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हाल में शाहरुख खान को उनके करियर का पहला नेशनल अवॉर्ड मिला. इस पर उन्होंने खुशी जताई. उनके साथ विक्रांत मैसी को भी नेशनल अवॉर्ड मिला. कलाकारों के लिए नेशनल अवॉर्ड मिलने के मायने उनकी पॉपुलैरिटी और फीस से कहीं ज्यादा होती है. लेकिन एक ऐसा सुपरस्टार भी जिसने नेशनल अवॉर्ड को ठुकरा दिया था.
कपूर खानदान का एक लाडला ऐसा भी है, जिसने यश चोपड़ा की फिल्म में काम किया. फिल्म को क्रिटिक्स ने खूब सराहा. उसकी अदाकारी को पसंद किया गया. वो इतना पॉपुलर स्टार था, लेकिन कभी घमंड नहीं किया. बल्कि शालीना और ईमानदारी से काम किया. अपनी बेहतरीन अदाकारी से कई जनरेशंस के लोगों को अपना फैंस बनाया.

कपूर खानदान के इस लाडले स्टारडम को हावी नहीं होने दिया. एक साधारण लाइफ जी. कपूर फैमिली के इस सुपरस्टार का नाम शशि कपूर है. उनकी जमीन से जुड़ा नैचर और सिंपलिसिटी ने उन्हें एक ऐसा फैसला लेने के लिए मोटिवेट किया जिसने पूरी इंडस्ट्र को चौंका दिया.

शशि कपूर ने अपने करियर की शुरुआत में ही राष्ट्रीय पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया. लेकिन क्यों? उन्होंने साल 1962 में आई यश चोपड़ा की फिल्म ‘धर्मपुत्र’ से डेब्यू किया. इसमें उन्होंने लीड रोल निभाया. फिल्म धार्मिक कट्टरता और विभाजन के दर्द को दिखाती है. (फोटो साभारः यशराज फिल्म्स)
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शशि कपूर ने एक व्यथित यंग लड़के का किरदार निभाया, जिसने अपनी असली पहलान नहीं पता और धीरे-धीरे धार्मिक कट्टरता से अट्रैक्ट होता है. यह एक बहुत ही चैलेंजिंग रोल था. शशि को इस किरदार के लिए क्रिटकली सरहाना मिली.

शशि कपूर को फिल्म में दमदार अदाकारी के लिए बेस्ट एक्टर के नेशनल अवॉर्ड के लिए चुना गया. किसी नए-नवेले हीरो कई नवागंतुकों के लिए, ऐसी प्रारंभिक पहचान एक सपने के सच होने जैसा महसूस होती, लेकिन कपूर ने पूरी तरह से अलग दिशा चुनी.

शशि कपूर ने पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया और समझाया कि उन्हें नहीं लगता कि उनका परफॉर्मेंस इतना बड़े अवॉर्ड के लायक था. सालों बाद, एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था, “मुझे राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया था, लेकिन मैंने इसे रिजेक्ट दिया क्योंकि मुझे लगा मेरी परफॉर्मेंस उतनी अच्छी नहीं थी.”

शशि कपूर के इनकार ने यश चोपड़ा के साथ उनके संबंधों को प्रभावित नहीं किया, बल्कि इसे मजबूत किया. दोनों ने बाद में ‘दीवार’, ‘कभी कभी’, ‘त्रिशूल’ और ‘वक्त’ समेत कई बड़ी और हिट फिल्मों में साथ काम किया.

शशि कपूर को आखिरी बार फिल्म ‘घर बाजार’ में देखा गया था, जहां उन्होंने एक स्पेशल अपीयरएंस दी थी. उन्होंने 4 दिसंबर 2017 को अंतिम सांस ली, लेकिन उनकी प्रतिभा, गरिमा और विनम्रता की विरासत आज भी जीवित है. उन्हें 2011 में पद्म भूषण और 2014 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

