क में कोई सुधार हुआ है। मुजपुर के हमारे दरियापुरा गांव के तीन लोगों की इस हादसे में मौत हो गई है। बचाव दल समय पर उन तक नहीं पहुंचा। स्थानीय लोगों ने मिलकर बचाव अभियान चलाया था। अगर बचाव दल थोड़ा पहले पहुंच जाता, तो कुछ और लोगों की जान बच सकती थी।

मुजपुर गांव के पंचायत सदस्य हर्षद सिंह परमार ने 2022 में ब्रिज की जांच को लेकर विभाग को पत्र लिखा था।

मुजपुर गांव के पंचायत सदस्य हर्षद सिंह परमार ने 2022 में ब्रिज की जांच को लेकर विभाग को पत्र लिखा था।

पहले हम नाव से जाते थे, अब फिर नाव से ही जाना पड़ेगा मुजपुर गांव के निवासी रमेशभाई पढियार ने बताया कि कल जो हादसा हुआ, उसमें हमारे गांव के युवा ही बचाव अभियान में शामिल हुए थे। अधिकारी एक घंटे बाद पहुंचे। तब तक सबकी जान जा चुकी थी। हम सालों से मांग कर रहे थे कि यह पुल नया बनाया जाए, लेकिन पुल नया नहीं बना और लोगों की जान चली गई। इसके अलावा, वहां से बामनगाम और भद्रन जाने वाले बच्चों को भी पढ़ाई में दिक्कत होगी।

मुजपुर गाँव के एक स्थानीय भीखाभाई ने कहा- 41 साल पहले लोगों ने एक पुल बनाने का प्रस्ताव रखा था। क्योंकि अगर हमें आणंद शहर की तरफ जाना होता, तो हमें डोंगी में जाना पड़ता था। इसलिए ये पुल बना। मैंने भी पुल बनाने में काम किया था। 41 साल पहले हम डोंगी में जाते थे और अब वो समय फिर आ गया है कि हमें फिर से डोंगी में ही उस पार जाना पड़ेगा।

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