स्ट्रेचिंग क्यों है जरूरी
कुछ कार्डियोवैस्कुलर एक्सपर्ट के अनुसार रात में सोने से पहले केवल 5 मिनट की स्ट्रेचिंग आपके दिमाग और शरीर को रिलैक्स करने का आसान तरीका है. यह मांसपेशियों में आई टाइटनेस को दूर करती है जिससे दिनभर की थकान और जकड़न कम होती है और शरीर भी हल्का महसूस करता है.
स्ट्रेचिंग से एक्टिव होता है रेस्ट एंड डाइजेस्ट सिस्टम
स्ट्रेचिंग के दौरान शरीर का पैरासिंपेथेटिक नर्वस सिस्टम एक्टिव हो जाता है. जिससे रेस्ट एंड डाइजेस्ट सिस्टम भी कहा जाता है. इससे हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर कम होता है और मानसिक रूप से व्यक्ति शांत महसूस करता है. इससे नींद जल्दी आती है और नींद की गुणवत्ता भी बेहतर होती है.
ब्लड सर्कुलेशन होता है बेहतर
स्ट्रेचिंग मांसपेशियों और उत्तकों में ब्लड फ्लो बढ़ता है. जिससे जरूरी पोषक तत्व और ऑक्सीजन शरीर के हर हिस्से तक पहुंचाते हैं. इसके साथ स्ट्रेचिंग शरीर में टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करती है जिससे एक सुकून और हल्कापन महसूस होता है.
यह स्ट्रेचिंग पोज अपनाएं
दरअसल हर स्ट्रेचिंग पोज नींद के लिए उपयोगी नहीं होता है. लेकिन कुछ ऐसे स्ट्रेचिंग पोज होते हैं जो आपकी नींद को और बेहतर बनाते हैं.
-कैट काउ पोज: यह पोज पीठ को गर्म करता है और रीड की हड्डी में लचीलापन लाता है.
-लेग्स अप द वॉल: लेग्स अप द वॉल पोज पैरों की सूजन कम करता है और नर्वस सिस्टम को शांत करता है.
-नेक रोल्स: यह पोज गर्दन और कंधों की जकड़न को दूर करता है.
-फॉरवर्ड फोल्ड: ये पोज हैमस्ट्रिंग पिंडलियों और पीठ के निचले हिस्से की टाइटनेस को कम करता है.
नींद न आने की समस्या और बेचैनी में भी है फायदेमंद
अगर आपको इनसोम्निया या रेस्टलेस लेग सिंड्रोम जैसी परेशानी है तो यह स्ट्रेचिंग दिनचर्या आपके लिए फायदेमंद हो सकती है. सोने से पहले हल्की स्ट्रेचिंग मांसपेशियों को आराम देती है और मन को शांत करती है.जिससे नींद जल्दी आती है और बेचैनी कम होती है.